स्ववित्त विभाग के कर्मचारियों के साथ, अब शिक्षकों की नाराजगी भी आने लगी सामने

वेतन नहीं बढ़ाए जाने से नाराज देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी के स्ववित्त विभाग के कर्मचारियों की हड़ताल जारी रही। तक्षशिला परिसर में धरने पर बैठे कर्मचारियों ने काम बंद रखा और दिनभर जमकर नारेबाजी की।
स्ववित्त विभाग के कर्मचारियों के साथ, अब शिक्षकों की नाराजगी भी आने लगी सामने
स्ववित्त विभाग के कर्मचारियों के साथ, अब शिक्षकों की नाराजगी भी आने लगी सामनेPiyush Mourya
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इंदौर, मध्यप्रदेश। वेतन नहीं बढ़ाए जाने से नाराज देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी के स्ववित्त विभाग के कर्मचारियों की बुधवार को भी हड़ताल जारी रही। तक्षशिला परिसर में धरने पर बैठे कर्मचारियों ने काम बंद रखा है और दिनभर जमकर नारेबाजी की। सख्ती दिखाते हुए यूनिवर्सिटी ने संगठन को कहा है कि जो हड़ताल कर रहे हैं उन कर्मचारियों का वेतन काटा जाएगा। जानकारों के अनुसार 2018 में नियमित हुए कर्मचारियों को तीन साल बाद वेतन वृद्धि मिलनी थी, लेकिन आदेश गायब होने से यूनिवर्सिटी ने वेतन नहीं बढ़ाया। कर्मचारियों और कुलपति-अधिकारियों के बीच तीन दौर की बातचीत हुई लेकिन कोई निर्णय नहीं निकला। सूत्रों के अनुसार अब शिक्षकों की भी नाराजगी सामने आने लगी है। शिक्षकों से जुड़े कई मामले अटके हैं।

देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी स्ववित्त संस्थान कर्मचारी (गैर शिक्षक) संघ के आह्वान पर जारी हड़ताल सोमवार से पहले यूनिवर्सिटी प्रशासन से गतिरोध हटाने संबंधित कई बार बैठके हुई, लेकिन सभी बैठके यूनिवर्सिटी प्रशासन के हठधर्मिता रवैया के कारण निष्क्रिय रही। यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा अभिलेख गायब होने की बात कह कर कर्मचारियों को वेतनवृद्धि जारी नहीं कर रहा है, जिस पर कर्मचारियों द्वारा अपने व्यक्तिगत अभिलेख/आदेश प्रतियों का अवलोकन, यूनिवर्सिटी के कुलपति, कुलसचिव, कुलाधिसचिव, उपकुलसचिव स्थापना व समिति को भी अवलोकन करवाया जा चुका है। धरना स्थल पर कुलाधिसचिव तक ने समन्वय बनाने की असफल कोशिश की लेकिन कर्मचारियों ने स्पष्टतौर पर कहा कि सबसे पहले जिस अधिकारी की अभिरक्षा में रखे दस्तावेज गायब हुए है सबसे पहले उस अधिकारी पर कार्यवाही की जाए। दूसरा यह की वेतनवृद्धि जारी करने के लिए नियुक्त पत्र की आवश्यकता नहीं होती है, केवल सेवा पुस्तिका में प्रविष्टि के आधार पर सभी कर्मचारियों की वेतनवृद्धि नियम अनुसार की जाती रही है। इसके बाद भी कर्मचारी द्वारा अपने पास रखे प्रतियों का अवलोकन सभी अधिकारियों को करवाया जा चुका है। शासन द्वारा दिए जाने वाले लाभ और शासन द्वारा जारी किए गए निर्देश अनुसार जल्द ही वेतनवृद्धि जारी की जाए। साथ ही सहायक कुलसचिव स्थापना द्वारा कुलपति, कुलसचिव, उपकुसचिव स्थापना द्वारा अनुमोदन किए जाने के बाद, एक गलत नियम लगाकर कर्मचारियों के साथ अन्याय किया जा रहा है। कर्मचारी विरोधी मानसिकता वाले अधिकारी अपनी गलत टिप्पणी से सहायक कुलसचिव स्थापना द्वारा यूनिवर्सिटी को गुमराह करने की कोशिश की गई और चेष्टा की गई कि कर्मचारियों को आंदोलित कर यूनिवर्सिटी में अस्थिरता पैदा की जाए।

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