हाइलाइट्स :
आज से दो दिवसीय दौरे पर मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज केरल पहुंचे
शिवराज ने बोले- मैं आज आदि शंकराचार्य जी की जन्मभूमि आया हूँ
केरल की भूमि अत्यंत पवित्र है
Shivraj Singh Chouhan in Kerala: आज से दो दिवसीय दौरे पर मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान केरल पहुंच चुके है। यहां उन्होंने आदि गुरु शंकराचार्य जी के जन्मस्थली कालड़ी में दर्शन पूजन कर मंदिर में पौधारोपण किया और कहा- भारतीय संस्कृति कहती है कि सभी में एक ही चेतना विराजमान है। पेड़-पौधे, जीव-जंतु, मनुष्य सभी परमात्मा की ही अभिव्यक्ति हैं।
आज श्री आदि शंकर जन्मभूमि क्षेत्र की पुण्य भूमि में पौधरोपण का सौभाग्य मिला: शिवराज
शिवराज बोले- इसी भूमि से पैदल निकले आदि शंकराचार्य जी ने भी एकात्मता की बात कही, नदियों की स्तुति लिखी, पहाड़ों को पूजा और प्रकृति के साथ समन्वय स्थापित किया। आज श्री आदि शंकर जन्मभूमि क्षेत्र की पुण्य भूमि में पौधरोपण का सौभाग्य मिला। मुझे विश्वास है कि विश्व मंगल के भाव से इस पुण्य क्षेत्र में रोपा यह पौधा जगत को शांति और शीतलता देगा।
इस दौरान मीडिया से चर्चा करते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, मैं सौभाग्यशाली हूँ कि आज आदि शंकराचार्य जी की जन्मभूमि आया हूँ यहीं उन्होंने जन्म लिया था और यहीं से वह गुरु की खोज में पदयात्रा कर ओंकारेश्वर की ओर निकले थे।
आचार्य शंकर के कारण ही आज भारत सांस्कृतिक रूप से एक है। उन्होंने दक्षिण से उत्तर, पूर्व से पश्चिम सारे भारत को जोड़ा। उनकी कृपा से ही हमारी संस्कृति, जीवन मूल्य और परंपराएं अक्षुण्ण हैं, मुझे अत्यंत प्रसन्नता है कि उनके गुरु स्थान ओंकारेश्वर में भव्य प्रतिमा 'एकात्मता की मूर्ति' बन गई है। आदि शंकराचार्य जी का एकात्मता का विचार ही भौतिकता की अग्नि में दग्ध इस मानवता को शाश्वत शांति के पथ का दिग्दर्शन कराएगा।
पूर्व सीएम ने कहा- केरल की भूमि अत्यंत पवित्र है
आगे पूर्व सीएम ने कहा कि, केरल की भूमि अत्यंत पवित्र है। इस धरती ने सनातन को आदि शंकराचार्य जी जैसा नायक दिया, जिसने सांस्कृतिक, आध्यात्मिक तथा भौगोलिक स्तरों पर सार्वभौमिक एकात्मता का सूत्रपात किया। मैं आचार्य शंकर की ज्ञानभूमि और गुरुभूमि मध्यप्रदेश से उनकी जन्मभूमि कालड़ी आया हूं। यहां की दिव्य आध्यात्मिक ऊर्जा आत्मा को और उज्ज्वल कर रही है।
मध्यप्रदेश से आचार्य शंकर का गहरा नाता रहा है। यहां उन्हें गुरु मिले, नर्मदा किनारे कई स्त्रोतों की उन्होंने रचना की और यहीं से उन्होंने विश्व को एकात्मता का संदेश देने के लिए अपनी दिग्विजय यात्रा प्रारंभ की। एक बार पुनः भगवत्पाद आद्य श्री शंकराचार्य जी की ज्ञानभूमि ओंकारेश्वर से एकात्मता का सार्वभौमिक संदेश संपूर्ण विश्व को नई दिशा दे रहा है। यहां विनिर्मित 'एकात्म धाम' प्रकल्प तथा 'अद्वैत लोक' प्रस्थानत्रयी, सनातन संस्कृति, आर्षविद्या व वैदिक स्वर्णिम सिद्धांतों के प्रचार-प्रसार का वैश्विक केंद्र बन रहा है, मैं आचार्य शंकर के चरणों में कोटि-कोटि नमन करता हूं।
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