हाइलाइट्स
BU ने इस सत्र में MBA कोर्स में प्रवेश के लिए किसी कॉलेज को नहीं दी संबद्धता।
DTE ने बीयू के कार्यक्षेत्र में आने वाले कॉलेजों में कराए MBA कोर्स के लिए प्रवेश।
राज एक्सप्रेस की पड़ताल में खुली शिक्षा व्यवस्था की पोल।
भोपाल, मध्यप्रदेश। बरकतउल्ला विश्वविद्यालय (BU) से संबद्ध कालेजों में विश्वविद्यालय (विवि) की सहमति के बिना एमबीए कोर्स में प्रवेश कराए जाने को लेकर पूरी कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ गई है। बीयू ने संबद्धता और निरंतरता के बगैर कालेजों को काउंसलिंग में शामिल करने का ठिकरा डिपार्टमेंट ऑफ टेक्निकल एजुकेशन (DTE) के सिर फोड़ दिया। वहीं डीटीई ने भी परंपरा का हवाला देते हुए प्रवेश करा लिए हैं, जबकि नियम की बात करें तो विवि की संबद्धता और सहमति लिए बिना संबंधित कॉलेजों में प्रवेश होने ही नहीं चाहिए।
मामला कुछ यूं है कि, बीयू ने इस बार एमबीए की प्रवेश प्रक्रिया के दौरान किसी भी कॉलेज का संबद्धता और निरंतरता नहीं दी थी। डीटीई द्वारा कॉलेजों की सूची मांगने पर बीयू प्रशासन चुप्पी साधे रहा, जब प्रक्रिया पूरी हो गई और विवि पर सवाल उठे तो उसने डीटीई के नाम एक चिठ्ठी लिखकर उस पर सवाल दाग दिए, लेकिन इस खेल में बीयू खुद ही सवालों के घेरे में फंस गया। 'चलता है' के नाम पर चल रहे प्रवेश के खेल को खत्म करने के विषय में तकनीकी शिक्षा विभाग का कहना है कि उच्च शिक्षा के साथ बैठक कर गाइड लाइन बनाएंगे।
पहली बार किसी विवि ने प्रवेश प्रक्रिया पर उठाए सवाल
ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी विवि ने प्रवेश प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। दरअसल, बीयू ने इस सत्र में एमबीए कोर्स में प्रवेश के लिए किसी भी कॉलेज को संबद्धता नहीं दी थी, बावजूद इसके डीटीई ने बीयू के कार्यक्षेत्र में आने वाले 88 कॉलेजों ने एमबीए में प्रवेश करा दिए। इस मामले में काउंसलिंग प्रकिया के दौरान विवि का अकादमिक शाखा प्रबंधन चुप्पी साधे रहा, लेकिन कुलपति की सख्ती के बाद खुद को बचाने के लिए डीटीई के नाम 8 दिसंबर को एक चिठ्ठी लिख दी। जिसमें डीटीई से ही सवाल कर दिया कि उसने विवि की संबद्धता के बिना किन नियमों और प्रावधानों के तहत विद्यार्थियों के प्रवेश कराए हैं। डीटीई का कहना है कि हमें विवि की कोई चिठ्ठी मिली ही नहीं है, जब मिलेगी तो जवाब भी देंगे।
राज एक्सप्रेस की पड़ताल में उजागर हुआ खेल :
राज एक्सप्रेस की पड़ताल में हैरतअंगेज बात सामने आई कि बीयू ने डीटीई को यह चिठ्ठी भेजने की बजाय खुद के पास ही दबा कर रख ली। अकादमिक शाखा के अधिकारी-कर्मचारी अपने ही उच्च अधिकारियों को अलग-अलग बातेंं करके महीने भर टालते रहे और बताया कि, 11 दिसंबर को डीटीई को मेल और चिठ्ठी भेजी है। तकाजा बढऩे पर उन्होंने माना कि मेल किसी दूसरी आईडी पर भेज दिया है और चिठ्ठी के बारे में भी कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे पाए। मामला खुलने पर विवि के अधिकारी अपना बचाव करते हुए कार्यालय सहायक राकेश सैन पर लापराही के आरोप लगा रहे हैं और उसके खिलाफ कार्यवाई कर रहे हैं।
विवि का अधिनियम हम पर लागू नहीं :
डीटीई के अधिकारियों का कहना है कि विवि का अधिनियम हम पर लागू नहीं होता है। विश्वविद्यालयों की परंपरा है, संबद्धता प्रक्रिया समय पर पूरी नहीं करते हैं। हमें समय पर काउंसलिंग करानी होती है, इसलिए प्रकिया शुरू होने से पहले विवि से संबद्धता सूची मांगते है। विवि समय सीमा तक जानबूझ कर चुप्पी बनाए रखते हैं और हां या ना कुछ जवाब नहीं देते हैं। ऐसे में हम अपने डिपार्टमेंट की गाइडलाइन के अनुसार पुराने सत्र की संबद्धता और इस साल की फीस रसीद के आधार पर कॉलेजों को प्रक्रिया में शामिल कर लेते हैं। विवि अब भ्रामक जानकारी देकर हमें विलेन बना रहे हैं। अगली बार से बिना संबद्धता सूची के प्रवेश नहीं कराएंगे।
इनका कहना है
कार्य में लापरवाही करने के लिए कार्यालय सहायक राकेश सैन के विरूद्ध कार्रवाई होगी, कुलसचिव को पत्र लिखा है।
-पुनीत शुक्ला, एडीआर अकादमिक शाखा
कायदे से विश्वविद्यालयों को समय पर संबद्धता सूची जारी कर डीटीई को भेज देना चाहिए। हम उच्च शिक्षा विभाग के साथ बैठक कर इस तरह में मामलों के लिए गाइडलाइन बनाएंगे।
- मनु श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव तकनीकी शिक्षा विभाग
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