Bhopal : राजधानी में ही अरबों की वक्फ संपत्ति कानूनी लड़ाई में फंसी
भोपाल, मध्यप्रदेश। मप्र वक्फ बोर्ड की अरबों रुपये की संपत्ति पर सरकारी विभागों से लेकर आम लोग तक कब्जा जमाए बैठे हैं। लेकिन सालों से मामले अदालतों में हैं, या फिर ट्रिब्यूनल में विचाराधीन हैं। लाखों रुपये खर्चने के बाद भी नतीजा सिफर है। राजधानी की बात करें तो यहां महत्वपूर्ण सरकारी इमारतें वक्फ की प्रापर्टी पर शान से लहरा रहीं हैं। बोर्ड असहाय नजर आ रहा है और कानूनी दावपेंचों में अरबों रुपये की वक्फ संपत्तियां वाकिफ की मंशा के खिलाफ बेजाकब्जों में उलझी हुई हैं। पुलिस मुख्यालय से लेकर पुलिस कंट्रोल रूम तक वक्फ अपनी प्रापर्टी होने का दावा करता है। हालांकि कानूनी लड़ाई में वक्फ की उदासीनता और दुर्बलता के आगे शहर के 3 दर्जन से ज्यादा सरकारी कार्यालयों के कब्जे आज तक बेदखल नहीं हो सके हैं।
पुलिस कंट्रोल रूम भी बना है, कब्रिस्तान पर :
वक्फ सूत्रों की मानें तो नया पुलिस कंट्रोल रूम वक्फ बोर्ड की जायजाद है। यह फौजियान कब्रिस्तान के नाम से वक्फ संपत्ति में दर्ज है। पहले यहां जहांगीराबाद थाना हुआ करता था इसके बाद सीएसपी जहांगीराबाद का कार्यालय फिर डीएसपी ट्रैफिक का ऑफिस बनने के बाद अब ट्रैफिक थाना इस परिसर में मौजूद है। करीब 3 एकड़ के इस वक्फ में कई कब्रें भी पहले मौजूद थी, जो अब नजर नहीं आती हैं। इसके अलावा बोर्ड का दावा है कि ईदगाह के सामने सरकारी बंगले (पार्किंग से लगे)हमीदिया अस्पताल मरच्युरी के पास लगे सरकारी बंगले और एक नंबर रेलवे स्टेशन के सामने पुलिस चौकी भी वक्फ जायदाद का हिस्सा है।
चार करोड़ का किराया जमा करने का हुआ था आदेश :
फौजियान कब्रिस्तान की लगभग 3 एकड़ जमीन को लेकर मामला वक्फ ट्रिब्यूनल में था। 2016 में ट्रिब्यूनल ने पुलिस विभाग को वक्फ संपत्ति मानते हुए 4 करोड़ रूपये किराया अदा करने के लिए अपने आदेश में कहा था। इसके बाद मामला ट्रिब्यूनल से अपील में चला गया। लेकिन ना तो बोर्ड को 4 करोड़ रूपये किराया मिला और ना ही वक्फ की संपत्ति से कब्जा हटा। अभी भी मामला विचाराधीन है।
नूरबाग वक्फ में है पीएचक्यू :
वक्फ बोर्ड का दावा है कि पुलिस मुख्यालय भी वक्फ संपत्ति है। यह करीब 5 एकड़ से ज्यादा की जमीन नूरबाग वक्फ के नाम से बोर्ड के दफ्तर में दर्ज है। लेकिन इस मामले में भी कानूनी दावपेंच और सियासी दखलंदाजी के चलते बोर्ड असहाय नजर आ रहा है। जबकि नूरबाग कब्रिस्तान में पीएचक्यू के अलावा डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी कॉलेज पुराना बेनजीर कॉलेज समेत तोपखाने वाली मस्जिद शामिल है। इसके आलावा छोटे तालाब के पास जैन मंदिर के पीछे एक संपत्ति जिसमें पहले एसबीआई बैंक संचालित होता था, लेकिन अब वह बंद पड़ा हुआ है। यह भी वक्फ की जायजादों में शामिल है। कुल मिलाकर शहर में 3 दर्जन से ज्यादा सरकारी कार्यालय वक्फ की संपत्तियों पर संचालित किये जा रहे हैं। लेकिन वक्फ की उदासीनता और सियासी दखलंदाजी के चलते वक्फ बोर्ड मूक दर्शक की भूमिका में है।
इनका कहना है :
राजधानी समेत प्रदेश में वक्फ संपत्तियों पर सरकारी और गैर सरकारी लोग काबिज हैं। लेकिन मप्र वक्फ बोर्ड कानूनी लड़ाई सशक्त ढंग से नहीं लड़ रहा है। यही वजह है कि अरबों रुपयों की संपत्ति पर बेजा कब्जे हैं।
आरिफ मसूद, विधायक
मेरे कार्यकाल के दौरान वर्ष 2016 में फौजियन कब्रिस्तान के मामले में ट्रिव्यूनल ने 4 करोड़ रुपये किराया तय कर पुलिस विभाग को वक्फ बोर्ड को देने का आदेश दिया था, मामला अपील में चला गया था बाकी जानकारी मुझे नहीं है।
शौकत मोहम्मद खान, पूर्व चैयरमैन मप्र वक्फ बोर्ड, भोपाल
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