BIG NEWS: संविदा वालों पर महेरबानी से कितना वित्तीय भार, अब पता करेगी सरकार
भोपाल। चुनावी साल में मध्यप्रदेश सरकार ने खजाने के द्वार खोल दिए हैं। प्रदेश में चुनाव से पहले चाहे संविदा वाले कर्मचारी हो या फिर नियमित शासकीय सेवक, फिर पंचायत सचिव हो या फिर पटवारी जैसा महत्वपूर्ण मैदानी अमला। या फिर नौनिहालों के पोषण की जिम्मेदारी संभाल रही आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका ही क्यों न हो। कमाबेश सभी सवंर्ग वाले सरकार पर दबाव बनाकर मांग मनवाने में पीछे नहीं है। ये जानते हैं कि सरकार भले ही मांगों की लंबी- चौड़ी फेहरिस्त को 100 फीसदी पूरा न करे, लेकिन इतना तय है कि कुछ न कुछ तो मिलेगा ही। ऐसे हालात में प्रदेश के संविदा कर्मचारियों ने सरकार पर दबाव बनाया तो उनकी भी मन मांगी मुराद पूरी हो गई।
सरकार ने तो कैबिनेट में निर्णय के तहत पांच दिन के भीतर संविदा कर्मियों के संबंध में दिशा- निर्देश भी जारी कर दिए, लेकिन समय पर नहीं कर पाई तो केवल वित्तीय आकलन। अब वित्त विभाग को चिंता सताने लगी है और उसने सभी विभागों से आनन-फानन में जानकारी मांगी है कि उनके यहां कितने संविदा कर्मचारी काम कर रहे हैं और उन पर शासन के निर्णय से कितना वित्तीय भार पड़ेगा? फिलहाल सरकार के पास अभी इस तरह की कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है, जिसमें ये पता चलता हो कि संविदा कर्मचारियों पर सरकार की महेरबानी से सरकार के खजाने पर कितना भार पड़ेगा।
राज्य सरकार ने जो निर्णय लिया है उसके मुताबिक संविदा कर्मचारियों को बढ़े हुए वेतनमान का फायदा एक अगस्त से मिलेगा। यानी अगस्त में जो वेतन बनेगा और जो सितंबर में देय होगा, उसमें संविदा कर्मचारियों को बढ़े हुए वेतन का लाभ मिलेगा। इसलिए वित्त विभाग की चिंता बढ़ गई है क्योंकि अभी उसे विभागवार संविदा वाले कर्मचारियों की जानकारी विभागों से नहीं मिली है। एक अनुमान के हिसाब से प्रदेश के सभी विभागों में लगभग 2.50 लाख संविदा कर्मचारी है। जिनको राज्य सरकार के निर्णय से फायदा होना है। वित्त विभाग ने माना, सरकार के वित्तीय संसाधनों पर पड़ेगा अतिरिक्त भार वित्त विभाग ने सभी अपर मुख्य सचिव, प्रमुख और सचिव को गुरुवार को ही पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा राज्य सरकार के विभागों में संविदा पर नियुक्त अधिकारियों, कर्मचारियों के संबंध में विस्तृत दिशा- निर्देश संबंधी परिपत्र भी भेजा है।
वित्त विभाग ने सभी विभागों से कहा है कि निर्देशों के क्रियान्वयन से राज्य सरकार के वित्तीय संसाधनों पर अतिरिक्त वित्तीय भार की संभावना है। अतिरिक्त व्यय भार के आकलन के लिए सभी विभागों से जानकारी 31 जुलाई तक या उससे पहले मांगी गई है। इस तरह विभागों को जानकारी देने के लिए महज 4 दिन का ही समय दिया गया है। वित्त ने विभागों से पूछा, क्या अंतर की राशि का व्ययभार केंद्र सरकार के अंश से संभव होगा? वित्त विभाग ने सभी विभागों को बाकायदा 4 प्रपत्र भी जारी किया है, जिसमें उन्हें संविदा अधिकारियों, कर्मचारियों से जुड़ी सभी जानकारी वित्त विभाग को उपलब्ध कराना है। वित्त विभाग ने विभागों से केंद्र सहायिक योजना के तहत स्वीकृत संविदा पदों की जानकारी मांगी है। इसमें स्वीकृत पदों की संख्या, स्वीकृत पदों के विरुद्ध कार्यरतों की संख्या, योजना अंतर्गत केंद्र सरकार से प्रशासनिक व्यय में भागीदारी का प्रतिशत, योजना के तहत केंद्र सरकार के प्रशासनिक व्यय में भागीदारी की राशि, वर्तमान परिश्रमिक की स्थिति में एक वित्तीय वर्ष में भुगतान की कुल राशि के संबंध में जानकारी मांगी गई है।
साथ ही वित्त विभाग ने विभागों से पूछा है कि क्या अंतर की राशि का व्ययभार योजना के तहत केंद्र सरकार के अंश से संभव होगा? राज्य से वित्त पोषित संविदा पदों की जानकारी भी मांगी वित्त विभाग ने विभागों से राज्य से वित्त पोषित संविदा पदों की जानकारी भी मांगी है। जिसमें भी विभागों से संविदा पदों की जानकारी, स्वीकृत पदों की संख्या, वर्तमान पारिश्रमिक की स्थिति में एक वित्तीय वर्ष में भुगतान की कुल राशि और 22 जुलाई 2023 के परिपत्र के मुताबिक निर्धारित पारिश्रमिक अनुसार एक वित्तीय वर्ष में कुल देय राशि का ब्यौरा मांगा गया है। इतना ही नहीं वित्त विभाग ने विभागों से जानना चाहा है कि अंतर की राशि कितनी होगी?
ये भी जानना चाहा है कि क्या अंतर की राशि का व्ययभार योजना के तहत प्रावधानित बजट से संभव होगा? यदि नहीं तब आवश्यक अतिरिक्त प्रावधान कितना होगा? वित्त विभाग ने संविदा पर कार्यरत अधिकारियों, कर्मचारियों को नियमित पदों का समकक्ष वर्गीकरण के संबंध में भी विभागों से ब्यौरा मांगा है। इसी तरह संविदा के ऐसे स्वीकृत पदों,जिनके समकक्ष नियमित पदों अथवा सुसंगत वेतनमान के वर्गीकरण में कठिनाई है? तो इसकी जानकारी भी देने कहा है।
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