राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश के इंदौर जिले में समर्थन मूल्य गेहूं खरीदी में तीन दिन रह गए हैं। अब तक बड़े किसानों को मैसेज का इंतजार ही करना पड़ रहा है। खरीदी शुरु हुए करीब एक महीना होने आया लेकिन अब तक मैसेज नहीं आने से किसानों की चिंता बढ़ गई है। ज्यादातर खरीदी केंद्र पर किसानों को अव्यवस्थाओं का सामना अभी भी करना पड़ रहा है। कभी बारदानों की कमी तो कभी सिलाई मशीन में दिक्कत, कहीं कांटे खराब होने की समस्याएं आए दिन आ रही है। किसानों के लिए सबसे बड़ी समस्या लंबी लाइनों में दिन-रात रहने की आ रही है। उन किसानों के वाहन मैसेज आने के पांच दिन तक भी नहीं तुल पा रहे हैं।
अधिकारी ही नहीं दे रहे संतुष्ट जवाब
किसान छोटू यादव ने बताया उसका 500 क्विंटल का पंजीयन है लेकिन अभी तक ना तो तुलाई का मैसेज आया और ना ही अधिकारियों की ओर से संतुष्टपूर्ण जवाब दिया जा रहा है। छोटू का कहना है, घर पर ही गेहूं खराब ना हो जाए इसलिए सरकार को खरीद की तारीख आगे बढ़ाना चाहिए। नैनोद गांव के किसान गोकुल पटेल ने बताया मेरा पंजीयन 500 क्विंटल का है लेकिन अभी तक एक दाना भी सोसायटी ने नहीं खरीदा और ना ही बेचा है। मैसेज के इंतजार में घर पर ही गेहूं लेकर बैठें हैं। अब यही चिंता सता रही है कि आने वाली सोयाबीन की खरीफ फसल की तैयारी कैसे की जाएगी, क्योंकि अभी तक गेहूं ही नहीं खरीदे गए हैं।
देपालपुर तहसील के गांव छोटी कलमेर के किसान मनीष मौर्य ने अपनी मां के नाम पर 1000 क्विंटल का पंजीयन करवाया है। अब तक मैसेज नहीं आने से किसान को अगली फसल की तैयारी में खासी दिक्कतें उठाना पड़ रही हैं। मनीष का कहना है कि खरीदी तारीख आगे बढ़ाई जाना चाहिए जिससे सभी किसानों के गेहूं तुल सके। धतुरिया गांव के किसान कपिल दिनेश पटेल का कहना हैं कि 350 क्विंटल का पंजीयन है लेकिन अभी तक कोई मैसेज नहीं आया। किसान का आरोप है कि अन्य किसानों को मैसेज आ रहे हैं पर बड़े किसानों को मैसेज नहीं भेजा जा रहा है।
20 दिन तक नहीं आ रहे खातें में पैसे
भारतीय किसान मजदूर सेना के प्रदेश अध्यक्ष बबलू जाधव ने बताया कि सरकार ने नियम बनाए थे कि 15 से 20 छोटे किसान व साथ ही 5 बड़े किसानों को रोजाना मैसेज के माध्यम से खरीदी केंद्र पर बुलाया जाएगा। अधिकारियों ने इन नियमों को ताक पर रख दिया। जिन वेयरहाउसों पर बड़े कांटे स्थापित हैं वहां किसानों की उपज की तुलाई नहीं की जा रही है। इतना ही नहीं करीब 20 दिन तक किसानों के खाते में पैसे नहीं पहुंचना, बारदानों की कमी, परिवहन ना होना, सिलाई मशीन और तोल कांटे खराब होना, लंबी लाइनों में किसानों को भरी दोपहर में अपनी फसल बेचने का इंतजार करना पड़ रहा है। किसानों के लिए खाने पानी से लेकर बैठने की जगह तक नहीं है।
सरकार किसानों के पिछले साल के 500 रुपए भावांतर राशि के और 160 रुपए गेहूं खरीदी बोनस के भी नहीं दे रही है। सरकार किसानों के खातों में यह रकम डाल देती है तो अगली फसल की तैयारी करने में कुछ मदद मिल जाएगी।
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