कलेक्टर और आबकारी अधिकारी के आश्वासन के बाद खुली शराब दुकानें
कलेक्टर और आबकारी अधिकारी के आश्वासन के बाद खुली शराब दुकानेंSitaram Patel

Anuppur : कलेक्टर और आबकारी अधिकारी के आश्वासन के बाद खुली शराब दुकानें

लाइसेंसधारी दुकान न खोलने के शर्त पर चाबी सौपने पहुंचे थे कलेक्ट्रेट। अवैधानिक कार्यवाही के कारण जिलेभर की शराब दुकाने दोपहर बाद तक की थी बंद। कलेक्टर व आबकारी अधिकारी से मिला निराकरण का आश्वासन।
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Summary

जिले में लगातार चल रही अवैध शराब के विरूद्व कार्यवाही पर पुलिस लायसेंसधारियों के ऊपर एफआईआर दर्ज कर रही थी, अवैधानिक तरीके से ठेकेदार व कर्मचारियों को आरोपी बनाने के बाद जिलेभर के शराब ठेकेदार एक जुट होकर शुक्रवार को लामबंद हुए थे, कलेक्ट्रट कार्यालय पहुंच कर दुकान संचालन न करने व बंद कर चाबी सौपने के साथ समस्त जमा प्रतिभूति राशि (अमानत राशि) 11 प्रतिशत एवं अक्टूबर से मार्च तक का लाइसेंस फीस प्रतिशत वापस करने की मांग की थी, लेकिन कलेक्टर एवं जिला आबाकारी अधिकारी का आश्वासन मिलने के बाद उन्होंने दुकानों का संचालन किया।

अनूपपुर, मध्यप्रदेश। मुख्यालय सहित जिलेभर में संचालित लायसेंसी शराब ठेकेदारों ने पुलिस की कार्यवाही से परेशान होकर कलेक्टर को पत्र लिखते हुए दुकान का संचालन न करने के लिए मंशा जाहिर की थी, जिसके बाद शुक्रवार 1 अक्टूबर को बंद कर दी गई थी, समस्त ठेकेदार कलेक्ट्रट कार्यालय पहुंचे, जहां कलेक्टर व आबकारी अधिकारी से बात कर गतिविधियों व पुलिसिया कार्यवाही को गलत ठहराते हुए निराकरण की मांग की थी, जहां कलेक्टर एवं जिला आबकारी अधिकारी के आवश्वासन के बाद उन्होंने दुकान का संचालन किया। ठेकेदारो के द्वारा प्रेस नोट जारी करते हुए बताया कि कलेक्टर एवं आबकारी अधिकारी के आश्वासन के बाद ठेकेदार एवं ठेकेदारों द्वारा रखे गये सेल्समैन, मैनेजर एवं ठेकेदार की सुरक्षा एवं प्रतिष्ठा का ध्यान रखा जायेगा, उन्होंने कहा कि अधिकारियों के बातों का सम्मान रखते हुए हम सभी ठेकेदार दुकान का संचालन कर रहे हैं। इतना ही नहीं कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक से पत्र के माध्यम से अनुरोध भी किया कि शासन को भारी भरकम राजस्व भी देते हैं, हम लोग व्यापारी हैं, हमारे साथ उचित व्यवहार किया जाये, हम कोई अपराधी या स्मगलर नही है, हमारी प्रतिष्ठा का ध्यान रखा जाये।

यह है मामला :

नवागत पुलिस अधीक्षक की पदस्थापना के बाद अवैध शराब पर अंकुश लगाने के लिए कार्यवाही पूरे जिलेभर में कार्यवाही की जा रही है, लेकिन जिले भर में संचालित अंग्रेजी शराब दुकान का लाइसेंसधारियों को भी इसका शिकार बनाया जा रहा है, जबकि अवैध रूप से बेचने वाले शराब कारोबारियों के पास उनके बैच नंबर के शराब उपलब्ध नहीं होते है। उसके बावजूद वैद्य शराब लायसेंसी ठेकेदार व उनके कर्मचारियों के विरूद्व मामला पंजीबद्व कर दिया जाता है। जिलेभर के लायसेंसधारियों ने कलेक्टर के नाम पत्र सौंपकर दुकान का संचालन न करने की मंशा जाहिर की थी। अनूपपुर, कोतमा, राजनगर, राजेन्द्रग्राम, चचाई, बिजुरी सहित जिलेभर की दुकानें बंद कर शुक्रवार को लामबंद हो गये थे।

बिना जांच के लायसेंसियों पर एफआईआर :

