Barhi : स्वच्छता की कछुआ चाल, टेबल टेंडर बनी मिसाल
बरही, मध्यप्रदेश। प्रधानमंत्री के स्वच्छता मिशन निश्चय ही नगर, प्रदेश व देश के लिये एक अभूतपूर्व क्रांति के रुप में कार्य कर रही है जिसके कारण निश्चय ही लोगों में जागरुकता दिखाई देती है। कई शहरों, ग्रामों व कस्बों में स्वच्छता प्रायः देखने को मिल ही जाती है लेकिन नगर परिषद बरही अंतर्गत यह अभियान जागरुकता शिखर से शून्य की ओर दिखाई पड़ती है। जहां एक ओर इंदौर जैसे महानगर नंबर एक की हैट्रिक लगा चुके हैं तो वहीं दूसरी ओर एक छोटी सी नगर परिषद मात्र 7 अंक ही अग्रेषित कर सकी है। आंकड़ों पर नजर करें तो वर्ष 2020 में परिषद 305 अंक प्राप्त की थी तो वही वर्ष 2021 में वह मात्र 7 अंक बढ़कर 298 पर सिमट गई है, जिसका मूल कारण नगर परिषद व अधिकारी, कर्मचारियों का उदासीन रवैया। परिषद के स्वच्छता अभियान को पलीता लगाते अधिकारी व कर्मचारियों की अनदेखी व निष्क्रिय कार्यप्रणाली के चलते आगामी समय में निश्चय ही नगर परिषद बरही का स्थान नीचे होना तय प्रतीत होता है।
गंदगी का अंबार, अब तो जागो सरकार :
गंदगी का आलम यह कि जहां भी देखों गंदगी, कचरे का ढेर, बदबू, सड़ांध मारती गलियां, बजबजाती नालियां देखने को मिल ही जाती है। संपूर्ण नगर में ऐसा आलम प्रायः देखने को मिल ही जाता है। नगर परिषद के द्वारा स्वच्छता अभियान व स्वच्छता पखवाड़ा के नाम पर महज कुछ घंटों की खानापूर्ति कर सिर्फ कागजी कार्यवाही की जाती है। नगर के कई महत्वपूर्ण इलाकों में जिसमें मैहर रोड, बहरा रोड, बस स्टेण्ड, नये बस स्टेण्ड सहित कई जगहों में कचरे का ढेर देखना आम बात है। बस स्टेण्ड में बनाई गई सभी नालियों जो कि गंदाजल व मल निकासी के लिये बनाई जाती है, लबालब गंदगी से पटी रहती हैं जिससे बस स्टेण्ड में आने जाने वाले यात्रियों की खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, साथ ही नगर के पुराना तालाब, बस स्टेण्ड कटनी रोड का तालाब, ककरहाई तलैया सहित अन्य जल के स्रोतों को भी गंदगी से पटा देखा जा सकता है। स्वच्छता के मापदंड को भी परिषद द्वारा दरकिनार करना परिषद को स्वच्छता स्तर पर पीछे की ओर ले जाता है।
वर्षों से जमे अफसर, अफसरशाही में मशगूल :
नगर परिषद बरही की कुल जनसंख्या लगभग अठारह हजार है जिसमें कुल 15 वार्ड हैं, परिषद में नियमित व दैनिक वेतन भोगियों की संख्या कुल मिलाकर 70 बताई गई है। वार्डों में 02, 12, 13, 14, 15 नंबरों में हप्तों व महीनों में सफाई अभियान चलाकर कार्य किया जाता है, बाकी वार्डाें प्रतिदिन सफाई हेतु कुल 70 सफाई मित्र नियुक्त किये गये हैं लेकिन स्वच्छता के नाम पर मात्र कागजी कार्यवाही की जाती है। प्रायः यह देखने को आया है कि नगर परिषद के मुख्य नगर पालिका अधिकारी को छोड़ दिया जाये तो लगभग सभी लोग वर्षों से अपना अधिकार अंगद के पांव की तरह जमाकर स्थायी निवास का अधिकार पत्रक भी प्राप्त कर चुकें हैं। जिनका नगर व नगर विकास से कोई सरोकार नही है, मतलब है तो सिर्फ अपना उल्लू सीधा करना। जानकारी के अनुसार नगर परिषद के अधिकारी कुछ ऐक ठेकेदारों के साथ मिलकर स्वच्छता से संबंधित आवश्यक वस्तुओं जिनमें फिनाईल, डस्टबिन, बैग, कीटनाशक दवाइयां, ब्लीचिंग पाउडर जैसे अति आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई भी चुपचाप कराकर भुगतान भी कर दिया जाता है, जो कि सिर्फ कागजों तक ही सीमित होता है न कि नगर के हित में उपयोग। इन दिनों नगर परिषद बरही की टेबिल टेंडर की प्रक्रिया नगर बरही में चर्चा का विषय बनी हुई है।
इनका कहना है :
नगर के कई ईलाकों में गंदगी व्याप्त है, सोशल मीडिया, नुक्कड़ नाटक आदि के माध्यम से स्वच्छता कराई जा रही है।
मनोहर बिंझवार, सीएमओ, नगर परिषद, बरही
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