धोखाधड़ी के मामले में सांसद को मिली राहत, नहीं हुई गिरफ्तारी

हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने गुना-शिवपुरी से भाजपा सांसद और उनके बेटे के जाति प्रमाण-पत्र के मामले में बड़ी राहत देते हुए इस मामले पर स्थगन का आदेश जारी किया है।
सांसद को मिली राहत
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राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश के गुना से BJP के.पी. यादव एवं उनके पुत्र कई दिनों से फर्जी जाति प्रमाण-पत्र मामले को लेकर विवादों में हैं। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने गुना-शिवपुरी से भाजपा सांसद और उनके बेटे के जाति प्रमाण पत्र के मामले में बड़ी राहत देते हुए इस मामले पर स्थगन का आदेश जारी किया है। इसके साथ ही उन्होंने अशोकनगर जिला प्रशासन से पूछा है कि आखिर किस आधार पर केपी यादव और उनके बेटे का जाति प्रमाण-पत्र रद्द किया गया है, उन तथ्यों से हाईकोर्ट को अवगत कराएं।

अगली सुनवाई 7 जनवरी को

अब इस मामले की अगली सुनवाई 7 जनवरी को होगी। दरअसल 5 दिसंबर 2019 को विधायक बृजेंद्र सिंह यादव ने शिकायत दर्ज कराई थी कि सांसद केपी यादव के बेटे को जो जाति प्रमाण पत्र जारी हुआ है, उसमें उनके द्वारा गलत आय दर्शाई गई है। जिसकी मुंगावली एसडीएम बीवी श्रीवास्तव द्वारा जांच की गई और 13 दिसंबर को केपी यादव और उनके बेटे का जाति प्रमाण-पत्र निरस्त कर दिया गया। जिसके बाद 23 दिसंबर की रात सांसद यादव और उनके बेटे के खिलाफ धोखाधड़ी सहित कई अन्य धाराओं में मामला भी दर्ज किया गया।

सांसद यादव ने हाईकोर्ट के वकील एमपीएस रघुवंशी के जरिए एक याचिका पेश की, जिसमें उन्होंने बताया कि- उनके बेटे के द्वारा एसडीएम द्वारा जारी प्रमाण-पत्र के माध्यम से किसी भी तरह के आरक्षण का लाभ नहीं लिया गया है, खुद सामान्य सीट से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं। इसके साथ ही उनके वकील ने हाई कोर्ट में दलील दी कि जाति प्रमाण-पत्र को रद्द करने का अधिकार स्टेट लेवल की कास्ट सर्टिफिकेट कमेटी को है, एसडीएम ने नियम के विपरीत उनका जाति प्रमाण-पत्र निरस्त किया है।

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि

उनके बेटे के द्वारा जो जाति प्रमाण पत्र के लिए आवेदन दिया गया था वह 2014 में किया गया था, तब उनकी आय कुछ अलग थी और 2019 में जब केपी यादव ने चुनाव लड़ा तब उनकी आय अलग है, ऐसे में 2019 में प्रस्तुत किए गए आय संबंधी दस्तावेज के आधार पर 2014 में बनाया गया। जाति प्रमाण-पत्र रद्द नहीं किया जा सकता है।

जानिए पूरा मामला

यह मामला सन् 2014 का है जिसमें गुना सांसद केपी यादव ने अपने पुत्र सार्थक को पिछड़ा वर्ग के आरक्षण का लाभ दिलाने और फायदा लेने के लिए अपनी आय क्रीमीलेयर के 8 लाख रुपए से कम बतायी थी वहीं लोकसभा चुनाव के समय भी अपनी आय के खुलासे में आय 39 लाख के करीब बतायी थी, जिसे लेकर दोनों आयों में अंतर पाए जाने पर कांग्रेस विधायक ब्रजेंद्र सिंह यादव ने इस मामले में शिकायत एसडीएम से की थी। जिसके आधार पर एसडीएम ने जांच करते हुए पाया कि, उनकी आय 8 लाख रुपए से ज्यादा है, जिस पर कार्रवाई करते हुए उनके जाति प्रमाण-पत्र को निरस्त कर इसका प्रतिवेदन एडीएम को भेजा गया। बता दें कि, हाल ही में 2019 में लोकसभा चुनाव में सांसद केपी यादव गुना सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को हराकर सांसद निर्वाचित हुए थे, जिसके बाद से वे चर्चा में थे।

सांसद केपी यादव पर एफआईआर का विरोध किया था

आपको बता दें कि, गुना सांसद के.पी.यादव एवं उनके पुत्र सार्थक यादव पर FIR दर्ज होने का भाजपा और अखिल भारतीय यादव महासभा ने विरोध किया था। भाजपा ने पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का पुतला जलाया था। वहीं गुना यादव महासभा ने ज्ञापन देकर एफआईआर वापस लेने की मांग की थी ।

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