Bhopal : जिन प्रायवेट स्कूलों को केन्द्र बनाया गया उन पर बोर्ड की ज्यादा नजर
भोपाल, मध्यप्रदेश। सप्ताह भर बाद प्रदेश में संपादित होने जा रही बोर्ड परीक्षाओं को लेकर माध्यमिक शिक्षा मंडल की नजर हर क्षेत्र में है। कलेक्टरों से कहा गया है कि जो नियम हैं। उसके अनुसार उनके प्रतिनिधि की मौजूदगी में थानों से प्रश्न पत्र उठाये जाएंगे। जिन प्रायवेट विद्यालयों को परीक्षा केन्द्र बनाया गया है, वहां सबसे ज्यादा निगरानी की जरूरत मंडल ने बताई है।
प्रदेश में एक मार्च से दसवीं एवं बारहवीं की परीक्षाओं का इम्तिहान होने जा रहा है। राज्य में तकरीबन 20 लाख परीक्षार्थी इस परीक्षा में सम्मिलत हो रहे हैं। मंडल की सबसे अधिक चिंता यह है कि इस बार सबसे ज्यादा प्रायवेट स्कूलों को सेंटर बनाया गया है। कारण है कि अधिकतर सीएम हायर सैकेण्डरी विद्यालयों को सीएम राइज में बदलने पर मजबूरन प्रायवेट स्कूलों को सेंटर बनाना पड़ रहा है। बोर्ड के पास जो मैदानी रिपोर्ट आई है, उसके अनुसार प्रायवेट स्कूलों में बनाये गये केन्द्रों पर परीक्षाओं की गोपनीयता भंग हो सकती है। इस कारण कलेक्टरों को भी सचेत रहने के लिए कहा गया है।
राजधानी में आ चुकी हैं पहले भी कई शिकायतें :
बोर्ड में अधिकारी स्वयं स्वीकार कर रहे हैं कि कुछ साल पूर्व राजधानी में ही प्रश्न पत्रों की गोपनीयता भंग होने की शिकायतें आ चुकी हैं। अधिकारियों का कहना है कि प्रश्न पत्र तय समय के पूर्व ही खुल जाया करते थे। यह पूरी शिकायतें प्रायवेट स्कूलों की रही हैं। इस कारण भोपाल सहित समस्त जिलों में कलेक्टरों को निर्देश दिए गए कि जितने भी निजी विद्यालयों में परीक्षा सेंटर बनाये गये हैं। उन पर बारीकी से नजर रखी जाए। मंडल सेक्रेटरी श्रीकांत बनौठ ने कलेक्टरों से कहा कि वह अपने स्तर पर निरीक्षण दलों का गठन करें। जहां गड़बड़ी पाई जाती है तो वह कार्यवाही के लिए भी स्वतंत्र हैं।
बोर्ड के अमले की भी निगरानी जरूरी :
मप्र राज्य कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष विश्वजीत सिंह सिसौदिया ने शिक्षामंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि परीक्षाओं के दौरान बोर्ड कर्मचारी और अधिकारियों की भी निगरानी होना चाहिए। सिसौदिया कहते है कि खासकर प्रायवेट विद्यालयों के संचालकों और बोर्ड अमले की भौतिक और ऑनलाइन मुलाकात पर नजर जरूरी है। उन्होंने कहा कि नकल माफिया और बोर्ड अधिकारी कर्मचारियों के संबंध कई बार उजागर हुए हैं। पूर्व की घटनाएं इस बात का उदाहरण है। इस कारण इन पर भी सख्ती से कलेक्टरों को नजर रखना चाहिए। ताकि पारदर्शी तरीके से परीक्षाएं संपादित हो सकें। उन्होंने यह मांग भी उठाई है कि मंडल में सालों से जमे अधिकारियों की शाखाओं में तत्काल बदलाव होना चाहिए।
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