रक्तदाता दिवस आज: मप्र में सिर्फ 65 फीसदी ही करते है स्वेच्छा से रक्तदान, नतीजा खून के बदले देना पड़ता है खून
World Blood Donor Day: मध्यप्रदेश में कुल रक्तदान संग्रहण का 65 फीसदी रक्त लोग अपनी स्वेच्छा से करते है। अभी भी कई जिलों में खून की कमी के चलते जरूरमंदों को खून के बदले खून देना पड़ता है तब कही उनके परिजनों की जान बचती है। बीते वित्त वर्ष 2022-23 में 3.94 लाख यूनिट रक्त का संग्रहण किया गया, जिसमें से 2.94 लाख यूनिट रक्त स्वैछिक रक्तदान शिविर के माध्यम से संग्रहित किया गया है।
चिकित्सा महाविद्यालयों में स्वेच्छा से किया जाने वाला रक्तदान :
चिकित्सा महाविद्यालयों में लगभग 98.96 हजार यूनिट और जिला चिकित्सालय एंव सिविल अस्पताल के माध्यम से 2.93 लाख यूनिट रक्त संग्रहण हुआ है। इस तरह कुल रक्तदान संग्रह में केवल 65 फीसदी रक्त स्वेच्छा से किया गया।
जागरूकता की कमी :
प्रदेश सरकार और कई संगठन के प्रयास के बाद भी लोगों में रक्तदान करने को लेकर जागरुगता नहीं आई है। अभी कई वर्ग रक्तदान करने को लेकर कई तरह की भ्रामक जानकारी के शिकार है और इसके चलते रक्तदान नहीं करते हैं। युवाओं में भी रक्तदान को लेकर रूचि नहीं है। इस तरह के कई कारणों की वजह से स्वेच्छा से रक्तदान केवल 65 प्रतिशत है।
2023-24 का लक्ष्य -
भोपाल, इंदौर , ग्वालियर, रीवा, एंव शिवपुरी - कुल जनसंख्या का 1.25 फीसदी
खण्डवा, छिंदवाडा रतलाम, दतिया, विदिशा, शाहडोल और सागर - कुल जनसंख्या का 0.75 फीसदी
अन्य सभी जिलों में कुल जनसंख्या का 0.50 फीसदी रक्तदान का लक्ष्य है।
क्यों पड़ती है लोगों को रक्त की जरुरत:
यदि किसी व्यक्ति का एक्सीडेंट हो जाये तब खून के अत्यधिक रिसाव के कारण रक्त की आवश्यकता होती है।
यदि किसी गर्भवती महिला को डिलीवरी के समय अत्यधिक रक्त का रिसाव हो जाये तब रक्त की आवश्यकता होती है।
यही किसी पेशेंट को ऑपरेशन के दौरान रक्त का अधिक रिसाव हो जाए तब रक्त की आवश्यकता होती है।
कैंसर का इलाज, कीमोथेरेपी, रक्त से सम्बंधित गंभीर बीमारी होने पर रक्त की आवश्यकता पड़ती है।
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