अनूपपुर : समान कार्य-समान वेतन की मांग पर बांधी काली पट्टी

अनूपपुर, मध्य प्रदेश : समान कार्य और समान वेतन के लिए अपनी मांगों को सरकार के समक्ष रखने के लिए प्रदेश भर में पदस्थ लेखाधिकारियों ने काली पट्टी बांध कर विरोध किया।
समान कार्य-समान वेतन की मांग पर बांधी काली पट्टी
समान कार्य-समान वेतन की मांग पर बांधी काली पट्टीShrisitaram Patel
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अनूपपुर, मध्य प्रदेश। समान कार्य और समान वेतन के लिए अपनी मांगों को सरकार के समक्ष रखने के लिए प्रदेश भर में पदस्थ लेखाधिकारियों ने काली पट्टी बांध कर विरोध किया, वहीं जनपद जैतहरी में पदस्थ लेखाधिकारी प्रीति सिंह के द्वारा भी इस विसंगति और अपनी मांग के लिए काली पट्टी बांध कर कार्यालय में कार्य करती रही, गौरतलब हो कि भारत सरकार की महत्वकांक्षी एवं कोरोना काल में संजीवनी के रूप में जीवन दायिनी योजना महात्मा गांधी नरेगा ने जहां करोड़ों लोगों को संकटकाल में रोजगार गांरटी के साथ उपलब्ध कराया, वहीं इस योजना का लाभ पहुंचाने के लिये मनरेगा योजना अंतर्गत कार्यरत सैकड़ों कर्मचारियों के रोजगार की ही गांरटी नहीं है साथ ही दस वर्षों से मांग किए जाने के बावजूद समान कार्य समान वेतन के उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन भी नहीं किया जा रहा है।

एक सप्ताह बांधी काली पट्टी :

प्रदेश भर में महात्मा गांधी नरेगा में 125 पुन: नियोजित सहायक लेखाधिकारियों द्वारा समान कार्य समान वेतन न दिए जाने के विरूद्ध में एक सप्ताह तक काली पट्टी बांधकर काला सप्ताह मनाते हुए कार्य किये जाने का निर्णण लिया गया है। जिसमें जनपद पंचायत जैतहरी में सहायक लेखाधिकारी के पद पर पदस्थ प्रीति सिंह के द्वारा काली पट्टी पहनकर कार्य किया गया। इस सांकेतिक विरोध प्रदर्शन के द्वारा शोषित सहायक लेखाधिकारी अपनी पीड़ा बताते हुए कहते हैं कि जहां उसी पद पर अन्य सहायक लेखाधिकारियों से पुन: नियोजित सहायक लेखाधिकारियों को 13000 रूपये कम वेतन प्रदाय करते हुए डाटा इन्ट्री ऑपरेटर के बराबर वेतन प्रदाय किया जा रहा है जो कि कार्यालय में नियमित रूप से पदस्थ भृत्य से भी कम है।

सहमति वापस लेने होंगे विवश :

सहायक लेखाधिकारियों को शासन करोड़ों की मजदूरी एवं सामग्री का भुगतान करने के योग्य मानता है, वही भृत्य से भी कम वेतन के योग्य समझता है, जबकि सहायक लेखाधिकारी के रूप में पुन: नियोजन शासन द्वारा समान योग्यता देखते हुए ही किया गया है। विगत 3 वर्षों में एक सहायक लेखाधिकारी को लाखों रूपए की आर्थिक क्षति पंहुच चुकी है, जो कि अभी भी निरन्तर बढ़ती जा रही है। पुन: नियोजित सहायक लेखाधिकारी काला सप्ताह मनाते हुऐ शासन के द्वारा उनका जो शोषण किया जा रहा है, एवं यदि उन्हें समान कार्य समान वेतन नहीं दिया जाता है तो समस्त 125 सहायक लेखाधिकारी उक्त पद पर कार्य करने की सहमति वापस लेने पर भी विवश होंगे।

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