उच्च न्यायालय से कंप्यूटर बाबा को कोई राहत नहीं मिली, कोर्ट ने याचिका खारिज की
इंदौर, मध्यप्रदेश। प्रशासन की कार्रवाई के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंचे कंप्यूटर बाबा को न्यायालय से कोई राहत नहीं मिली। कोर्ट ने बाबा की याचिका निरस्त कर दी। कोर्ट ने कहा कि, याचिका में जो मुद्दे उठाए गए हैं वे ऐसे नहीं हैं कि उन पर हाई कोर्ट कोई फैसला ले। इसके लिए बाबा चाहें तो विचारण न्यायालय में वाद प्रस्तुत कर सकते हैं।
गौरतलब है कि, जिला प्रशासन ने 8 नवंबर 2020 को कंप्यूटर बाबा के गोमटगिरी स्थित आश्रम पर कार्रवाई करते हुए आश्रम को जमींदोज कर दिया था। कार्रवाई के दौरान शांति भंग होने की आशंका के चलते पुलिस ने बाबा और उनके समर्थकों को गिरफ्तार कर लिया गया था। बाद में बाबा के समर्थकों को तो जमानत मिल गई लेकिन बाबा को जेल भेज दिया गया। बाद में एसडीएम कोर्ट ने कंप्यूटर बाबा को पांच लाख रुपये की बैंक गारंटी प्रस्तुत करने की शर्त पर जमानत दे दी।
बाबा के वकील बैंक गारंटी लेकर पहुंचे एसडीएम न्यायालय पहुंचे लेकिन जमानत ही नहीं स्वीकारी गई। बाबा ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि उन्हें अवैध तरीके से हिरासत में रखा गया था। उनकी मांग थी कि उन्हें जबरन जेल में रखने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए और जिला प्रशासन द्वारा आश्रम को जमींदोज करने की कार्रवाई की वजह से हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई स्वरूप उन्हें मुआवजा दिलवाया जाए।
शासन की तरफ से कोर्ट में तर्क रखा गया कि कंप्यूटर बाबा के आश्रम के नाम किए गए अवैध निर्माण को जमींदोज किया गया है। इसलिए मुआवजा नहीं दिया जा सकता। हाई कोर्ट ने इस मामले में दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था जो अब जारी हुआ है। कोर्ट ने बाबा की याचिका निरस्त करते हुए उन्हें स्वतंत्रता दी है कि वे चाहें तो इस मुद्दे को लेकर विचारण न्यायालय के समक्ष वाद दायर कर सकते हैं।
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