मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान
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कारम डैम को बहने से बचाने वाले पोकेलेन मशीनों के ड्राइवर और सहायकों को सीएम शिवराज ने किया सम्मानित

एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने आज निवास पर धार के कारम डैम के आपदा प्रबंधन में उत्कृष्ट कार्य के लिए नागरिकों व संस्थाओं को सम्मानित किया।
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भोपाल, मध्य प्रदेश। एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने आज निवास पर धार के कारम डैम के आपदा प्रबंधन में उत्कृष्ट कार्य के लिए नागरिकों व संस्थाओं को सम्मानित किया। सीएम ने डैम के राहत और बचाव कार्य में लगे पोकलेन मशीन ऑपरेटरों व उनके सहायकों को सम्मान निधि के रूप में दो-दो लाख के चेक प्रदान किए। इस अवसर पर जल संसाधन मंत्री श्री तुलसी सिलावट, स्वास्थ्य मंत्री डॉ. पी आर चौधरी, औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन मंत्री श्री दत्तीगांव सहित गणमान्य जनप्रतिनिधि एवं अतिथि उपस्थित थे।

पोकेलेन मशीनों के ड्राइवर और सहायकों को सीएम ने किया सम्मानित:

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कारम बांध, धार के आपदा प्रबंधन में उत्कृष्ट योगदान देने वाले पोकलेन मशीन ऑपरेटर शिव कुमार कौल, संजय भारती, सैयद आलम, प्रमोद कुमार को दो-दो लाख रूपये का चेक, शॉल और श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया।

सीएम चौहान ने बांध का वॉल्व खोलने वाले समर सिंह और जितेंद्र दरबार समेत बांध के आपदा नियंत्रण में योगदान देने वाले स्थानीय नागरिक और सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों को दो-दो लाख की राशि के चेक, शॉल, श्रीफल और प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया।

सीएम शिवराज ने किया संबोधित:

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, "यह कार्यक्रम कोई कर्मकांड नहीं है। यह अंतरात्मा की आवाज के कारण आयोजित हुआ है। एक ऐसा संकट जिसने तीन दिन और रात सोने नहीं दिया। एक ही चिंता थी एक ही जुनून था कि सभी भाई-बहन और मूक प्राणी सुरक्षित रहें। आज ह्रदय में संतोष है कि जनता भी सुरक्षित रही और पशु-पक्षी भी सुरक्षित रहे।"

उन्होंने कहा कि, "थोड़ा बहुत फसलों का नुकसान हुआ है। मामा तो है भरपाई कर दी जाएगी। मैं टीम मध्यप्रदेश को इसके लिए बधाई देता हूं। आपदा प्रबंधन का इतना उत्तम उदाहरण हिंदुस्तान क्या दुनिया में भी बहुत कम देखने को मिला होगा।"

सीएम शिवराज ने कहा कि, "बांध से पानी निकालने के लिए हमने एक कटाव लगाने का फैसला लियाा। जगह वो ढूंढी जहां एक तरफ पहाड़ी की चट्टान और दूसरी तरफ मिट्टी की पाल थी, ताकि चट्टान के बगल में से काटने पर एक तरफ सुरक्षित रहेगा और पानी एकदम नहीं बहेगा।"

उन्होंने कहा कि, "दूसरी तरफ इस तरीके से काटेंगे की पहले मिट्टी धीरे-धीरे बहे और पानी निकले, फिर धीरे-धीरे पानी बढ़ता जाए और मिट्टी कटती जाए। हमें ये पता था कि, मिट्टी कटेगी। लेकिन तकनीकी रूप से कोशिश यह थी कि, मिट्टी धीरे-धीरे कटे और पानी की धार चौड़ी होती जाए और धीरे-धीरे पानी निकलता जाए।"

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, "अंत में धार चौड़ी भी होगी तो इतना पानी निकल चुका होगा कि, फिर वो नदी में ही समा जाएगा। गांव घरों में नहीं घुस पाएगा। ईश्वर की कृपा थी, तकनीकी विशेषज्ञ की राय और अंतरात्मा की आवाज थी। कई बार हम कहते थे कि अपने हाथ से बांध तोड़ेंगे। लेकिन कोई रास्ता ही नहीं बचा था।"

उन्होंने कहा कि, "इसलिए अंत में बांध की पाल काटने का फैसला लिया। इसमें किंतु परंतु आया तो हमने जोर से डांट कर कहा कि बांध की पाल किसी भी हालत में कट जाना चाहिए। क्योंकि दूसरा कोई रास्ता नहीं था। वही एक विकल्प था। हम पूरी तरह से इसमें सफल हुए।"

शिवराज सिंह चौहान ने आगे कहा कि, "आप सबने इतना बढ़िया काम किया। मैं आप सबको बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं। रातों रात लग कर लोगों को वहां से निकाल लेना, पशुओं को निकाल लेना, फिर ले जाना, फिर ठहराना, फिर भोजन चाय नाश्ता कराना, सबने अपना-अपना काम बहुत कुशलता के साथ किया।"

उन्होंने कहा कि, "आपदा प्रबंधन का आप सबके सहयोग से एक बहुत अच्छा उदाहरण हमने प्रस्तुत किया है। आपके प्रयत्न से इतना बड़ी सफलता हमें मिली।"

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