महुआ शराब में निशाने पर आदिवासी, ठेकेदारों पर मेहरबान आबकारी विभाग
महुआ शराब में निशाने पर आदिवासी, ठेकेदारों पर मेहरबान आबकारी विभागSocial Media

Betul: महुआ शराब में निशाने पर आदिवासी, ठेकेदारों पर मेहरबान आबकारी विभाग

बैतूल, मध्यप्रदेश। जिले में अवैध रूप से बिक रही शराब के मामलों में आबकारी विभाग दोहरा रवैया अपना रहा है, लेकिन देशी विदेशी ठेकों पर उड़ रही नियमों की धज्जियां अधिकारियों को दिखाई नहीं दे रही।
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बैतूल, मध्यप्रदेश। एमपी के बैतूल जिले में अवैध रूप से बिक रही शराब के मामलों में आबकारी विभाग दोहरा रवैया अपना रहा है। महुये से बनी कच्ची शराब नष्ट करने के लिए सीधे-सीधे जिले के आदिवासी निशाने पर हैं, एक के बाद एक कार्रवाई की जा रही हैं। बड़े पैमाने पर महुआ कच्ची शराब नष्ट की जा रही है। लेकिन करोड़ों के देशी विदेशी ठेकों पर उड़ रही नियमों की धज्जियां आबकारी अधिकारियों को दिखाई नहीं दे रही, सर्वविदित है कि जिले में देशी विदेशी शराब की सप्लाई गांव-गांव हो रही है लेकिन आबकारी की एक भी कार्रवाई न होना कई सवाल भी खड़े कर रही है। यही नहीं देशी-विदेशी शराब दुकानों पर अनाधिकृत रूप से पूरे कायदे कानून ताक पर रख दिये गए हैं।

देशी ठेके पे विदेशी भी उपलब्ध

आबकारी द्वारा शराब ठेकों की नीलामी अलग-अलग देशी और विदेशी दुकानों के रूप में की जाती है। नियम के अनुसार- विदेशी ठेके पर देशी शराब नही बेची जा सकती है और न ही देशी ठेके पर विदेशी शराब। लेकिन आबकारी अधिकारी की शह पर खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, देशी ठेके पर आसानी से विदेशी शराब उपलब्ध हो रही है तो वही विदेशी ठेकों पर देशी। लेकिन आबकारी विभाग का एक भी बंदा कभी इन दुकानों के आकस्मिक निरीक्षण के लिए नहीं पहुंचता। जानकारों का मानना है कि पूरा खेल सेटिंग का है । क्योंकि सुरा प्रेमी तो पूरी सुविधा ले रहा है लेकिन इसकी जानकारी आबकारी अधिकारियों को न होना गले उतरने वाली बात नहीं है।

इस पूरे मामले की जब गंभीरता से पड़ताल की गई तो पूरा खेल मनीराम का सामने आया। जानकार सूत्रों ने बताया कि करोड़ों का ठेका लेने वाला ठेकेदार यदि दुकान के ही भरोसे काम करता है तो उसके लिए यह घाटे का धंधा साबित होता है। मुनाफा बढ़ाने के लिए गांव गांव देशी विदेशी शराब की अवैध सप्लाई करनी होती है। जो नियम के खिलाफ है, लेकिन ठेकेदार को लाभ पहुंचाने की दृष्टि से पूरी सेटिंग की जाती है यही वजह है कि ठेकेदारों के वाहन गांव-गांव पहुंचकर दारू फेंकने के काम मे लगे हुए हैं। इसके ठीक विपरीत महुये से बनी कच्ची शराब के अड्डों पर इसलिए कार्रवाई की जा रही है क्योंकि इससे भी ठेकेदार को ही फायदा पहुंचेगा, कच्ची शराब ठिकानों पर कार्रवाई होगी तो लोगों को मजबूरी में देशी या फिर विदेशी शराब खरीदकर अपने शौक पूरा करना पड़ेगा। आबकारी विभाग को निष्पक्ष कार्यवाही करने की जरूरत है ।

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