मध्यप्रदेश से बाहर नहीं जाएंगे कूनो के चीते, प्रदेश के ही दूसरे अभयारण्य में अगले पांच महीने में होंगे शिफ्ट
भोपाल। दक्षिण अफ्रीका से लाकर कूनो नेशनल पार्क में बसाए गए चीतों की लगातार हो रही मौत के बाद भोपाल में पहली बार राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की बैठक हुई। केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव की मोजूदगी में हुई बैठक में चीता प्रबंधन को लेकर चर्चा हुई। बैठक में तय हुआ है कि कूनो के चीतों को मप्र के ही दूसरे अभयारण्य में शिफ्ट किया जाएगा। चीतों को राजस्थान नहीं भेजा जाएगा।
बैठक में मौजूद महानिदेशक वन एवं विशेष सचिव सीपी गोयल ने कहा कि परियोजना नई है। हमें जैसे-जैसे जरूरतों का पता चल रहा है, इंतजाम कर रहे हैं। पहले टास्क फोर्स, फिर संचालन समिति बनाई है, इसमें विज्ञानियों को जोड़ा है। वे मानते हैं कि पिछले दो माह में कूनो में छह चीतों की मौत में किसी तरह की चूक नहीं हुई है। चीतों को राजस्थान के मुकुंदरा भेजने की संभावनाओं को सिरे से नकार दिया है।
बैठक में तय हुआ है कि चीता एक्शन प्लान के तहत चीतों को एक जगह नहीं रखना है। हमारा अगला लक्ष्य गांधीसागर और फिर नौरादेही है। कूनो के कोर क्षेत्र में 21 और बफर में 15 चीते रखने की क्षमता है। भविष्य में और शावक पैदा होंगे, राज्य सरकार ने नवंबर से पहले गांधीसागर अभयारण्य को चीतों के रहवास के लिए तैयार करने को कहा है।
करंट-जहरखुरानी से बाघों की मौत, चिंता का विषय नहीं
मप्र में हर साल बड़ी संख्या में बाघों की मौत को गोयल ने सामान्य बताया। कहा कि देश में अब संगठित शिकार नहीं होता। हमारे रिकार्ड में ऐसा कोई गैंग सक्रिय नहीं है। जहरखुरानी-करंट से शिकार होता है, वह बहुत बड़ी चिंता का विषय नहीं है।
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