Bhopal News: कांग्रेस पार्षदों का दावा: पेयजल को साफ करने वाले ब्लीचिंग पॉवडर और फिटकिरी ही जांच में फेल
हाई लाइट्स:
भोपाल नगर नुगम का ब्लीचिंग पॉवडर और फिटकिरी मैनिट की लैब में फेल
भोपाल का पानी पीने योग्य नहीं,नेता प्रतिपक्ष शबिस्ता जकी ने किया दावा
आशुद्ध पेयजल से लीवर, फेफड़े, त्वचा और किडनी में इंफेक्शन होने का खतरा
भोपाल। शहर की 25 लाख आबादी को सप्लाई होने वाले आशुद्ध पेयजल से लीवर, फेफड़े, त्वचा और किडनी में इंफेक्शन होने का खतरा है, क्योंकि जिस ब्लीचिंग पॉवडर और फिटकिरी से पानी को फिल्टर किया जाता है, वह मैनिट की लैब में फेल हो गई है। यह दावा कांग्रेस पार्षदों ने किया है। शुक्रवार को नेता प्रतिपक्ष शबिस्ता जकी श्यामला हिल्स फिल्टर प्लांट मीडिया को लेकर पहुंची और उन्होंने जांच रिपोर्ट के साथ ही ब्लीचिंग पॉवडर व फिटकिरी के सैम्पल बताए। श्यामला हिल्स पर नगर निगम का 4.5 एमजीडी का फिल्टर प्लांट है।
इस प्लांट से करीब ढाई लाख आबादी को पानी सप्लाई किया जाता है। इसी तरह के 14 पंप हाउस और फिल्टर प्लांट शहर के अलग-अलग इलाकों में बने हैं। श्यामला फिल्टर प्लांट में निगम का वॉटर वर्कस डिपार्टमेंट ब्लीचिंग पॉवडर और फिटकिरी का स्टोर करता है। इसी जगह से दूसरे फिल्टर प्लांटों में फिटकिरी भेजी जाती है, ताकि पानी को फिल्टर किया जाकर घर-घर पानी सप्लाई किया जा सके। नेता प्रतिपक्ष शबिस्ता जकी ने हाल ही में ब्लीचिंग पॉवडर और फिटकिरी का सैंपल लेकर मैनिट जांच के लिए भेजा था। जिसकी रिपोर्ट आ गई है।
शुक्रवार को नेता प्रतिपक्ष, कांग्रेस पार्षद गुड्डू चौहान के साथ मीडिया को लेकर श्यामला फिल्टर प्लांट पहुंची। जहां उन्होंने बताया कि पूरे भोपाल का पानी पीने योग्य नहीं है। जांच में सामने आया है कि इन्सोलवल मेटर अघुलनशील पदार्थ 19.8 प्रतिशत पाया गया है। जबकि आईएस कोड अनुसार ग्रेड 4 फिटकिरी के लिए न्यूनतम 0.2 प्रतिशत होना चाहिए। इसी प्रकार ब्लीचिंग पॉवडर के नमूनों की जांच में भारतीय मानक कोड 1065-1989 के अनुसार ग्लोरिन में मिलावट पाई गई। जबकि आईएस कोड के अनुसार 1 ग्रेड के लिए न्यूनतम 34 प्रतिशत, ग्रेड 2 के लिए 32 प्रतिशत होना चाहिए। फिल्टर प्लांट में मौजूद क्लोरीन का आईएस के अनुसार जरूरत से बहुत कम है।
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