इस पूरे मामले से उपजे घटनाक्रम को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि पुलिस कार्यवाही तो कर रही है, लेकिन कार्यवाही में इतनी जल्दबाजी कर रही है, कि नियम कानून भी दरकिनार कर दी जा रही है, कहीं भी अवैध शराब मिलने पर मामला सीधे मुखिबिर या फिर लायसेंसी ठेकेदार व उनके कर्मचारियों पर एफआईआर दर्ज करते हुए कार्यवाही कर ही है, जबकि नियमत: बैच नंबर मिलने व कलेक्टर के समक्ष पूरी जानकारी रखते हुए प्रक्रिया को पूर्ण करना चाहिए, लेकिन ऑन द स्पाट पुलिस की कार्यवाही कहीं न कहीं प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है।

यह लिखा पत्र में :

28 सितंबर को ग्राम बर्री में कोतवाली पुलिस द्वारा रामरतन राठौर के कब्जे से अवैध मदिरा देशी एवं विदेशी जप्त किया था, जिसमें अवैधानिक तरीके से पुलिस द्वारा अनूपपुर शराब दुकान लाइसेंसधारी के विरुद्ध मामला पंजीबद्ध कर दिया गया है। जबकि आरोपी रामरतन राठौर के यहां जो मदिरा जप्त हुई है, उक्त मदिरा कभी प्रार्थी के दुकान में विक्रय हेतु नहीं रखी गयी थी, जिस बैच नंबर की मदिरा रामरतन के यहाँ जप्त हुई है, उस बैच नंबर की मदिरा प्रार्थी के दुकान में कभी भी विक्रय हेतु वेयरहाउस से चालान भरकर प्राप्त नहीं की गयी है। ऐसी दशा में बिना जॉच किये थाना प्रभारी अनूपपुर द्वारा नियम विरूद्व लायसेंसी को एवं उसके कर्मचारियों को नामजद आरोपी बनाया गया है।

लायसेंसी और कर्मचारी परेशान :

लायसेंसी व उनके कर्मचारियों पर लगातार जिलेभर में हो रहे अपराध पंजीबद्व को लेकर मानसिक रूप से परेशान थे, इतना ही नहीं उन्होंने पत्र में उल्लेख किया कि वह एक प्रतिष्ठित व्यक्ति है इस मामले के कारण उसकी प्रतिष्ठा धूमिल हुई है, इस मामले के कारण परिवार सदमे में है और परिवार के द्वारा यह दवाब बनाया जा रहा है कि लाइसेंस को सरकार को वापस कर दो ऐसे कार्य से क्या फायदा जिसमें बिना वजह कभी भी, कोई किसी भी थाने में लाइसेंस का नाम देखते ही केश पंजीबद्ध कर दिया जाता है।

कर्मचारियों ने दुकान छोड़ा :

लगातार हो रहे मामले के कारण दुकान के सेल्समैन भी काम नहीं करना चाहते हैं, पुलिस के भय के कारण दुकान के अन्य कर्मचारी दुकान छोड़कर जा रहे हैं और जो कर्मचारी हैं भी वे छुट्टी लेकर घर चाह रहे हैं। ऐसी दशा में बिना कर्मचारी के प्रार्थी दुकान का संचालन नहीं करा पा रहा है। भय के साये में कर्मचारियों व सेल्समैन सहित मैनेजर दुकान में कार्य करने को मजबूर थे, वहीं दुकान में जब कभी पुलिस की आवश्यकता होती है तो उल्टे पुलिस ने दादागिरी पर उतारू हो जाती है, जिससे के कारण कर्मचारी अब दुकान में कार्य करना नही चाहते है, इसलिए दुकान संचालन में परेशानी भी देखी जाने लगी थी।

की थी लाइसेंस फीस प्रतिशत वापस की मांग :

आवेदन पत्र प्रस्तुत कर लायसेंसधारियों ने लिखा कि नाम से संचालित समस्त दुकानों की चाभी लेकर 01 अक्टूबर से प्रशासन दुकानों का संचालन स्वयं करवाये मेरे समस्त जमा प्रतिभूति राशि (अमानत राशि) 11 प्रतिशत एवं अक्टूबर से मार्च तक का लाइसेंस फीस प्रतिशत वापस करने की मांग की थी, लेकिन कलेक्टर के आश्वासन के बाद उन्होने दुकान को संचालन पुन: शुरू कर दिया।

लायसेंसी के विरुद्ध आबकारी एक्ट :

थाना चचाई के द्वारा 29 सितंबर को ग्राम बरगवा में संतोष पटेल पर की गई अवैध शराब की कार्यवाही के मामले में प्रार्थी लायसेंसी पर फर्जी तरीके से आबकारी एक्ट की धारा 44 का प्रकरण पंजीबद्ध किये जाने के कारण दुकान का संचालन न कर पाने के संबंध में लायसेंसी ने कलेक्टर को पत्र लिखा था।

