राज एक्सप्रेस। भारत सरकार द्वारा कराए जाने वाले स्वच्छता सर्वेक्षण के वर्ष 2019 में लिए गए दूसरी तिमाही के परिणाम सामने आ गए हैं। इन परिणामों के मुताबिक मई 2019 से अगस्त 2019 तक किए गए सर्वे में छतरपुर जिले के ज्यादातर शहरों के हालात बदतर हैं। स्वच्छता के मामले में देश के कई शहरों से प्रदेश के शहर पिछड़े हुए हैं। छतरपुर जिले में सबसे बुरी स्थिति बिजावर की सामने आई है जो 25 हजार आबादी वाले देश के 572 शहरों में 522वें पायदान पर रहा। इसी सूची में बारीगढ़ 440वें नंबर पर है तो लवकुशनगर 425वें, राजनगर 416 और चंदला 358वें नंबर पर है।
269 शहरों में से जिला रहा 64वें स्थान पर :
स्वच्छता सर्वेक्षण की वेबसाइट पर डाले गए नतीजों के मुताबिक छोटे शहरों में छतरपुर जिले का सटई का सबसे अच्छा प्रदर्शन रहा। सटई को 572 शहरों में से 121वां नंबर हासिल हुआ है। इसी तरह गढ़ीमलहरा 164वें, महाराजपुर 198वें नवंबर पर रहा। बड़े शहरों की बात करें तो 25 से 50 हजार आबादी वाले देश के 288 शहरों की स्वच्छता रैकिंग में छतरपुर जिले का नौगांव शहर 82वें पायदान पर रहा और बड़े शहरों में शामिल एक लाख से 10 लाख की आबादी वाले 269 शहरों में से छतरपुर जिला मुख्यालय 64वें स्थान पर रहा।
मप्र की सूची में खजुराहो बेहतर, लवकुशनगर बदतर :
स्वच्छता का यह सर्वेक्षण राष्ट्रीय स्तर के अलावा मप्र स्तर पर भी रैंकिंग प्रदान करता है। प्रदेश स्तर की रैंकिंग में भी छतरपुर जिले के शहरों की स्थिति चिंताजनक है। हालांकि इन शहरों की सूची में पर्यटन नगरी खजुराहो प्रदेश का 18वां सबसे साफ शहर है जबकि लवकुशनगर बदतर स्थिति में है। मप्र की 98 नगर पालिकाओं में छतरपुर शहर 47वें नंबर पर है तो वहीं नौगांव 67वें नंबर पर और महाराजपुर 49वें नंबर पर है। इसी तरह मप्र की 264 नगर परिषदों में हुए स्वच्छता सर्वेक्षण के मुताबिक बिजावर 80वें नंबर पर, बक्स्वाहा 48वें नंबर, सटई 85वें नंबर पर, घुवारा 89वें नंबर पर, चंदला 125वें नंबर पर, बड़ामलहरा 128वें नंबर पर, राजनगर 211वें नंबर पर, बारीगढ़ 214वें नंबर पर, लवकुशनगर 225वें नंबर पर, खजुराहो 18वें नंबर पर, हरपालपुर 46वें नंबर पर रहा।
इस तरह मिलती है रैंकिंग :
भारत सरकार ने स्वच्छता अभियान के अंतर्गत देश में साफ-सफाई की भावना को बढ़ाने के लिए नगर निकायों के बीच प्रतियोगिता की शुरूआत की थी। हर वर्ष तीन चरणों में यह स्वच्छता सर्वेक्षण किया जाता है। प्रत्येक चार माह के बाद इस सर्वेक्षण के नतीजे सामने आते हैं। सर्वेक्षण के लिए नगर निकायों में बाहर के अधिकारियों को स्वच्छता की जांच करने के लिए भेजा जाता है। जांच करने आया दल शहर में मौजूद टॉयलेट्स, डोर टू डोर कचरा संग्रहण, कचरा प्रसंस्करण, स्वच्छता जागरूकता कार्यक्रम, सार्वजनिक स्थानों पर नियमित सफाई के कार्यक्रम की जांच करता है। इस सर्वेक्षण में यह भी जांचा जाता है कि शहर में कितने लोग खुले में शौच करने के लिए मजबूर हैं।
स्वच्छता के प्रति सभी नगर निकायों को समय-समय पर दिशा-निर्देश दिए जाते हैं लेकिन स्वच्छता की जिम्मेदारी सिर्फ नगर निकायों पर नहीं छोड़ी जा सकती। अपने शहर की रैंकिंग को सुधारने के लिए लोगों को खुद स्वच्छता के प्रति काम करना होगा।
निरंकार पाठक, परियोजना अधिकारी, डूडा, छतरपुर
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