Tax Fraud
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एंबुलेंस सेवा देने वाली कंपनी ने परिवहन विभाग को लगाया 32 करोड़ के टैक्स का चूना

भोपाल, मध्यप्रदेश : आम लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने वाली नामी कंपनी एंबुलेंस के प्रदेश में रजिस्ट्रेशन को लेकर टैक्स की गड़बड़ी का बड़ा मामला सामने आया है।
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भोपाल, मध्यप्रदेश। आम लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने वाली नामी कंपनी एंबुलेंस के प्रदेश में रजिस्ट्रेशन को लेकर टैक्स की गड़बड़ी का बड़ा मामला सामने आया है। इसकी शिकायत पिछले दिनों परिवहन आयुक्त से की गई है। दरअसल परिवहन एक्ट के अनुसार एंबुलेंस के रजिस्ट्रेशन में वाहन की कीमत का 10 प्रतिशत पैसा टैक्स के रूप में जमा होता है। लेकिन राजधानी समेत प्रदेश के सभी जिलों में एंबुलेंस का संचालन कर रही इस नामी कंपनी ने एंबुलेंस वाहनों के सभी रजिस्ट्रेशन छत्तीसगढ़ में कराये और मध्य प्रदेश शासन के टैक्स की चोरी की गई,जबकि परिवहन विभाग के नियमानुसार कोई भी अन्य राज्यों से आए वाहन 6 माह से अधिक समय तक राज्य की सीमा में नहीं चलाये जा सकते हैं। मामले का खुलासा करने वाले शिकायतकर्ता प्रदीप खंडेलवाल ने इस संबंध में परिवहन आयुक्त मुकेश जैन से शिकायत कर मामले की जांच और कार्रवाई की मांग उठाई है, जिसके बाद परिवहन आयुक्त ने कर मामले को संज्ञान में लेने की बात की तो कागजों के आधार पर शीध्र कार्यवाही का आश्वासन दिया।

8 सौ नई एंबुलेंस कराई छग में रजिस्टर्ड :

कंपनी द्वारा कुल 1292 एंबुलेंस का संचालन मध्यप्रदेश में किया जा रहा है जिसमें 800 के आस पास नयी बाकी पुरानी है। लेकिन कंपनी ने इन वाहनों का रजिस्ट्रेशन एमपी में ना कराकर छत्तीसगढ़ में कराया है,जिससे एक तरफ जहां आरटीओ टैक्स का नुकसान हुआ वहीं दूसरी ओर राज्य को मिलने वाला वाहन बिक्री के साथ का जीएसटी का भी अत्याधिक नुकसान हुआ है शिकायत में मांग की गई है कि छत्तीसगढ़ से विधिवत एनओसी लाकर मध्य प्रदेश के हिस्से का टैक्स जमा कराया जाए।

हर वाहन पर 4 लाख के टैक्स का नुकसान :

परिवहन आयुक्त को की गई शिकायत के मुताबिक वाहन पर लगने वाले टैक्स के हिसाब से लगभग 4 लाख रुपये के टैक्स का नुकसान प्रति वाहन का सरकार को हुआ है। इस लिहाज से प्रदेश सरकार के परिवहन विभाग को लगभग 32 करोड़ का नुकसान हुआ है, जबकि यह टैक्स परिवहन विभाग को मिलना था। इसके अलावा जीएसटी का नुकसान हुआ वह अलग है।

अब सेंट्रल विजीलेंस ने लिया पत्र :

इधर मामले की शिकायत के बाद मामला बढ़ने पर सेंट्रल विजीलेंस ने पीएस ट्रांसपोर्ट मप्र को मामले की जांच के लिए पत्र लिखा है। माना जा रहा है, कि जल्द पूरे मामले की जांच शुरू हो सकती है। जिसमें वे अधिकारी भी लपेटे में आएंगे जिन्होंने इस गड़बड़ी अनदेखी करके कंपनी को परमीशन जारी की है।

इनका कहना है :

प्रदेश के परिवहन विभाग ने इन एंबुलेंस के लिए 5 साल का एग्रीमेंट कंपनी से किया है। यानि इनकी गाड़ियां 5 साल हमारे प्रदेश की सड़कों पर चलेंगी, जबकि इन्होंने टैक्स दूसरे स्टेट में जमा किया है। यह सीधे टैक्स चोरी और फ्रॉड का मामला है, हमने शिकायत करके कार्रवाई की मांग की है।

प्रदीप खंडेलवाल, शिकायतकर्ता

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