Anuppur : तो क्या सिक्कों की खनक पर बिक गया कोतमा का राजस्व विभाग
मध्य प्रदेश प्रशासन द्वारा जल स्रोतों को बचाने के लिए विभिन्न नियम कानून बनाए हैं, लेकिन सारे नियम और कानून कोतमा नगर पर अवैध अतिक्रमणकारी और माफियाओं के सामने शिथिल पड़ जाते हैं। तहसीलदार, नगरी प्रशासन व राजस्व विभाग के आदेश भी अतिक्रमणकारी और भू माफियाओं के सामने घुटने टेकते हुए नजर आ रहे हैं। निर्माण कार्य रोकने के लिए नोटिस जारी की गई और कार्य उतनी ही तेजी से पूरा होता गया, प्रशासन बौना एवं न्यायालय मजाक बनकर रह गया है।
अनूपपुर, मध्यप्रदेश। नगरपालिका कोतमा के वार्ड क्रमांक 4 मवेशी बाजार पर स्थित तालाब पर कूट रचित तरीके से फर्जी कागज तैयार कर पहले तो मेड पर अतिक्रमण कर लिया गया, उसके बाद तलाब के मेड में ही खुदाई कर अंडर ग्राउंड रूम नगरी प्रशासन और राजस्व के नियम विरुद्ध बिना परमिशन के बना लिया गया। जिस पर निर्माण कार्य रोकने और न्यायालय के नोटिस के बाद भी लगातार कार्य दहशतगर्दी के बूते किया जा रहा है। कोतमा की नगरी प्रशासन के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए से 8 कमर्शियल दुकान के लिए अवैध निर्माण कार्यो ने इन दिनों जमकर सुर्खियां बटोरी है। कोतमा वार्ड नंबर 4 के मवेशी बाजार में स्थित तालाब की मेड पर पहले तो षड्यंत्र कर भूमि अधिग्रहण कर ली गई और उस पर मकान बनाना शुरू कर दिया गया। जोकि मध्य प्रदेश के राजस्व विभाग के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत वह उनकी गलतियों से मेड का रजिस्ट्री पट्टा बना दिया गया जिसके बाद कोतमा नगर पालिका के अधिकारियों ने बिना जांचे परखे उक्त भूमि पर निर्माण करने की अनुमति भी प्रदान कर दी। अब जब निर्माण कार्य धड़ल्ले से चल रहा है तो सारे नियम और कानून इन माफियाओं और अतिक्रमणकारियों के सामने शिथिल पड़ गया है।
भूमि के बाद अब मेड पर हो रहा अवैध निर्माण :
पहले तो रजिस्ट्री पत्ता के आधार पर सड़क किनारे मकान बनाने का कार्य तेजी से शुरू कर दिया गया था अब जब अधिकारी की सांठ-गांठ हो गई है तो उक्त भूमि मालिकों ने तालाब के मेन पर अंडर ग्राउंड घर एवं मेन के ऊपर अलग से मकान बनाना शुरू कर दिया है दूसरी भाषा में कहें तो अब तालाब का अस्तित्व भू माफियाओं के शिकंजे में फस कर रह गया है। उक्त भूमि मालिकों द्वारा अपनी जमीन छोड़ अब तालाब के मेड को खोद कर उस पर महल बनाने की तैयारी पूरी कर चुके हैं जिस पर ना तो कोतमा राजस्व विभाग द्वारा कोई ध्यान दिया जा रहा है और ना ही कोतमा के नगरी प्रशासन विभाग के नोटिस पर कोई सुनवाई हो रही है।
आदेशों की अवहेलना :
