ग्वालियर: उप चुनाव से पहले भाजपा को अंचल में तगड़ा झटका

उप चुनाव से पहले अंचल में भाजपा को बालेन्द्रु के कांग्रेस में जाने से खासा झटका लगा है, क्योंकि उनके सहारे अभी कई लोग कांग्रेस में आ सकते हैं।
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हाइलाइट्स :

  • बालेन्दु के कांग्रेस में आने से मिलेगी अंचल में पार्टी को ताकत

  • ज्योतिरादित्य के भाजपा में आने से बालेन्द्रु को छोड़ऩा पड़ी भाजपा

ग्वालियर, मध्य प्रदेश। राजनीति में भले ही पुराना चेहरा क्यों न हो, लेकिन उसकी पकड़ मजबूत होती है, ऐसे ही नेता के तौर पर बालेन्द्रु की पहचान है। उप चुनाव से पहले अंचल में भाजपा को बालेन्द्रु के कांग्रेस में जाने से खासा झटका लगा है, क्योंकि उनके सहारे अभी कई लोग कांग्रेस में आ सकते हैं। भाजपा भले ही यह कहे कि बालेन्द्रु के जाने से कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन सिंधिया के साथ जिन लोगों ने कांग्रेस से फिलहाल दूरी बना रखी है उनका मन जरूर प्रभावित हो सकता है।

बालेन्द्रु शुक्ला बैंक में नौकरी करते थे, लेकिन माधवराव सिंधिया ने वर्ष 1980 में उनकी नौकरी छुड़वा दी ओर राजनीति मेें लाकर गिर्द विधानसभा से चुनाव लड़वा कर भोपाल विधानसभा भिजवाया था। शुक्ल को माधवराव का बाल सखा माना जाता था, क्योंकि दोनों ही एक साथ पढ़े थे, यही कारण है कि माधवराव सिंधिया उनको खासा महत्व देते थे।

माधवराव सिंधिया के रहते हुए अंचल में बालेन्द्रु के बिना पत्ता तक नहीं हिलता था और महल में किसको जाना है और किससे मुलाकात सिंधिया से कराना है यह उनके ऊपर निर्भर रहता था। एक तरह से माधवराव सिंधिया उन पर खासा विश्वास रखते थे और उस विश्वास को बालेन्द्रु ने निभाने का काम भी किया। वर्ष 2001 में जब माधवराव सिंधिया का निधन हुआ तो उसके बाद से बालेन्द्रु की महल से दूरी होना लगी, क्योंकि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उनको महत्व देना कम कर दिया था, और कुछ दिनों बाद तो शुक्ल के लिए महल के दरवाजे ही बंद कर दिए गए थे।

काफी समय तक शुक्ल घर बैठे रहे, लेकिन अंचल की राजनीति ज्योतिरादित्य सिंधिया के हिसाब से संचालित होती थी जिसके कारण जब वर्ष 2008 में शुक्ल का टिकट कटा तो उन्होंने बसपा से चुनाव लड़ा था, चुनाव में हार मिली ओर उसके बाद उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया था।

जिसके कारण कांग्रेस छोड़ी वह भाजपा में आया तो बदला रास्ता :

बालेन्द्रु शुक्ल में ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा अपमानित किए जाने के कारण कांग्रेस छोड़ी थी, लेकिन अब जब सिंधिया ही भाजपा में आ गए तो बालेन्द्रु को लगने लगा कि सिंधिया के रहते उनको भाजपा में भी महत्व नहीं दिया जाएगा तो तत्काल उन्होंने अपना मन बदलकर शुक्रवार को कांग्रेस का दामन थाम लिया। एक समय था कि अंचल में कांग्रेस की चाहे राजनीति हो या फिर शासकीय मशीनरी अंचल में उनके बिना एक कदम भी आगे नहीं बढ़ती थी।

ब्राह्मण वर्ग में खासा दखल रखने वाले शुक्ल के कांग्रेस में आने से भाजपा को खासा नुकसान हो सकता है साथ ही जो लोग सिंधिया के साथ फिलहाल गए है उनका भी मन बदलने में वह सक्षम हो सकते है, क्योंकि सिंधिया के साथ जो भी कांग्रेसी है उनमें से अधिकांश बालेन्द्रु के संपर्क में रहे हैं।

अंचल में मिलेगी ताकत, संगठन होगा मजबूत :

बालेन्द्रु को संगठन को कैसे मजबूत किया जाता है इसका खासा अनुभव है यही कारण है कि अंचल में कांग्रेस के संगठन को मजबूत करने में कांग्रेस उनके अनुभव का सहारा लेगी। कांग्रेस के पास अंचल में फिलहाल ब्राह्मण वर्ग का नेतृत्व खल रहा था जिसको कुछ हद तक बालेन्द्रु भरने का काम कर सकते हैं।

बालेन्द्रु के कांग्रेस में शामिल किए जाते समय अंचल से पूर्व मंत्री डॉ. गोविन्द सिंह, लाखन सिंह यादव, रामनिवास रावत एवं अशोक सिंह भोपाल में पहले से मौजूद थे, ऐसे में लगता है कि कांग्रेस के रणनीतिकार गुपचुप तरीके से अपना काम करने में लगे हुए है। कांग्रेस की रणनीति यह है कि उप चुनाव से पहले भाजपा को और झटके दिए जा सके।

कांग्रेसी बोले बालेन्द्रु के आने से कांग्रेस को मिलेगा फायदा :

भाजपा नेता बालेन्द्रु शुक्ला के कांग्रेस में आने पर कांग्रेसियों ने स्वागत किया है। कांग्रेस नेता महाराज सिंह पटेल, लतीफ खां, चतुभुर्ज धनोलिया एवं रमेश पाल ने शुक्ल की कांग्रेस में वापिसी का स्वागत करते हुए कहा कि उनके आने से कांग्रेस अंचल मेे मजबूत होगी साथ ही संगठन में भी मजबूती आ सकेगी, क्योकि शुक्ल का खासा अनुभव है। वहीं कांग्रेसियों का यह भी कहना है कि जिन कांग्रेसियों ने सिंधिया के भाजपा में जाने के बाद कांग्रेस से दूरी बना रखी थी उनका भी मन परिवर्तित होगा।

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