Indian Farmers
Indian Farmers Social Media

मप्र में किसानों पर औसत कर्ज 74,420 रू. और आय सिर्फ 8339 रू. प्रतिमाह - कांग्रेस

विधायक सचिन यादव ने कहा भाजपा सरकार केंद्र में हो या राज्य में स्वभाव से किसान विरोधी है। मप्र की सरकार फसलों के दाम मांगने पर किसानों के सीने में गोलियां उतार देती है।
Published on

इंदौर, मध्यप्रदेश। मप्र के लिए एनएसएसओ के सर्वे ने बताया कि एक किसान परिवार मजदूरी से प्रतिमाह 2488 रूपए कमाता है, लैंड को लीज आउट करने पर 54 रूपए, फसलों की कमाई 4309 रूपए, पशु धन से शुद्ध आय 1295 रूपए, गैर कृषि काम से 193 रूपए इस प्रकार कुल 8339 रूपए प्रतिमाह उसे प्राप्त होते हैं, जो कि राष्ट्रीय औसत 10218 से काफी कम है। मप्र में कुल 48.4 प्रतिशत किसानों पर औसत कर्ज 74 हजार 420 और आय सिर्फ 8339 रूपए प्रतिमाह है। शुक्रवार को प्रेस क्लब में मीडिया से चर्चा के दौरान कांग्रेस नेताओ ने यह जानकारी दी है। पूर्व मंत्री व कांग्रेस विधायक सचिन यादव, कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता संतोष सिंह गौतम और इंदौर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सदाशिव यादव इस मौके पर उपस्थित थे।

विधायक सचिन यादव ने कहा भाजपा सरकार केंद्र में हो या राज्य में स्वभाव से किसान विरोधी है। मप्र की सरकार फसलों के दाम मांगने पर किसानों के सीने में गोलियां उतार देती है और केंद्र में किसान फसलों के दाम मांगे तो उनके सिर लहूलुहान कर दिए जाते हैं। राहों में कील और कांटे बिछाती है, उन्हें खालिस्तानी और पाकिस्तानी बताती है।

वहीं कमलनाथ सरकार 27 लाख किसानों का कर्ज माफ  करती है। 20 लाख 10 हजार कृषि पंपों के लिए 6137.94 करोड़ रूपए की सब्सिडी का प्रावधान करती है और हिन्दुस्तान की सबसे सस्ती बिजली 44 पैसे प्रति यूनिट किसान भाईयों को उपलब्ध कराती है और एक हेक्टेयर तक की भूमि वाले अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के कृषको को 5 हार्स पॉवर तक की कृषि पंप की बिजली मुफ्त दी जाती है । सरकार ने देश के किसानों से वायदा किया था कि पांच साल में किसानों की आमदनी दोगुनी कर दी जाएगी और आमदनी दो गुना करने के लिए यह बताया गया था कि हमने किसानों के लिए अपने बजटों में अच्छा प्रावधान किया है और व्यापक योजनाएं बनाई हैं।

उन्होंने कहा सरकार ने एक तरफ  तो लगातार यह ढिंढोरा पीटा कि हम किसानों की बेहतरी के लिए बड़ा कृषि बजट बना रहे हैं, लेकिन असल में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग का बजट कुल देश के बजट की तुलना में लगातार कम किया गया। इससे भी चौंकाने वाला तथ्य यह है कि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के 2022-23 का बजट स्टीमेट जो कि 1 लाख 24 हजार करोड़ रूपए था, जिसमें से 10 फरवरी 2023 तक 66030.53 करोड़ रूपए ही विभाग द्वारा खर्च किया गया। फरवरी माह तक बजट स्टीमेट का मात्र 53 प्रतिशत राशि ही खर्च की गई। केंद्रीय प्रायोजित योजना में किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग में 1211.51 करोड़ रूपए का प्रावधान रखा था, जिसमें से राज्य का हिस्सा 478.21 करोड़ रूपए और केंद्र का हिस्सा 733.29 करोड़ रूपए था, जिसमें से केंद्र सरकार ने 28 फरवरी 2023 तक मात्र 163 करोड़ रूपए की राशि ही राज्य को भेजी अर्थात सिर्फ 22 प्रतिशत और सरकार ने भी अपनी ओर से इसकी अनुपातिक राशि से अधिक राशि खर्च की। अर्थात सिर्फ  किसान के कल्याण के लिए वर्ष भर में केवल 22 प्रतिशत राशि ही खर्च की गई। किसान कल्याण एवं कृषि विभाग की केंद्र प्रायोजित बीस योजनाएं ऐसी थीं जिसमें एक भी पैसा खर्च नहीं किया गया। 

किसानों का अपमान बनी-किसान सम्मान निधि

उन्होंने कहा बीते 7-8 वर्षों में खेती की लागत 25 हजार रू. हेक्टेयर बढ़ा दी। डीजल के दाम बढ़ाकर, खाद-कीटनाटक और कृषि उपकरणों जैसे कल्टीवेशन हार्वेसटिंग के लिए उपयोग की जाने वाली मशीन, जर्मीनेशन प्लांट फीटेट मशीन आदि पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगाकर, फसलों की शार्टिंग एवं ग्रेडिंग करने वाली मशीनों पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाकर, अर्थात एक मार्जिनल फार्मर को खेती की लागत 50 हजार रूपए अतिरिक्त आने लगी और किसानों को 6000 रूपए साल देने का स्वांग रचा गया। मगर इसकी सच्चाई यह है कि केंद्र सरकार ने 2022-23 में जो ग्यारहवीं किस्त अप्रैल-जुलाई  2022 में 10 करोड़ 45 लाख 59 हजार 905 किसानों को दी थी, बारहवीं किस्त अगस्त-नवम्बर 2022 में घटाकर 8 करोड़ 42 लाख 14 हजार 408 कर दी। इस योजना से 2 करोड़ 3 लाख 45 हजार 497 किसानों को बाहर कर दिया गया। यही छल मप्र की सरकार ने भी किसानों के साथ किया। उन्होंने मप्र में इसी अवधि के दौरान 350895 किसानों को इस किसान सम्मान निधि से वंचित कर दिया। समूचे मप्र से शिकायत आ रही है कि किसान सम्मान निधि वापस मांगने के लिए किसानों को नोटिस दिए जा रहे हैं। 

किसानों ने सहा आत्महत्या का दंश 

उन्होंने कहा मप्र में वर्ष 2004 से 2021 तक 31, 295 किसान और खेतीहर मजदूर आत्महत्या के लिए बाध्य हुए हैं। आज समूचे मप्र के किसान ओलावृष्टि और अतिवृष्टि से त्राहिमाम कर रहे हैं। 43 जिलों से अधिक के 3800 से अधिक गांवों में डेढ़ लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र की गेहूं, चना, सरसों इत्यादि की फसल चौपट हो गई है। एक तरफ  किसान गम के अंधकार में डूबा है, तो दूसरी ओर सरकार अपने तीन साल पूरे होने के जश्न में डूबी हुई है। मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ओलावृष्टि से तबाह हुई फसलों का खेतों पर पहुंचकर निरीक्षण करने के निर्देश सभी जिला, शहर कांग्रेस कमेटियों को दिए हैं। 

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

logo
Raj Express | Top Hindi News, Trending, Latest Viral News, Breaking News
www.rajexpress.com