लायसेंसी की प्रतिष्ठा को आघात :

29 सितंबर को ग्राम बरगवां में थाना चचाई पुलिस के द्वारा संतोष पटेल के कब्जे से अवैध देशी मदिरा एवं बियर जप्ती की कार्यवाही की गई, जिसमें अवैधानिक तरीके से पुलिस के द्वारा प्रार्थी बरगवां दुकान समूह व चचाई दुकान समूह लायसेंसी कमलेश सिंह चंदेल के विरूद्ध धारा 44 आबकारी एक्ट का प्रकरण पंजीबद्ध किया गया, जिससे मेरी छवि धूमिल हुई है और मेरी प्रतिष्ठा को आघात पहुंचा है। जबकि आरोपी संतोष पटेल कब कहां से किसके माध्यम से अवैध शराब लाकर विक्रय कर रहा था, इसकी वैधानिकता पूर्ण जांच नहीं की गई और मामला पंजीबद्व कर दिया गया।

धारा 44 के तहत प्रकरण पंजीबद्ध :

जिले में इसके पूर्व अनूपपुर शराब दुकान समूह के संचालक सुमित जायसवाल व राजनगर शराब दुकान समूह संचालक दिलीप यादव के विरूद्ध की गई मनमानी पूर्ण कार्यवाही के बाद दुकान में कार्यरत सेल्स मैन भयभीत होकर कार्य करने से मना कर रहे है और जब 29 सितंबर को चचाई पुलिस के द्वारा प्रार्थी लायसेंसी के विरुद्ध आबकारी एक्ट की धारा 44 के तहत प्रकरण पंजीबद्ध दिया गया, तब से दुकान में कार्यरत सेल्स मैन सहित सभी कर्मचारियों ने कार्य करने से मना कर दिया है ऐसी स्थिति में प्रार्थी लायसेंसी 1 अक्टूबर से बरगवां दुकान समूह व चचाई दुकान समूह का संचालन कर पाने में असमर्थ है।

जांच के लिए आयुक्त को लिखा पत्र :

लायसेंसी सुमित जायसवाल ने आबकारी आयुक्त ग्वालियर को पत्र लिखकर जांच की मांग की है, सुमित ने कहा कि राज पत्र के अनुसार कलेक्टर के आदेशानुसार ही लायसेंसी पर कार्यवाही होना चाहिए, लेकिन कोई अवैध विक्रेता कुछ भी बोल दे रहा है और मामला ठेकेदार व उसके कर्मचारियों पर पंजीबद्व कर दिया जाता है, इससे न केवल छवि धूमिल हुई है बल्कि नियम को दरकिनार करते हुए लोगों को जेल भी भेज दिया गया। इस तरह पुलिस के द्वारा कार्यवाही की गई है, जिसकी जांच आवश्यक है।

मुखबिर बन गया अपराधी : क्षेत्र में कोई अवैध शराब बेचकर लायसेंसी दुकानों को नुकसान न पहुंचाये, इसलिए अनूपपुर शराब ठेकेदार के द्वारा मुखबिरी के लिए भगवती सिंह को रखा गया था, जिस पर भी पुलिस के द्वारा मामला पंजीबद्व कर दिया गया, चूंकि भगवती के द्वारा कई बार बर्री में अवैध शराब बेचने वाले रामरतन को पकडवाया गया है, जिस कारण रामरतन ने अनूपपुर लायसेंसधारी व भगवती को फंसाने के उद्देश्य से पुलिस के सामने नाम लिया गया और पुलिस ने मामला पंजीबद्व कर दिया गया।

इनका कहना है :

घटना स्थल पर जानकारी के अनुसार मामला पंजीबद्व किया गया है, विवेचना में वेयरहाउस के चालान की जांच की जायेगी।

अमर वर्मा, कोतवाली प्रभारी

सभी ठेकेदारों ने अपनी समस्याओं से अवगत कराया है, कलेक्टर मैडम से भी बात हुई है, आश्वासन दिया गया है, जल्द ही निराकरण कर उचित समाधान निकाला जायेगा और समस्या का निराकरण भी किया जायेगा।

विकास मंडलोई, आबकारी अधिकारी अनूपपुर

जब अवैध शराब विक्रय करने वाले बताते है, उसके आधार पर अपराध पंजीबद्व किया गया है, यह विवेचना का कार्य है, जांच के बाद अगर नाम की पुष्टि नही होगी तो नाम बाहर हो जायेगा।

अखिल पटेल, पुलिस अधीक्षक अनूपपुर

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