सीएम ने इंडियन इकोनॉमिक एसोसिएशन के 104वें वार्षिक सम्मेलन का किया उद्घाटन

भोपाल, मध्यप्रदेश। आज सीएम ने इंडियन इकोनॉमिक एसोसिएशन के 104वें वार्षिक सम्मेलन का उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलन कर किया, इस अवसर पर सीएम ने कही ये बात।
इंडियन इकोनॉमिक एसोसिएशन का वार्षिक सम्मेलन
इंडियन इकोनॉमिक एसोसिएशन का वार्षिक सम्मेलन Social Media
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भोपाल, मध्यप्रदेश। आज मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इंडियन इकोनॉमिक एसोसिएशन (Indian Economic Association) के 104वें वार्षिक सम्मेलन का उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलन कर किया। इस अवसर पर मध्यप्रदेश राज्य नीति एवं योजना आयोग के उपाध्यक्ष एवं अन्य उपस्थित रहे।

इंडियन इकोनॉमिक एसोसिएशन के104वें वार्षिक सम्मेलन का शुभारंभ

मिली जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री ने आरसीवीपी नरोन्हा प्रशासन अकादमी के स्वर्ण जयंती सभाकक्ष में इंडियन इकोनॉमिक एसोसिएशन के 104 वें राष्ट्रीय अधिवेशन का उद्घाटन किया है। सीएम ने कहा कि विश्व में आर्थिक क्षेत्र में प्रगति की, लेकिन शोषण की शुरुआत यहीं से हुई। उत्पादन के स्वामित्व को लेकर शक्तियां और श्रम अलग-अलग धुरी बन गए। कार्ल मार्क्स ने श्रमिकों के एकता का आह्वान करते हुए शक्ति अपने हाथ में लेने को कहा था। विश्व ने आर्थिक क्रांति के रूप में कई संघर्ष देखे। फिर अमेरिका ने आर्थिक संपन्नता के साथ अभिव्यक्ति की आजादी की बात भी रखी, लेकिन इस तरह प्राप्त की जा रही प्रगति ने सुख-शांति छीन ली, मनुष्य के जीवन में दो इच्छाएं कभी समाप्त नहीं होतीं, पहला कभी न मरना और हमेशा सुखी जीवन। लेकिन यह सत्य है कि मृत्यु होती ही है और जीवन में हमेशा सुखी नहीं रह सकता। फिर भी यही इच्छाएं हमेशा बनी रहती हैं।

मनुष्य को केवल शारीरिक सुख नहीं: मन, बुद्धि और आत्मा का भी सुख चाहिये। भौतिक सुखों के साथ दूसरों के जीवन में सुख के लिए जो कार्य किये जाते हैं, उससे अंतर्मन आनंदित होता है।

शिवराज सिंह चौहान

इस अवसर पर सीएम ने कहा- ताल तलैयों की नगरी भोपाल में आप सभी का मैं मध्यप्रदेश की साढ़े 8 करोड़ जनता की ओर से स्वागत करता हूं, आज संयोग है कि अटल जी का जन्मदिन है। एक अद्भुत लीडर थे अटल जी। उनके चरणों में शत शत नमन करता हूं। उन्होंने कहा- आज मैं बड़ी विनम्रता के साथ कहना चाहता हूं कि हमने आजादी के पहले दूसरे देशों के रास्ते पर चलने की कोशिश की लेकिन जब वो देश स्वयं उस रास्ते पर चलकर सफल नहीं हुए तो भारत कैसे सुखी हो सकता था।

हमारे देश में, हमारी संस्कृति में, हमारे जीवन मूल्यों में हमारी परंपराओं में ऐसा कुछ है कि जिसके आधार पर हम अपने अर्थ तंत्र को खड़ा कर सकते हैं।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान

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