भोपालः राजधानी के स्कूलों से क्यों हो रहे 'बच्चे लापता'

भोपाल,मध्यप्रदेशः राजधानी के स्कूलों में स्कूली बच्चे हो रहें है लापता, अब तक 5 वर्षो में 20 हजार बच्चों के लापता होने के आंकड़े आए सामने।
कक्षाओं में बच्चें है नदारद
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राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में पांच साल के बीच करीब 20 हजार बच्चों के लापता होने के आंकड़े सामने आए। जिसमें स्कूल की उपस्थिति रजिस्टर में इन बच्चों के नाम तो दर्ज हैं लेकिन उपस्थिति कक्षाओं में नदारद हैं। इन्हें खोजने के लिए अफसरो और संबंधित अधिकारियों को सूची सौंपी गई थी जिसमें वार्डो के नामों के दिए गए हैं, लेकिन बच्चा कहां रहता है संबंधित पते नहीं है।

बीआरसीसी को थमाई बिना पते की सूचीः

राज्य शिक्षा केन्द्र के बताया कि, वर्ष 2013 से अब तक के आंकड़ो की मानें तो 20 हजार बच्चे ऐसे है जिनका नाम स्कूलों में दर्ज है और दाखिला हुआ है,लेकिन प्रतिदिन स्कूलों में अध्ययन के लिए नहीं पहुंच रहे हैं। इस मामले पर तुरंत कार्रवाई कर शिक्षा केंद्र ने बीआरसीसी को वार्डो के अनुसार सूची सौंपी गई ।

बीआरसीसी का कहना है, कि जो सूची सौंपी गई, उसमें सिर्फ वार्डों के नाम दिए गए हैं कि बच्चे कहां रहते हैं लेकिन इन वार्डो में एक वार्ड में तीन से चार कॉलोनियां है जिसमें बच्चों को बिना पते के ढूंढ पाना मुश्किल है केवल मोबाइल नंबर दिए गए हैं इनमें से कुछ नंबर बंद बता रहे और कुछ नंबरों पर संपर्क हो रहा है तो उनका कहना है कि बच्चा स्कूल से पढ़ाई खत्म कर चुका है।

सर्वाधिक निजी स्कूलों के बच्चें हो रहे है लापताः

इस संबंध में संचालित स्कूल के प्राचार्य या शिक्षकों से इन बच्चों की तलाशी करवाई जानी चाहिए, लेकिन यह संभव नहीं हो पाया तो फिर होना यह चाहिए कि जिस स्कूल में बच्चे का दाखिला हुआ है, उसी स्कूल के प्राचार्य या हेडमास्टर के द्वारा खोज की जानी चाहिए।

बीआरसीसी की मानें तो सबसे ज्यादा लापता बच्चे प्रायवेट स्कूलों के हैं। इस कारण स्कूल संचालकों से इसका जवाब लिया जाना चाहिए। वही खोज करें तो बेहतर होगा, नहीं तो इन पर ठोस कार्यवाही की जाए।

बैठक का विरोध, अफसरों को नहीं ज्ञान:

इस संबंध में राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा शहीद नगर मिडिल स्कूल में एक बैठक रखी गई थी। इस बैठक में डीपीसी के अलावा सभी बीआरसीसी और जनशिक्षक शामिल हुए। राज्य शिक्षा केन्द्र की ओर से समन्वयक आरके पांडेय एवं राकेश दुबे शामिल हुए थे। इन अधिकारियों ने निर्देश दिए कि 15 अक्टूबर तक स्कूलों से गायब सभी बच्चों की तलाशी का कार्य पूरा होना चाहिए। इन्होंने यह भी कहा कि एक दिन में एक शिक्षक दो बच्चों की खोज करेगा। इधर बैठक संपन्न होने के बाद जनशिक्षक और बीआरसीसी ने बैठक का विरोध जताते हुए इन अधिकारियों को कोई जानकारी ना होने की बात कही। कंप्यूटर पर सूची निकाल ली और हमें बच्चों को खोजने का फरमान जारी कर दिया। बिना पते के आखिर कैसे बच्चों की खोज की जा सकती है।

डीपीसी ने खोजने के कार्य को बताया संभवः

डीपीसी प्रभाकर श्रीवास्तव ने कहा है कि यह काम संभव है। फंदा ग्रामीण बीआरसीसी रवीन्द्र जैन ने अब तक दो हजार बच्चों की खोज कर ली है। उनके क्षेत्र में 11 हजार बच्चे लापता है।उन्होंने कहा कि चूंकि ग्रामीण क्षेत्र में दिक्कत कम होती है, लेकिन यदि कोई काम करना चाहे तो कुछ कठिन नहीं है। उन्होंने बताया कि बैरसिया बीआरसीसी ने 500 बच्चों की तलाशी कर ली है, लेकिन शहर के दोनों बीआरसीसी क्षेत्रों में यह काम अब तक नहीं हुआ है।

आरटीई में बच्चों की तलाशी से संबंधी चल रहा है फर्जीवाड़ाः

राज्य शिक्षा केंद्र ने जो सूची बीआरसीसी को सौंपी है। उसके अनुसार सबसे ज्यादा वह बच्चे

गायब हैं, जिनका दाखिला प्रायवेट स्कूलों में बताया गया है। इस संबंध में शिक्षक स्वयं बता रहे हैं कि यह बच्चे इस वर्ष हुए प्रवेश के नहीं है। इन बच्चों का दाखिला पांच साल पहले का है। इस कारण यह भी तय है कि प्रायवेट स्कूलों ने अधिकारियों से सांठगांठ कर फर्जी प्रवेश करके आरटीई के तहत बच्चों की फीस प्रतिपूर्ति राशि ली है। इनकी लापरवाही और लालच के कारण ही राजधानी में के प्रायवेट स्कूलों में लगातार फर्जीवाड़ा चलता रहा है।

इनका कहना है..

हमने जो सूची दी है, उसमें दो कैटागिरी हैं। पहली तो यही कि जो बच्चे दर्ज हैं, इनकी आईडी मैपिंग में नहीं आ रही है। इस कारण इनका वेरिफिकेशन जरूरी है ताकि स्थिति स्पष्ट हो चुके। दूसरे कुछ प्रवेश योग्य बच्चे हैं, उन्हें भी तलाशने की हमने जरूरत समझी है। इस कारण यह बैठक ली गई थी।

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