नशे की गिरफ्त में है बुन्देलखण्ड के गांव

छतरपुर, मध्यप्रदेश: जिले के सैकड़ों गांव में हाथ भट्टी से बन रही देशी शराब, एक साल में सामने आए 515 मामले, 5 हजार लीटर पकड़ी शराब।
नशे की गिरफ्त में है बुन्देलखण्ड के गांव
नशे की गिरफ्त में है बुन्देलखण्ड के गांवPankaj Yadav
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राज एक्सप्रेस। शराबियों की बढ़ती संख्या शराब की मांग बढ़ा रही है। सरकार वैधानिक रूप से शराब की दुकानें भले ही बढ़ा रही हों लेकिन गैर वैधानिक रूप से भी शराब का निर्माण तेजी से बढ़ रहा है। बुन्देलखण्ड के ज्यादातर गांव कच्ची अथवा देशी शराब की चपेट में हैं। साल 2019 के सरकारी आंकड़े चिंताजनक तस्वीर पेश कर रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक सिर्फ एक साल में ही छतरपुर जिले के 515 स्थानों पर हाथ भट्टी से देशी शराब निर्माण के मामले सामने आए हैं।

अवैध रूप से बनाई जा रही लाखों की कीमत में शराब :

आबकारी विभाग द्वारा दर्ज इन मामलों के तहत 5074 लीटर देशी शराब पकड़ी गई है, तो वहीं 5896 किलो लाहन भी पकड़ा गया है जिसका इस्तेमाल कच्ची शराब बनाने में किया जाता है। अवैध रूप से बनाई जा रही यह शराब 5 लाख 7 हजार 400 रूपए कीमत की है तो वहीं जब्त लाहन की कीमत 2 लाख 94 हजार 750 रूपए है। ये सिर्फ वे मामले हैं जो आबकारी विभाग ने दर्ज किए हैं हकीकत इससे भी ज्यादा खौफनाक हो सकती है। छतरपुर जिले के आदिवासी और दूरस्थ दुर्गम अंचलों में कच्ची शराब के निर्माण की फैक्ट्रियां आज भी चल रही हैं। यहां से बनने वाली कच्ची शराब कई बार जहरीली होती है जिसके सेवन से लोगों की जान भी जा सकती है। आबकारी विभाग में अमले की कमी और पुलिस के संरक्षण के चलते यह कारोबार लगातार फल-फूल रहा है।

बिजावर, किशनगढ़, हरपालपुर क्षेत्र में सर्वाधिक मामले :

आबकारी विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक कच्ची शराब बनाने के ज्यादातर मामले बिजावर, किशनगढ़ और हरपालपुर क्षेत्र के दुर्गम ग्रामीण इलाकों से सामने आते हैं। इन इलाकों में सस्ती शराब मुहैया कराने के लिए कई परिवार पारंपरिक रूप से महुए और लाहन के इस्तेमाल से इसका निर्माण करते हैं। कई जनजातियां शराब बनाने और बेचने का काम करती आ रही हैं। आमतौर पर हर थाना क्षेत्र में कच्ची शराब बनाने के कुछ इलाके चिन्हित हैं फिर भी समय पर कार्यवाही न हो पाने के कारण यह कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है।

अब सरकार हर 10 किमी पर खोलेगी शराब की दुकान :

कच्ची और जहरीली शराब के इस्तेमाल को रोकने और अवैध शराब से हो रहे राजस्व नुकसान को खत्म करने के उद्देश्य से अब सरकार ने ही लोगों को उनके नजदीक तक वैधानिक शराब पहुंचाने की नीति बना ली है। आलोचना से घिरी इस नीति के मुताबिक अब शराब के शासकीय ठेकेदार अपनी दुकान के साथ-साथ 10 किमी की दूरी पर उपदुकान भी संचालित कर पाएंगे। इस शराब नीति के चलते गांव में अवैध शराब के विक्रय पर रोक लगेगी तो वहीं वैधानिक शराब के ठेके खुल जाएंगे। आने वाले एक अप्रैल से शराब के नए ठेके होंगे जिसमें दुकानों की संख्या और सरकार का राजस्व बढ़ना तय है।

आबकारी विभाग ने वर्ष 2019 में सर्वाधिक कार्यवाहियां की हैं। हम लगातार शराब के अवैध विक्रय और जहरीली शराब के निर्माण पर रोक लगाने कार्यवाही कर रहे हैं। यह कार्यवाही भविष्य में भी जारी रहेगी।

शैलेष जैन, जिला आबकारी अधिकारी, छतरपुर

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