फरवरी की बजाय अप्रैल में हो सकती हैं बोर्ड परीक्षा ?
ग्वालियर, मध्यप्रदेश। कोरोना की तीसरी लहर ने एक बार फिर से जहां स्कूलों के संचालन पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है, वहीं माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा आयोजित होने वाली 10वीं एवं 12वीं की परीक्षा को लेकर भी असमंजस की स्थिति बन गई है। बोर्ड फरवरी महीने में परीक्षा के आयोजन की घोषणा कर चुका था, लेकिन चूंकि अब एक महीना भी नहीं बचा है और कोरोना का संक्रमण बढ़ता चला जा रहा है, ऐसे में परीक्षा का रिस्क स्कूल शिक्षा विभाग नहीं लेगा और संभवत: गतवर्ष की मूल्यांकन पद्धति की भांति ही इस वर्ष भी बच्चों की परीक्षा की औपचारिकता हो।
प्रदेश में अब बच्चे भी तेजी से कोरोना की चपेट में आ रहे हैं। 10 दिनों में इंदौर में 150, भोपाल में 136 और अपने शहर ग्वालियर 113 से अधिक बच्चे कोरोना की चपेट में आ चुके हैं और दिनोंदिन कोरोना का संक्रमण बढ़ता जा रहा है, ऐसे में 50 फीसदी क्षमता के साथ चल रहे स्कूलों में एक बार फिर से ताला लग सकता है। बच्चे अभी सप्ताह में तीन दिन स्कूल जा रहे हैं। फर्स्ट फेस में आठवीं कक्षा तक के स्कूल बंद किए जा सकते हैं और पुन: ऑनलाइन कक्षाएं आरंभ की जा सकती हैं। ऐसे में पेरेंट्स के मन में सवाल उठ रहा है कि क्या स्कूल इसी तरह चलते रहेंगे? बंद होंगे या फिर ऑनलाइन ही पढ़ाई होगी। स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों से चर्चा में सामने आया कि विभाग ने कोरोना को देखते हुए एक्शन प्लान तैयार कर लिया है। अधिकारियों की मानें तो शहरों के लिए पूरी तरह से ऑनलाइन क्लास का खाका तैयार किया है। इसमें इंदौर, भोपाल, जबलपुर और उज्जैन के साथ ग्वालियर भी शामिल हैं। यहां पर पहले स्कूल खोलने पर प्रतिबंध लग सकते हैं। इसके बाद ऐसे इलाकों को चिह्नित किया गया है, जहां कोरोना केस बहुत कम हैं। इनमें अभी 50 क्षमता के साथ ही ऑफलाइन पढ़ाई की जाएगी। विभाग का मानना है कि यहां ऐसे इलाकों में ब'चों की संख्या काफी कम है। यहां पर ऑनलाइन पढ़ाई का इंतजाम नहीं है। ऐसे में पढ़ाई प्रभावित न हो इसके लिए सावधानी और कोरोना गाइडलाइन के साथ ऑफलाइन पढ़ाई चलती रहेगी।
अप्रेल तक टल सकती है परीक्षा :
एमपी बोर्ड की 10वीं और 12वीं क्लास की परीक्षा मिड फरवरी में शुरू होना है। जिस रफ्तार से कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है, उससे फरवरी में थर्ड वेव का पीक आने की आशंका है। ऐसे में एमपी बोर्ड परीक्षा को आगे बढ़ाते हुए अप्रैल में कराने पर विचार कर रहा है। इसी के साथ अन्य क्लास की परीक्षाएं भी कुछ आगे खिसक सकती हैं। अगर किसी कारण परीक्षा नहीं होती है, तो फिर आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर रिजल्ट बनाया जाएगा। इसमें स्टूडेंट्स के तिमाही और छमाही के मूल्यांकन के आधार पर रिजल्ट बनेगा। ऐसे में प्राइवेट परीक्षा के फॉर्म भरने वाले छात्रों को 33 अंक देकर पास किया जा सकता है।
इनका कहना है :
माध्यमिक शिक्षा मंडल ने दसवीं, बारहवीं की ऑफ लाइन परीक्षा की पूरी तैयारी कर रखी है, लेकिन जिस तरह से कोरोना के केस बढ़े हैं। जनवरी में फिर से रिव्यू किया जाएगा। उसके बाद शासन के निर्देश पर जो भी तय होगा, उसी के आधार पर निर्णय किया जाएगा।
मुकेश मालवीय, जनसंपर्क अधिकारी, माध्यमिक शिक्षा मंडल, भोपाल
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