भोपाल, मध्यप्रदेश। प्रदेश के प्राइवेट स्कूलों को आरटीई के तहत मिलने वाली फीस प्रतिपूर्ति का भुगतान समय से नहीं हो रहा है। यह आरोप प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने लगाया है। इधर राज शिक्षा केंद्र मैं अधिकारियों का कहना है कि नियम के अनुसार पूरा काम हो रहा है। इसकी नियमित समीक्षा हो रही है।
स्कूल एसोसिएशन का कहना है कि शिक्षा अधिकार अधिनियम के अंतर्गत निशुल्क प्रवेश लेने वाले बच्चों को पढ़ाने के बाद स्कूल संचालकों को फीस प्रतिपूर्ति का भुगतान प्राप्त करने हेतु तरह-तरह के जतन करने पड़ हैं। शिक्षा अधिकार अधिनियम में स्पष्ट उल्लेख है कि सत्र के अंत तक भुगतान हो जाना चाहिए।
एसोसिएशन के अध्यक्ष अजीत सिंह का आरोप है कि, भुगतान को सही समय पर करने के लिए राज्य शिक्षा केंद्र ने भी अनेकों नियम बनाए, परंतु यह नियम केवल फाइल की शोभा बनकर रह गए हैं। इसका क्रियान्वयन मध्य प्रदेश के किसी जिले में नहीं हो रहा है। इसका परिणाम स्कूल संचालक भुगत रहे बच्चों को 3 से लेकर 4 साल पढ़ाने के बाद भुगतान के लिए तरह-तरह के प्रयत्न करने पड़ रहे है। जोकि पूरी तरह से नियम विरुद्ध है। पूरा प्रदेश कोविड-19 की मार झेल रहा है। स्कूलों में मार्च के बाद से आज दिनांक तक फीस जमा नहीं हुई है। आरोप है कि स्कूल संचालक खुद के पैसे जो राज शिक्षा केंद्र के पास पड़े हे। उनके भुगतान के लिए रोज नए-नए आवेदन ज्ञापन दे रहे हैं। परंतु मध्य प्रदेश के समस्त डीपीसी एवं राज्य शिक्षा केंद्र के अधिकारी गहरी निद्रा में सोए हुए हैं। खुद के बनाए हुए नियम इन्हें याद आ रहे है। उन्होंने कहा है कि राज्य शिक्षा केंद्र हमें कोई सहायता आर्थिक पैकेज भले न दे, परंतु हम संचालकों के खून पसीने मेहनत की राशि समय से मिल जाए। इसके लिए जब संचालक डीपीसी कार्यालय जाता है तो भुगतान तो दूर वहां बैठे हुए लोग लेन-देन की बात करने लगते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति तो और भयावह है। राज शिक्षा केंद्र में अधिकारियों का कहना है कि फीस प्रतिपूर्ति की राशि का भुगतान समय से हो रहा है। इसकी नियमित रूप से समीक्षा भी की जा रही है।
प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष अजीत सिंह का कहना है कि राजधानी भोपाल का छोटा सा उदाहरण है। अभी वर्तमान स्थिति को देखें तो भोपाल में वर्ष दो हजार सोलह सत्रह के 182 प्रपोजल है। इनमें करीब 1197 बच्चे इनका भुगतान होना है। अजीत सिंह के अनुसार वर्ष दो हजार सत्रह अट्ठारह में 255 प्रपोजल हैं, इसमें 3336 बच्चों का भुगतान शेष है। भोपाल जिले में 15 जुलाई 2020 के बाद 1 माह से अधिक समय हो गया। किसी एक भी बच्चे का भुगतान नहीं हुआ है।
प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन मांग करता है कि आरटीई में भोपाल जिले में जुड़े भ्रष्ट लोगों को हटाया जाए। आरटीई के नियम का पालन करते हुए स्कूल संचालकों की रुकी हुई थी तुरंत भुगतान कराई जाए। इधर जिला शिक्षा अधिकारी नितिन सक्सेना ने दूरभाष पर बताया है कि फीस प्रतिपूर्ति के जितने भी प्रकरण थे। उनका निराकरण कर दिया गया है।
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