ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा तैयार, 6 शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुति के साथ होगा अनावरण
भोपाल, मध्यप्रदेश। ओंकारेश्वर में जहाँ आदि गुरु शंकराचार्य को ज्ञान और दीक्षा की प्राप्ति हुई वहीं उनकी 108 फीट ऊंची बहुधातु की प्रतिमा 'एकात्मता की मूर्ती' का अनावरण होने जा रहा है। 21 सितम्बर को मध्यप्रदेश में शिव भूमि ओंकारेश्वर में एकात्म धाम का शिलान्यास भी सीएम शिवराज सिंह चौहान द्वारा किया जाएगा। यहाँ आदिगुरु शंकराचार्य अद्वैत अंतर्राष्ट्रीय संस्थान भी बनाया जा रहा है जो एकात्मता के भाव का प्रचार प्रसार करेगा। ओंकारेश्वर में 21 सितम्बर को होने वाले इस कार्यक्रम की वृहद स्तर पर तैयारियां की जा रही है। 6 भारतीय शास्त्रीय नृत्य शैलियों की प्रस्तुति के साथ शंकरावतरणम कार्यक्रम की शुरुआत होगी।
ओंकारेश्वर में मधांता पर्वत पर दो हजार करोड़ की लागत से एकात्म धाम का निर्माण किया जा रहा है। साल 2018 में अखिल भारतीय एकात्म यात्रा के द्वारा 23 हजार गांव से एकत्र धातुओं से शंकराचार्य की बाल रूप प्रतिमा का निर्माण किया गया है। ओंकारेश्वर में अध्यात्म और ध्यान का संगम होगा। यहां आदिगुरु शंकराचार्य की प्रतिमा के साथ ही शंकर निधि ध्यानासन केंद्र भी बनाया जा रहा है।
6 भारतीय शास्त्रीय नृत्य की दी जाएगी प्रस्तुति:
कार्यक्रम में भगवान शिव के नृत्य की प्रस्तुति और भारतीय शास्त्रीय नृत्य शैलियों के साथ 25 मिनट नृत्य की प्रस्तुति होगी। भारत के 6 शास्त्रीय नृत्य- भरतनाट्यम, कथक, छाऊ, ओडिसी, मोहिनीअट्टम और मणिपुरी नृत्य से शिव की अभिव्यक्तियों को अपनी अनूठी शैली में प्रस्तुत किया जाएगा। कार्यक्रम में शैव परम्परा पर आधारित नृत्य प्रस्तुतियों को देश भर से आए कुल 337 कलाकारों द्वारा मंचित किया जाएगा। साथ ही शंख वादन में 80 कलाकार, केरल शैली एवं पंचायतन में कुल 95 कलाकार और 250 बटुक वेदपाठियों द्वारा एकात्मता की प्रस्तुतियाँ दी जाएंगी।
हिन्दुस्तानी और कर्नाटक संगीत का होगा गायन:
शंकरावतरणम के क्रम में 'शंकर संगीत' में श्रेष्ठ संगीतकार, हिन्दुस्तानी संगीत एवं कर्नाटक संगीत शैली में आचार्य शंकर विरचित स्त्रोतों का गायन करेंगे। इनमें पण्डित संजीव अभ्यंकर (हिन्दुस्तानी संगीत), पण्डित जयतीर्थ मेवुण्डी (हिन्दुस्तानी संगीत), सुधा रघुरामन (कर्नाटक संगीत) और मामलम बहनें (कर्नाटक संगीत) की प्रस्तुतियाँ देंगी।
ओंकारेश्वर में होगा यक्षगान:
यक्षगान द्वारा कर्नाटक, झारखण्ड, हरियाणा, ओडीसा, तेलंगाना, आन्ध्रप्रदेश, उत्तरप्रदेश, बंगाल, हिमाचल/लेह लद्दाख, केरल, अरूणाचल प्रदेश, सिक्किम से आए कलाकार अपनी प्रस्तुति देंगे।
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