कोतमा राजस्व विभाग और कोतमा नगर पालिका के द्वारा उक्त अवैध निर्माण को लेकर लगातार नोटिस काटी गई। वहीं, कोतमा तहसीलदार द्वारा निर्माण कार्य रोकने के लिए भी आदेश पारित किए गए लेकिन नोटों के बंडल और चंद चांदी के सिक्कों की खनक के आगे कोतमा राजस्व और नगरी प्रशासन विभाग पूरी तरह बिक गया और अवैध कार्य को मौन स्वीकृति देकर कार्य पूर्ण होने की प्रतीक्षा करने लगे हैं। वहीं, कोतमा राजस्व विभाग के अधिकारी द्वारा किसी भी प्रकार की वैधानिक कार्यवाही अतिक्रमणकारियों और माफियाओं के विरुद्ध नहीं की जा रही है जिससे माफियाओं का हौसला बुलंद है एवं लगातार अवैध निर्माण तालाब के मेड पर किया जा रहा है। वहीं, कोतमा नगर पालिका ने नगरपालिका अधिनियम 1961 की धारा 187/ 8/223 के तहत अरुण कुमार तिवारी के नाम पर नोटिस जारी की थी जिस पर अरुण कुमार द्वारा तालाब के मेड पर तलघर का अवैध निर्माण किया जा रहा है। नोटिस के बावजूद भी सत्ता पक्ष के कुछ दलालों और नेताओं के समय पर लगातार निर्माण कार्य जारी रहा और नगर पालिका प्रशासन इन अतिक्रमणकारियों के सामने बौनी साबित हुई।
तो खत्म हो तालाब का अस्तित्व :
मध्यप्रदेश के भूमि विकास अधिनियम 2012 के प्रावधान के अनुसार जल स्रोतों के 30 मीटर की अंदर किसी भी प्रकार का निर्माण नहीं किया जा सकता है। लेकिन मध्यप्रदेश के यह कोतमा नगर नियम एवं कानून से परे हो चुका है। जहां तलाक के 30 मीटर तो दूर की बात है खुद तालाब के मेड में ही अंडर ग्राउंड मकान के साथ-साथ तलाक के मेल को खोदकर कई मकान व दुकान बेधड़क नियम एवं कानूनों की पुडयि़ा को शोपीस की तरह किताबों एवं फाइलों की बीच में धूल खाते हुए रख दिया गया है। कोतमा वार्ड नंबर 4 के मवेशी बाजार स्थित तालाब पर भूमि मालिकों द्वारा पहले तो नगरी प्रशासन विभाग के नियम का उल्लंघन करते हुए अंडर ग्राउंड मकान तैयार किया गया जिसके बाद अब तलाब के मेड को खोदकर वहां भी मकान बनाने की तैयारी जोर शोर से चल रही है।
कोतमा में बदला राजस्व, और पर्यावरण विभाग का कानून :
भारत एवं मध्य प्रदेश के राजस्थान में भूमि विकास अधिनियम के कानून के अनुसार किसी भी जलाशय हुआ तालाब के 30 मीटर की दूरी पर ना तो भूमि का क्रय विक्रय किया जा सकता है और ना ही उक्त जगह पर किसी भी प्रकार का अतिक्रमण व निर्माण कार्य किया जा सकता है वही एनजीटी के नियम के अनुसार भी तालाब के मेड में किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य नहीं कराया जा सकता है लेकिन कोतमा नगर पालिका के लिए यह नियम पूरी तरह बदल चुका है कोतमा के कई बड़े तालाबों में निर्माण कार्य को बिना देखे ही मंजूरी दे दी गई है और वार्ड क्रमांक 4 में स्थित सरस्वती स्कूल के सामने के तालाब पर नोटिस चस्पा करने के बावजूद भी निर्माण कार्य को पूरी तरह हरी झंडी देकर कार्य भी पूरा कर लिया गया है अब देखना यह है कि क्या उक्त कानून के उल्लंघन पर प्रशासन द्वारा किसी तरह की कार्रवाई की जाती है या प्रशासन के ढुलमुल रवैया बरकरार रहता है।
इनका कहना है :
इस मामले की जानकारी हेतु तहसीलदार कोतमा से फोन मोबाइल के माध्यम से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने फोन रसीव नहीं किया।
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