रतलाम। प्रशासनिक सेवा में जाने वाले सभी व्यक्ति को चाहत रहती है कि वह कलेक्टर बने। जो सीधे आईएएस से आते है उन्हें कुछ सालों की ज़रूरी ट्रेनिंग से निकलने के बाद डिप्टी कलेक्टर, जिला पंचायत कार्यपालन अधिकारी एवं अपर कलेक्टर के सफ़र तय करना होता है तब जाकर इनका कलेक्टर बनने का सपना पूरा होता है। जिसने पाँच से आठ साल तक भी लग जाते हैं।
लेकिन वर्तमान में जबलपुर में पदस्थ आईएएस अपर कलेक्टर अनुप सिंह ने अपनी बीमार माँ की सेवा के लिए शुक्रवार की दोपहर में नियुक्त हुए दमोह कलेक्टर पद को स्वीकार करने से इनकार कर दिया । आज दोपहर में जारी हुए तबादला सूची में अनुप सिंह को दमोह कलेक्टर तरुण राठी की जगह पद स्थापना की गई थी ।
लेकिन अपनी बीमार माँ की सेवा के लिए आईएएस अनुप सिंह ने दमोह कलेक्टर बनने से ज़रूरी अपनी माँ की सेवा को समझा जिसके चलते उन्होंने प्रशासन को दमोह कलेक्टर बनने से इनकार कर दिया ।
शासन ने आईएएस
अनुप सिंह की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए उनकी जगह इंदौर नगर निगम कमिश्नर को दमोह कलेक्टर बनाया है। पूर्व में रतलाम ज़िले के जावरा में SDM रहे आईएएस अनुप सिंह अपनी सख़्त कार्रवाई और अत्यंत सरल स्वभाव के कारण जाने जाते हैं।
आज अपने बीमार माँ की सेवा के लिए कलेक्टर का पद छोड़ कर उन्होंने साबित कर दिया कि माँ की सेवा कलेक्टर के ख़्वाब से ऊपर है। आईएएस अनुप सिंह इसके पूर्व ग्वालियर मे भी पदस्थ रहे हैं। उनके बाद की बेच के भी कुछ लोग कलेक्टर बन चुके हैं। लेकिन अपने सख़्त कार्य प्रणाली ओर सरल व्यवहार के कारण उन्हें कलेक्टर नहीं बनाया।
मूल रूप से कानपुर के रहने वाले आईएएस अनुप सिंह ने शुक्रवार को दमोह कलेक्टर बनाए जाने पर कहा मेरी माताजी बीमार हैं फ़िलहाल उनकी सेवा के लिए यह पद स्वीकार करने से मना कर दिया है।
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