अनूपपुर, मध्य प्रदेश। प्रदेश के चुनिंदा जिलों में शुमार अनूपपुर जहां की सभी सीटों पर विधानसभा में कांग्रेस को जीत मिली थी, लेकिन चार दशकों से कांग्रेस के आदिवासी राजनीति में केन्द्र बिन्दु रहे बिसाहूलाल की नाराजगी से जहां प्रदेश सरकार तक लड़खड़ा गई, वही अनूपपुर के कांग्रेसी प्रदेश व क्षेत्रीय कांग्रेसी सूरमाओं की पूरी ताकत लगा देने के बाद भी एक जुट होती नजर नहीं आ रही है। आपस में बटे दर्जनों गुट संगठन की आपसी खीचतान से ऐसा लग रहा है जेैसे खुद कांग्रेसी ही बिसाहू को उपचुनावों में वाकओव्हर दे रहे हैं।
बुधवार को प्रदेशभर में कांग्रेस ने भाजपा सरकार के द्वारा पेट्रोलियम पदार्थो में की गई मूल्य वृद्धि के खिलाफ प्रदर्शन का ऐलान किया था, प्रदेश के दीगर जिलों में क्या स्थिति रही वह तो कांग्रसी ही जाने, लेकिन अनूपपुर में आयोजित कार्यक्रमों में पेट्रोलियम से खुद ही कांग्रेस झुलसती नजर आई। युवक कांग्रेस और कांग्रेस के बीच की लड़ाई तो जगजाहिर है, लेकिन अब जिले में फुंदेलाल कांग्रेस, सुनील सराफ कांग्रेस और जयप्रकाश कांग्रेस बटी हुई नजर आ रही है, बुधवार को आयोजित कार्यक्रम में जो देखने को मिला वह कहीं न कहीं कांग्रेस को नुकसान ही पहुंचाएगा। युवा कांग्रेस के नेतृत्व में जहां कार्यक्रम का आयोजन कर युवाओं में जोश भरा गया वहीं जिला कांग्रेस कमेटी युवाओं को छोड़ अपने आप को बादशाह के रूप में पेश करती रही, जबकि बिना युवाओं के कुछ भी संभव नहीं हो सकता।
जयप्रकाश से अब भी नाखुश कार्यकर्ता :
15 वर्षो से भले ही जयप्रकाश अग्रवाल जिला कांग्रेस कमेटी के जिला अध्यक्ष हो, लेकिन विधायक बिसाहूलाल सिंह के करीब माने जाने वाले जयप्रकाश अब भी अपनी टीम को तैयार नहीं कर पाये हैं, कारण सिर्फ इतना है कि 15 वर्षो से सिर्फ बिसाहूलाल सिंह के साथ ही रहे हैं, विधानसभा चुनाव के जीत बाद जिलाध्यक्ष सिर्फ और सिर्फ बिसाहूलाल सिंह के साथ ही रहते थे, बाकी कोतमा और पुष्पराजगढ़ विधायक के साथ मतभेद ही होता रहा है, इसके पहले कोतमा विधायक ने जिलाध्यक्ष जयप्रकाश अग्रवाल के खिलाफ आवाज भी उठाई थी, लेकिन बिसाहूलाल सिंह के सबसे खास माने जाने वाले जयप्रकाश पर कोई आंच नही आ सका, अब जब बिसाहूलाल सिंह भाजपा में चले गये तो जिलाध्यक्ष दोनो विधायकों के साथ दिखने लगे हैं, लेकिन अब भी कोई निर्णय लेते है तो दोनों विधायकों की मंशा के अनुसार ही लेते है, फिर भी अनेक पदाधिकारी और कार्यकर्ता अब भी जयप्रकाश अग्रवाल से नाखुश है।
युवाओं में जोश की जगह नकारात्मकता :
पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कोतमा विधायक सुनील सराफ युवाओं जोश भरने की जगह उनसे नकारात्मक तरीके से बात करते रहे, कुल मिलाकर जब सरकार को मजबूती प्रदान करने का वक्त है तब भी अपने चहेतो को उपकृत करने के लिए पार्टी के किसी भी कार्यकर्ता व पदाधिकारी से लड़ना पड़े तो यह तैयार नजर आ रहे हैं। एक तरफ युवा जहां लगातार अपनी फौज को मजबूत करने में लगे हैं वही, जिला कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारी युवाओं के जोश में प्रहार करने में लगे हुए हैं। जिसका नतीजा यह हुआ कि युवा कांग्रेस और जिला कांग्रेस कमेटी के बीच उपस्थित पदाधिकारियों में बात-चीत और आपसी सहमति भी नहीं दिख पाई।
असमंजस में पदाधिकारियों का निष्कासन :
