शनिश्चरी अमावस्या पर मुरैना के मंदिर में लगेगा मेला
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शनिश्चरी अमावस्या पर मुरैना के मंदिर में लगेगा मेला, श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विभागों को सौंपा जिम्मा

मुरैना, मध्यप्रदेश: 21 जनवरी को शनिश्चरी अमावस्या, मुरैना के मंदिर में लगने वाले मेला में श्रदालुओं के आने को दृष्टिगत रखते हुए व्यवस्थाओं को मूर्तरूप देने के लिए विभागों को जिम्मेदारियां सौंप दी।
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मुरैना, मध्यप्रदेश। माघ माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या को माघ अमावस्या या मौनी अमावस्या कहते हैं, इस बार शनिश्चरी अमावस्या 21 जनवरी को मनाई जाएगी। माघ में पड़ने वाली अमावस्या सबसे अधिक महत्वपूर्ण सभी अमावस्याओं में से एक है। ऐसे में शनिश्चरी अमावस्या पर मुरैना के मंदिर में विशाल मेला लगेगा।

21 जनवरी को ऐंती पर्वत पर विशाल मेले का आयोजन :

21 जनवरी को शनिश्चरी अमावस्या पर ऐंती पर्वत पर विशाल मेला आयोजित होगा। बड़ी संख्या में श्रदालुओं के आने को दृष्टिगत रखते हुए व्यवस्थाओं को मूर्तरूप देने के लिए सभी विभागों को जिम्मेदारियां सौंप दी गई है। जिला प्रशासन ने मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में ऐंती पर्वत पर विराजमान प्राचीन शनि मंदिर में शनि अमावस्या पर शनि देव की पूजन-अर्चन के लिए देश के कई स्थानों से आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए सभी विभागों को जिम्मा सौंपा है।

बताया गया है कि, इस प्रतिमा की स्थापना महाराजा विक्रमादित्य द्वारा की गई। इस मंदिर का जीर्णोद्धार सिंधिया शासकों ने सन् 1808 में कराया था। इस शनि पर्वत क्षेत्र से ही 18वीं सदी में सिंधिया शासकों द्वारा एक सिला ले जाई गई, यह सिला पहले अहमद नगर फिर वहां से शिगनापुर पहुंची और एक चबूतरे पर स्थापित हो गई। इस स्थान का नाम ही शनि शिगनापुर हो गया। इस सिला का आधा भाग आज भी मुरैना के शनि मंदिर में रखा हुआ है। मुरैना जिले के त्रेतायुगीन शनि मंदिर के चारों तरफ हजारों किलो मीटर दूर तक सरसों की होने वाली फसल को शनिदेव की ही कृपा माना जाता है।

बहुत अद्भुत संयोग में मनाई जाएगी इस बार की शनिश्चरी अमावस्या :

बता दें कि शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को शनिश्चरी अमावस्या के नाम से जाना जाता है, इस बार की शनिश्चरी अमावस्या बहुत अद्भुत संयोग में मनाई जाएगी, कहा जाता है कि, सभी अमावस्या में से शनिश्चरी अमावस्या ही एकमात्र अमावस्या है, जिसमें स्नान-दान के अलावा मौन व्रत रखने का भी महत्व बताया गया है, इस दिन मौन रहकर जप, तप, साधना, पूजा पाठ करने से व्यक्ति को कष्टों और पापों से मुक्ति मिलती है।

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