राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश में वन विभाग द्वारा जानवरों और जीव-जंतुओं की सुरक्षा के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं वहीं बाघों की संख्या कम होने के चलते प्रदेश ने टाइगर स्टेट का तमगा खो दिया था, जिसे प्रयासों के साथ हाल ही में वापस पाया है। इसी तर्ज पर वाइल्ड लाइफ स्टेट ऑफ इंडिया ने हाल ही रिपोर्ट जारी की, जिसमें घड़ियाल स्टेट की श्रेणी में मध्यप्रदेश ने नंबर वन स्थान बनाया वहीं दूसरे नंबर पर केरल है। इस उपलब्धि के लिए वनमंत्री उमंग सिंघार ने खुशी जाहिर करते हुए अधिकारियों को इसका श्रेय दिया है।
चंबल क्षेत्र में घड़ियालों की संख्या में हुआ इजाफा :
बता दें कि, वर्ष 1980 के दौरान दुनियाभर में घड़ियालों की संख्या में कमी देखी गई थी उस दौरान केवल 200 घड़ियाल ही बचे थे, जिसके बाद मुरैना की चंबल नदी में घड़ियालों की सक्रियता को देखते हुए 435 किमी के क्षेत्र में फैले भाग को चंबल घड़ियाल अभ्यारण्य घोषित का दर्जा दिया गया। मध्यप्रदेश में घड़ियालों, बाघों और अन्य जीव-जन्तुओं की संख्या को लेकर प्रयास किए गए जिसके बाद 526 बाघों के साथ प्रदेश को टाइगर स्टेट का तमगा वापस मिला वहीं 1255 घड़ियालों के साथ घड़ियाल स्टेट की उपलब्धि भी मिली है। वहीं बिहार की गंडक नदी में 255 घड़ियालों की संख्या ही दर्ज की गई है। इसे प्रदेश की जलीय जीव के संरक्षण और संवर्धन के मामले में एक उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है।
ग्रो एंड रिलीज प्रोग्राम की बढ़ी उपयोगिता :
इस संबंध में प्रदेश में घड़ियालों की संख्या में वृद्धि करने के लिए ग्रो एंड रिलीज कार्यक्रम चलाया गया, जिसमें यहां घड़ियाल के अंडे लाए जाते हैं और उनसे निकलने वाले बच्चे को तीन साल तक पाला जाता है। इसके बाद हर साल 200 घड़ियाल को इसके तहत नदी में छोड़ा जाता है। जिसके लिए अभ्यारण्य घोषित करने के साथ ही देवरी ईको सेंटर भी बनाया गया है। वहीं प्रदेश के वन मंत्री उमंग सिंघार ने इस उपलब्धि का श्रेय विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को दिया है। उनका कहना है कि अधिकारियों ने मेहनत और दिन रात परिश्रम किया है, उनकी मेहनत की वजह से मध्यप्रदेश को घड़ियाल स्टेट का स्थान मिला है।
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