जिलाध्यक्ष के मुताबिक जिला कांग्रेस कमेटी को भंग कर दिया गया है, लेकिन जिला अध्यक्ष की बात कोई मानने को तैयार ही नहीं है, आज भी जिला कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारी लेटर पैड में अपना नाम और पद अंकित कर रखे हैं और जारी भी कर रहे हैं, इससे साफ जाहिर होता है कि जिलाध्यक्ष का पार्टी में कितना वजूद है, वहीं युवा कांग्रेस के पदाधिकारियों का भी यही हाल है पार्टी द्वारा कौन सी नीति के तहत् निष्कासन किया गया है यह तो तय नहीं, लेकिन महीनों बाद भी कांग्रेस यह तय नहीं कर पा रही है कि अपने पार्टी को व्यवस्थित कैसे करना है।
नहीं पहुंचे मंडलम के कार्यकर्ता :
मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ के निर्देशानुसार जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जयप्रकाश अग्रवाल के नेतृत्व में जिले के पुष्पराजगढ़ विधानसभा क्षेत्र विधायक फुंदेलाल सिंह मार्को एवं कोतमा विधायक सुनील कुमार सराफ के साथ अपने कार्यकर्ताओं की उपस्थिति में प्रदर्शन कर अपर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। लेकिन उनके ही देवहरा, बरगवां व सकरा आदि मंडलम पदाधिकारी और कार्यकर्ता नजर नहीं आये, जबकि युवक कांग्रेस के कार्यकर्ता सैकडों नजर आये वहीं, जिला कांग्रेस के लगभग 50 कार्यकर्ता ही दिखाई दिये, जिसके बाद भी युवाओं को दरकिनार किया जा रहा है।
पार्टी में नहीं दिखा सम्मान :
भले ही पार्टी के साथ खड़े होकर जिला कांग्रेस कमेटी और युवक कांग्रेस कलेक्ट्रेट पहुंच कर ज्ञापन सौंप दिये, लेकिन सच तो यह है कि न ही जिला कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारी युवाओं को सम्मान दिये और न ही युवाओं ने जिला कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारियों से कोई लगाव रखा, दर्जनों मीटिंग के बाद भी कांग्रेसी यह निर्णय नहीं ले पा रहे हैं कि अपने पार्टी के हरेक कार्यकर्ता व पदाधिकारियों को खुश कैसे रखा जा सकता है, इससे साफ होता है कि कांग्रेसियों में कुशलता की कमी आज भी है, जिसका परिणाम भुगत रहे हैं।
15 साल बाद भी नहीं बदली मानसिकता :
राजधानी से लेकर जिले तक में विधानसभा चुनाव के बाद सिर्फ अनूपपुर जिले का आंकलन किया जाये तो सबसे ज्यादा राजनीति यही दिखाई देगी, विधानसभा चुनाव के बाद जहां कोतमा विधायक अपने विधानसभा में सुर्खियों में रहे वही पुष्पराजगढ़ विधायक का सकारात्मक सोच के साथ सिर्फ बिसाहूलाल के साथ टकराव देखने को मिला था, नर्मदा महोत्सव में पहुंच मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के दौरान भी साक्षात देखने को भी मिली थी, उसके बाद अब सरकार भी चली गई, लेकिन जो परिदृश्य देखने को कांग्रेसियों में मिल रहा है वह कहीं न कहीं उनकी मानसिकता को दर्शाता है।
यही हाल रहा तो टूट जायेगी कांग्रेस :
जिले में युवाओं की फौज अभी तक हर कदम में साथ चलने को तैयार दिखी, वहीं जिला कांग्रेस कमेटी ने अपने आप को दिखाने की कोशिश की, इतना ही नही महिला कमेटी तो नजर भी नहीं आई, जिलेभर में चल रहे आपसी मतभेद को अगर जल्द ठीक नहीं किया गया तो उपचुनाव में इसका असर व्यापक देखने को मिलेगा। जिले में राष्ट्रीय स्तर से लेकर प्रदेश स्तर के पदाधिकारियों का दौरा होने के बाद भी न तो निष्कासन की प्रक्रिया का कोई समाधान निकला और न ही कांग्रेस को एकजुट करने में सफल रहे, जिसका नतीजा यह है कि हर पदाधिकारी उपचुनाव की तैयारियों को छोड़ अपने पद और अपन नाम को बचाने का ज्यादा प्रयास करता दिखाई दिया।
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