5.35 लाख मीट्रिक टन इंर्पोटेड Coal लेने का फरमान
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कोयला मंत्रालय का सितंबर तक 5.35 लाख मीट्रिक टन इंर्पोटेड Coal लेने का फरमान, दुविधा में MP सरकार

Madhya Pradesh Coal : केंद्र सरकार के फरमान का मान रखते हुए मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी ने विदेशी कोयला खरीदने के लिए अभी कम से कम टेंडर तो जारी कर ही दिया है।
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भोपाल। केंद्रीय कोयला मंत्रालय के एक फरमान ने चुनावी वर्ष में राज्य सरकार को दुविधा में डाल दिया है। राज्य सरकार पर वैसे ही चुनाव से पहले जरुरी कामों और योजनाओं पूरा करने के लिए बड़ी राशि की जरुरत पड़ रही है। इस बीच केंद्र सरकार के मंत्रालय ने मप्र सरकार को एक वर्ष के भीतर 12.01 लाख मीट्रिक टन कोयला विदेश से बुलाने का फरमान दे दिया है। अब सरकार के सामने दुविधा ये है कि विदेशी कोयला वैसे ही पांच गुना तक महंगा पड़ता है। यदि बाहर से कोयला बुलाया गया तो सरकार पर और अतिरिक्त राशि का इंतजाम करने का दबाव बढ़ेगा। लिहाजा सरकार इस मामले में असमंजस की स्थिति में बनी हुई है। इस बीच केंद्र सरकार के फरमान का मान रखते हुए मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी ने विदेशी कोयला खरीदने के लिए अभी कम से कम टेंडर तो जारी कर ही दिया है।

वैसे तो केंद्रीय कोयला मंत्रालय की जो गाइडलाइन है, उसके मुताबिक मप्र को उसकी कुल जरुरत का 6 फीसदी विदेशी कोयला आयात करना है, लेकिन राहत ये दी है कि उसने पहले ही मप्र के लिए स्टॉक लिमिट तय कर दी है, उसमें महज 12.01 लाख मीट्रिक टन कोयला ही बुलाने के लिए कहा गया है। मप्र को एक वर्ष में 235 लाख मीट्रिक टन कोयले की जरुरत पड़ती है। यदि कुल जरुरत का 6 फीसदी देखें तो ये 12.01 लाख मीट्रिक टन से अधिक होता है।

सितंबर तक 5.35 लाख मीट्रिक टन कोयला आयात करने का दबाव

केंद्रीय कोयला मंत्रालय ने ये भी तय कर दिया है कि कब कितना विदेशी कोयला आयात करना है। जो डेडलाइन तय की गई है उसके मुताबिक सितंबर तक मप्र को 5.35 लाख मीट्रिक टन कोयला आयात करना है। शायद इसी दबाव का असर है कि मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी ने विदेशी कोयला आयात करने के लिए टेंडर भी जारी कर दिया है। केंद्रीय कोयला मंत्रालय इस बार संभवत: इसलिए सख्त है क्योंकि मप्र को पिछले वर्ष भी कोयला आयात करने के लिए कहा गया था,लेकिन मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी ने कोयला आयात नहीं किया।

देशी 2500 से 4000, विदेशी कोयला 15 से 16 हजार रुपए प्रति टन

मप्र सरकार कोयला आयात करने से यदि बचती रही है तो इसके पीछे प्राइज फेक्टर बड़ी वजह है। मप्र को वेस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड और नार्दन कोल फील्ड्स लिमिटेड से ज्यादातर कोयले की आपूर्ति होती है। ये कोयला औसतन रुप से 2500 से 4000 रुपए प्रति टन पड़ता है, वहीं विदेश से बुलाया जाने वाला कोयला 15 से 16 हजार रुपए तक प्रति टन पड़ता है। राहत की बात ये है कि ग्लोबल मार्केट में अभी कोयले के दाम में नरमी है। 6 माह पहले तक विदेशी कोयले की औसत कीमत 20 हजार रुपए प्रति टन तक थी, जो अब कम हो गई है। वैसे विदेशी कोयला आयात करने के मामले में इंडोनेशिया और आस्ट्रेलिया पसंदीदा देश हैं, जहां से देश की ज्यादातर जनरेटिंग कंपनियां आयात करती हैं।

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