Anuppur : कलेक्टर के निर्देशन में PCPNDT Act प्रशिक्षण का हुआ आगाज
अनूपपुर, मध्यप्रदेश। हमारे देश में कन्या भ्रूण हत्या एक अभिशाप बनता जा रहा है, हर दिन जन्म से पहले ही सैकड़ों कन्याओं को संसार में आने ही नहीं दिया जाता है। इस संसार में जन्म लेना हर मानव का अधिकार है कन्या भ्रूण हत्या कर हम एक जघन्य अपराध तो कर ही रहे हैं, साथ ही कन्याओं के जीने के अधिकार को छीन रहे हैं। धीरे-धीरे इसके दुष्परिणाम दिखाई देने लगे हैं और आज हालात यह है कि लिंगानुपात लगातार कम होते जा रहा है। यह कार्यक्रम शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अनूपपुर में किया गया। इस कार्यक्रम में जिला कार्यक्रम अधिकारी विनोद परस्ते, सहायक संचालक श्रीमती मंजूषा शर्मा महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग से डॉक्टर आर पी सोनी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता , सहायिका, आशा कार्यकर्ता आदि उपस्थित रहे।
कन्या भ्रूण हत्या एक अभिशाप इसे रोके :
हमें समाज की मानसिकता को बदलने का संकल्प लेना होगा इस कृत्य के लिए किसी एक व्यक्ति को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। कन्या भ्रूण हत्या के लिए कहीं पिता दोषी होते हैं तो कहीं उनके परिवार के लोग यह सब सामाजिक कुरीतियों का नतीजा है जहां कन्या को भार के रूप में देखा जाता है। पुरुषों को यह जानकारी दी जाना आवश्यक है कि कन्या का जन्म लेना उतना ही आवश्यक है जितना लड़के का। महिलाओं को भी यह बताना जरूरी है कि यदि मां पर कन्या भ्रूण की हत्या के लिए दबाव बनाया जाता है तो वह अपनी सहमति कदापि ना दें जरूरत पड़ने पर महिला हेल्पलाइन 1090 व कानून का उपयोग करें।
प्रावधानों की जानकारी की गई प्रदाय :
कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए केंद्रीय कानून गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम, 1994 बनाया गया है इसके मुख्य प्रधान इस प्रकार हैं- यदि लिंग का पता लगाने के लिए भ्रूण का परीक्षण किया जाता है तो वह दंडनीय अपराध है केवल उन्हीं परिस्थितियों में गर्भ में विकसित भ्रूण का परीक्षण किया जा सकता है जब शिशु के विकलांग होने या अन्य विकृतियां की जांच करना हो। यदि भ्रूण परीक्षण मात्र लिंग का पता लगाने के लिए किया गया हो तो चिकित्सक के व्यवसाय से जुड़े हुए व्यक्तियों और जिस व्यक्ति की मांग पर यह परीक्षण किया गया है वह सभी लोग इस कृत्य के लिए अपराधी माने जाएंगे उन्हें कारावास और जुर्माने से दंडित किया जा सकता है। परिवार में पुत्र या पुत्री की संख्या सीमित करने के उद्देश्य से यदि कोई माता-पिता डॉक्टर के माध्यम से भ्रूण परीक्षण करवाते हैं तो ऐसा कृत्य जघन्य अपराध होगा इसके लिए दोषी व्यक्ति को 10000 तक का जुर्माना और 3 वर्ष तक के कारावास की सजा दी जा सकती है डॉक्टर और क्लीनिक में कार्यरत व्यक्ति भी इसी दंड के भागीदार होंगे।
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