भोपाल, मध्यप्रदेश। पिछली कमलनाथ सरकार में 9 अगस्त को आदिवासी दिवस पर अवकाश घोषित करने को लेकर अब भ्रम पैदा हो गया है। मौजूदा वर्ष में सरकार की ओर से कोई स्पष्ट आदेश जारी नहीं किया गया है। हां इतना जरूर है कि आदिवासी बाहुल्य जिलों में कलेक्टर ने शत प्रतिशत अवकाश के आदेश घोषित किए हैं। मंडला में कलेक्टर ने इस प्रकार का आदेश जारी किया है लेकिन राज्य स्तर से ऐसा कोई आदेश नहीं हुआ है।
बताना होगा कि आदिवासी दिवस पर मौजूदा वर्ष के कैलेंडर भी अलग-अलग उल्लेख कर रहे हैं। सरकारी कैलेंडर में जहां ऐच्छिक अवकाश है प्राइवेट एजेंसियों द्वारा प्रकाशित गए कैलेंडर में पूरी छुट्टी बताई गई है। इधर सोमवार को 9 अगस्त के दिन सरकार की ओर से कोई आदेश जारी ना होने के कारण असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कारण है कि सोमवार को विधानसभा का मानसून सत्र प्रारंभ हो रहा है। इस कारण सरकारी कार्यालयों का संचालन भी जरूरी है। कई विभागों और निगमों में ऐच्छिक अवकाश के आदेश जारी किए गए। मध्य प्रदेश स्टेट सिविल एंप्लाइज कारपोरेशन के प्रबंधक अभिजीत अग्रवाल ने ऐच्छिक अवकाश का आदेश जारी किया है। अन्य विभागों में भी इसी तरह का आदेश हुआ है। अजाक्स संगठन मंत्रालय इकाई के अध्यक्ष घनश्याम भकोरिया का कहना है कि सरकार को आदिवासी दिवस पर स्पष्ट आदेश जारी करना चाहिए। क्योंकि प्रदेश में 21 प्रतिशत आदिवासियों की आबादी है जो जल जंगल और जमीन पर निर्भर है। उन्होंने बताया है कि आदिवासी जिलों में कलेक्टर ने पूर्व अवकाश घोषित किया है। जबकि प्रदेश स्तर से कोई आदेश नहीं हुआ है। आदिवासियों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ नहीं होना चाहिए। तृतीय वर्ग कर्मचारी संगठन के नेता उमाशंकर तिवारी का कहना है कि आदिवासी दिवस पर स्पष्ट आदेश ना होने के कारण भ्रम की स्थिति बनी हुई है।
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