BU को इस बार भी मिला बी ग्रेड, अधिकारियों के सारे प्रयास हुए फेल
भोपाल। बरकतउल्ला विश्वविद्यालय का मंगलवार को रिजल्ट आउट हो गया और विवि को एक बार फिर से बी ग्रेडिंग मिली है। राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) द्वारा घेाषित नतीजे के आने के बाद बीयू के अधिकारी-कर्मचारी निराश दिखे। क्योंकि सभी ने अपने नए कुलपति प्रो.एसके जैन के मार्गदर्शन में काफी मेहनत कर बीयू की रेंकिंग में सुधार के लिए दिल से प्रयास किए थे। लेकिन यह प्रयास होने में काफी ज्यादा देर हो चुकी थी, इसलिए कुलपति से लेकर अधिरियों-कर्मचारियों तक सभी विवि की रेंकिंग सुधारने के प्रयास में सफल नहीं हो सके। अंतिम समय में किए गए प्रयासों के आधार पर 30 प्रतिशत अंकों में से विवि को अच्छे नंबर मिले हैं। लेकिन असफलता की प्रमुख वजह विवि द्वारा नैक निरीक्षण से पूर्व विवि द्वारा जमा की गई सेल्फ स्टडी रिर्पोट (एसएसआर) है, जिसके आधार पर 70 फीसदी अंक मिलते हैं।
विवि में नतीजा आने के बाद असफलता को लेकर बैठक हुई, जो घंटों तक चली। जिसमें विवि के कुलपति प्रो. एस के जैन, कुलसचिव अरुण सिंह चौहान और अन्य अधिकार मौजूद रहे। रिजल्ट खराब होने से विवि में ऐसा माहौल रहा ,जैसे घर में बच्चे के नंबर कम आए हों। सभी के चेहरे पर टेंशन दिखी। हो भी क्यों ना आखिर सब ने मेहनत जो की थी इसलिए आशांवित भी थे। मीटिंग के अंत में कुलपति ने सभी से कहा कि जो हो गया उसे छोडक़र आगे बढ़ें और विवि का एक-एक व्यक्ति अपना बेस्ट दे।
कमियों को नहीं सुधारा
बता दें कि बीयू को अब तक कभी भी ए ग्रेड नहीं मिला है। सात साल पहले हुए नैक निरीक्षण के बाद नैक टीम द्वारा विवि को कई सुझाव दिए गए थे, लेकिन टीम के जाने के बाद उन सुझावों पर कार्य नहीं किए गए थे । इस बार नए कुलपति के आहवान पर विवि के अधिकारियों ने अंतिम दिनों में मुस्तेदी दिखाई। अंतिम कुछ दिनों और महीनों में माइग्रेशन कई कार्य हुए लेकिन उन्हें मूल्यांकन प्रक्रिया में शामिल नहीं किया गया, इसलिए तैयारी नाकाफी साबित हुई। इस तरह के कार्य यदि बीते पांच साल से किए गए होते तो निश्चित ही विवि को अच्छी ग्रेडिंग मिल सकती थी।
एसएसआर में दी गई गलत और भ्रामक जानकारियां
विवि द्वारा नैक को साल 2015-16 से प्रतिवर्ष जमा की गई रिर्पोट और अंत में सभी वर्षों की मिलाकर जमा की गई एसएसआर में काफी गड़बड़ थी। यह रिपोर्ट विवि की वास्तिवक स्थिती से मेल नहीं खाती थी। जिसके आधार पर बीयू इस टेस्ट में फेल हो गया। उदाहरण के तौर पर समझा जाए तो रिपोर्ट में विद्यार्थियों की संख्या बीते पांच साल में 20 हजार बताई गई है, जबकि असल में विवि में प्रतिवर्ष ढ़ाई हजार से ज्यादा छात्र-छात्राएं प्रवेश नहीं लेते हैं। एसएसआर में इस तरह की कई गलत और भ्रामक जानकारियां जमा की गई था। जिसकी वास्तिवक जांच में बीयू को 70 में से बहुत कम अंक मिले हैं।
पूर्व अधिकारियों के रोल पर सवाल
विवि के अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान में नैक निरीक्षण कराने वाले सभी अधिकारी नए थे और वे सभी पूर्व में जमा एसएसआर रिपोर्ट में बदलाव नहीं कर सकते थे। वहीं नैक में डाटा और अंतिम रिर्पोट जमा करने वाले पूर्व तीन अधिकारी और उस समय के कुलपति प्रो. राव रिटायर हो चुके हैं, जिनकी गल्तियों का खमियाजा विवि को मिला है। रिर्पोट जमा करने वालों में रिटायर नैक अधिकारी केबी पण्डा,केएन त्रिपाठी, डीसी गुप्ता की भूमिका रही थी।
इन आधारों पर नहीं उतरा खरा
नैक द्वारा सात बिंदुओं के आधार पर मूल्यांकन किया जाता है, जिनमें से कई में बीयू कई मामलों में फेल हो गया। बीयू प्लेसमेंट के मामले में जीरो है। प्रमुख शोध कार्य, प्रोजेक्ट और पेटेंट कार्यों आदि में खरा नहीं उतरा। जिसके लिए नैक टीम ने भी सुधार के सुझाव दिए थे।
विवि की रेंकिंग सुधारने का प्रयास जारी रखेंगे
मेरी ज्वाइनिंग से पहले एसएसआर रिपोर्ट जमा हो गई थी, जिसमें बदलाव नहीं हो सकता था। विवि की वर्तमान नैक टीम भी नई है, फिर भी सभी अधिकारियों-कर्मचारियों ने अच्छी ग्रेडिंग के भरपूर प्रयास किए, इसलिए आशांवित थे। अब सबके सहयोग से सुधार की दिशा में आगे बढेंगे, विवि को उच्च स्थान दिलाने में सफल होंगे।
- प्रो. एसके जैन, कुलपति, बीयू
एमएलबी को अपील में जाने का मिला फायदा
भोपाल। नैक द्वारा एमएलबी कालेज को दिए गए बी ग्रेड को ए में बदल दिया गया है। यह बदलाव कालेज द्वारा की गई अपील के बाद रिवेल्युएशन के आधार पर हुआ है। बता दें कि विगत 11 व 12 नवंबर 2022 को नैक टीम ने एमएलबी कालेज का निरीक्षण किया था। जिसके आधार पर 15 नवंबर 2022 को बी प्लस ग्रेड मिला था। जिसके विरूद्ध पूर्व प्राचार्य ममता चंसौरिया ने बेंगलुरु स्थित नैक काउंसिल में नौ फरवरी को अपील लगाई थी। क्योंकि 2015 में भी ए ग्रेड मिला था। पेर्व प्राचार्य ने बताया कि वह ए ग्रेडिंग से काफी खुश है। उन्होंने बताया कि इस महाविद्यालय में 2015 के बाद अब काफी बदलाव हुआ है। छात्राओं की संख्या लगभग दोगुनी हुई है। इसके अलावा भवन व फैकल्टी की भी अच्छी सुविधा है। इसके बावजूद बी प्लस ग्रेड मिलने से अचंभित थीं। इस कारण अपील लगाई थीं, लेकिन अब संतुष्ट हैं।
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