होशंगाबाद: नानुपुरा झोत के जंगल में प्रकृति का अनूठा सौंदर्य

होशंगाबाद,इटारसी: नानुपुरा झोत ऐसा स्थान है,यहां प्रकृति का अनूठा सौंदर्य फैला हुआ हैं व नदियों, गुफाओं,झरनों और कीमती जड़ी बूटियों का भंडार है,साथ ही आदिवासी देवी-देवताओं की अति प्राचीन प्रतिमाएं है।
नानुपुरा झोत के जंगल में प्रकृति का अनूठा सौंदर्य
नानुपुरा झोत के जंगल में प्रकृति का अनूठा सौंदर्य Pankaj Baraiya - RE
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राज एक्‍सप्रेस। आयुध निर्माणी से कुछ दूरी पर सतपुड़ा के जंगलों में नानुपुरा झोत एक ऐसा स्थान है जहां झरनों, नदियों, गुफाए, कीमती जड़ीबूटियां के साथ आदिवासी प्राचीन संस्कृति की झलक, आदिवासियों के देवी-देवताओं की अति प्राचीन प्रतिमाएं जैसे हजारों साल पुराने स्थान मौजूद हैं, जो देश के अन्य भागों में नहीं है। इस क्षेत्र पर मंथन आर्ट एजुकेशन एंड वेलफ़ेयर सोसायटी की टीम द्वारा व्यापक शोध किया गया है, जिससे सारी चीज आम नागरिकों के बीच निकलकर सामने आई हैं।

जामुन के पेड़ की जड़ से निकल रहा पानी :

टीम के सदस्यों ने बताया कि, लाखो वर्ष पुराने प्राचीन ट्राइबल देव नानुपुरा की इस प्राकृतिक झोत में जामुन के पेड़ की जड़ से प्राचीन काल से निरंंतर पानी निकल रहा है, जो साल भर बहता है। यह स्थान ट्राइबल समुदाय का पूजनीय स्थल है, यहाँ प्राचीन समय से प्रत्येक वर्ष मेला एवं ट्राइबल पूजन का कार्यक्रम होता आ रहा है।

कई रहस्यमयी किस्से मौजूद :

  • यहाँ आज भी ट्राइबल समाज के उत्पति एवं सृजन के देवता की निशान और जल जंगल जमीन की रहस्यमयी किस्से मौजूद हैं।

  • यहाँ पर ट्राइबल संस्कृति के साथ कई कीमती जड़ी बुटियों की भरमार है।

  • इस झोत के ठीक पास 2 बड़े लगभग 50 फिट ऊंचे झरने हैं, जो बारिश में इस जगह की खूबसूरती को बढ़ा देते हैं।

  • झोत के पास जंगलों करीब 30 छोटे ओर 12 बड़े झरने हैं।

लाखों साल पुराना प्राचीन ट्राइबल बड़ा देवठाना :

नानुपुरा झोत सतपुड़ा के घने जंगलों में ऑर्डिनेंस फैक्ट्री से महज़ 3 किलोमीटर अंदर है। यहाँ लाखों साल पुराना प्राचीन ट्राइबल बड़ा देवठाना है। यह स्थान जो अपने मे ट्राइबल संस्कृति को समेटे है। यहां 10 से अधिक ट्राइबल देव स्थल है, जिनमेंं बड़ादेव स्थान, आदिशक्ति झोत, पेड़ महादेव, नागमुख देव, खखरा देव, खैरोदाई, बारात, गुफा में स्थित गुप्तेश्वर बड़ादेव, प्रकृति शक्ति थाना सहित ट्राइबल के कई देव स्थल है। इनको ट्राइबल्स लाखों सालों से पूजा करते आ रहे है।

मंथन टीम को मिली सफलता :

मंथन के ट्राइबल संस्कृति खोज अभियान के कार्य में जनजातीय शोध एवं विकास संस्थान वाराणसी उत्तर प्रदेश भी अपना सहयोग प्रदान कर रही है। जनजातीय शोध एवं विकास संस्थान वाराणसी उत्तर प्रदेश द्वारा संचालित आदिवासी गोटुल एवं संस्कृति संरक्षण खोज के अंतर्गत क्षेत्र को खोजने में मंथन टीम को सफलता मिली। इस कार्य से संस्कृति और पर्यटन में काफी बढ़ावा मिलेगा और एक अद्भुत केंद्र की स्थापना हो सकेगी।

कैसे पहुँचे नानुपुरा झोत :

ऑर्डिनेंस फैक्ट्री के ईएमआरएस से दक्षिण दिशा की ओर ग्राम नानुपुरा से सतपुड़ा के जंगलों में कच्चे रास्ते से होकर नानुपुरा झोत तक आप बाइक और कार से आसानी से पहुँच सकते है।

  • नानुपुरा गांव से अंदर आगे 5 मिनिट के बाद एक छोटी नदी आती है, जिसको पार करके 5 मिनिट चलकर एक दुधिया झरना है।

  • इससे आगे 5 मिनट आगे चलने के बाद झूले बाले बाबा का स्थान जहाँ बड़ के पेड़ पर झूले बने हैं, उन पर झूला, झूल सकते हैं।

  • थोड़ा आगे 2 मिनट चलने के बाद 4 नदियों का संगम आएगा, जहाँ से झोत के लिए बाई ओर पूर्व दिशा की तरफ के रास्ते पर जाना होगा।

  • 5 मिनट बाद एक के बाद एक 2 झरने जो झोत के ठीक बाजू में है एवं 60-60 फिट के 2 झरने दिखाई देंगे।

  • इनके ठीक पास में आपको बड़ादेव देवथाना एवं झोत मिलेगी, यहां के दर्शन और झरने के लुफ्त के बाद वापस संगम से दक्षिण दिशा की तरफ अंदर जंगल मे जा सकते है, जहाँ बहुत सारे झरने है।

  • 10 मिनट पैदल चलने के बाद एक बड़ा झरना आता है, जिसमेंं 50 फिट गहरा पानी है और लोग तैराकी सीखते हैं।

2 झरनों का संगम :

इससे आगे नदी के बाजू के रास्ते से अंदर जंगल में जाते है, 7 मिनट आगे फिर 2 झरनों का संगम आता है, इस संगम से बायीं ओर रास्ते पर जाने पर गुफादेव झरना है। जब इस रास्ते से जाते है तो पहले छोटा झरना आता है, इसके आगे जैसे ही आप जाते है तब आपको 90 फिट ऊपर से एक साथ गिरने वाले 4 झरने एक साथ देखने को मिलेगा। इसमें एक झरने का पानी, जिस जगह गिरता है, उसके पीछे बहुत बड़ी गुफा है। इस जगह को गुफ़ादेव झरना कहते है।

रास्ते पर है बहुत बड़ी काली चट्टान :

इसके बाद ऊपर पहाड़ पर आगे दाई ओर के रास्ते पर बहुत बड़ी काली चट्टान है, जिसकी किवदंती अनुसार यह खंडित बारात है और चट्टान दुल्हन की टोली है। इसी जगह से वापस नदी के रास्ते उत्तर दिशा की ओर नीचे दूधिया झरना है। इसके ठीक नीचे नागमुख झरना आता है। जहां की चट्टान नाग के फन की तरह है, जिसके फन के ऊपर से पानी गिरता है। इसके बाद आपको आगे पेड़ महादेव का स्थान मिलेगा। आगे 3-4 गुफाएं और छोटे-छोटे झरने मिलेंगे, आपको पूरी जगह घूमने के लिए 2 घण्टे का समय लगेगा।

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