राज एक्सप्रेस। तमाम सावधानियों के बावजूद कैंसर के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। इंडियन कैंसर सोसायटी के आंकड़ें बेहद भयावह हैं। आंकड़ों के मुताबिक अगले 10 सालों में डेढ़ करोड़ लोगों तक कैंसर पहुंच सकता है जिसमें से 50 फीसदी कैंसर रोगियों का इलाज भी संभव नहीं हो सकेगा। यदि छोटे-छोटे कदम उठाए जाएं तो कैंसर का जोखिम कम किया जा सकता है। पिछले तीन वर्षों में 567 मरीजों का पंजीकरण हुआ था जिसमें से 319 मरीज भर्ती के योग्य पाए गए। ज्यादातर मरीजों को प्राथमिक जांच के बाद कैंसर अस्पतालों में रिफर कर दिया जाता है।
तीन साल में 567 कैंसर के मरीज हुए पंजीकृत जिला मुख्यालय में एनपीसीडीसीएस क्लीनिक संचालित हैं जहां कैंसर के संभावित मरीजों का पंजीकरण होता है और प्राथमिक जांच की जाती है। आईईसी की कंसलटेंट दीप्ती जैन ने बताया कि, एक जनवरी 16 से 31 दिसम्बर 19 तक कुल 567 मरीज रजिस्टर्ड हुए, जिनमें से 54 मरीज आईव्ही कीमोथैरेपी के, 10 ओरल कीमोथैरेपी,106 कीमो साईकिलिंग और 319 मरीज भर्ती किए जाने में शामिल हैं। वहीं एक अप्रैल 18 से 31 मार्च 19 तक कुल 91 मरीज रजिस्टर्ड हुए हैं जिनमें से 56 मरीजों को भर्ती किया गया था। 1 अप्रैल 2019 से 31 दिसम्बर 2019 तक 42 मरीज पंजीकृत हुए और इतने ही मरीजों को भर्ती किया गया।
5 शीर्ष कैंसर कर रहे देश की जनसंख्या को प्रभावित
वैसे तो 100 प्रकार से कैंसर फैलता है लेकिन भारतीय जनसंख्या को प्रभावित करने वाले पांच प्रमुख कैंसर हैं जिनमें ब्रेस्ट कैंसर, मुंह का कैंसर,फेफड़े का कैंसर, गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर और अमाशय कैंसर शामिल हैं। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. विजय पथौरिया ने बताया कि जिला चिकित्सालय में 1 अप्रैल 2019 से 31 दिसम्बर 2019 तक 42 केस कैंसर से पीड़ितों के पंजीकृत हुए हैं। उन्होंने बताया कि ब्लड प्रेशर एवं शुगर के बाद कैंसर पीड़ितों की संख्या में हर वर्ष बढ़ोत्तरी हो रही है। 2018 में भारत में कैंसर के कुल 11 लाख 57 हजार 294 नए मामले सामने आए थे। 2019-20में एनसीडी कार्यक्रम में प्राइमरी स्थिति में ओरल कैंसर 727, ब्रेस्टकैंसर 442 तथा सर्वाइकल कैंसर के 40 संभावित मरीज सामने आए थे।
इन सावधानियों से कम हो सकता है कैंसर का खतरा
कहा जाता है कि उपचार से परहेज अच्छा होता है। इसलिए किसी भी बीमारी से बचने के लिए कुछ परहेज जरूरी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि नमक कम खाने से कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है। इसके अलावा वजन को नियंत्रित रखने, सुबह धूप लेने, धूम्रपान, शराब से बचने, प्लास्टिक में खाना न खाने, पर्याप्त नींद लेने, रेड मीट का सेवन कम करने से कैंस के खतरों से बचा जासकता है। डॉक्टरों का कहना है कि यदि कैंसर के लक्षण नजर आते हैं तो स्क्रीनिंग जांच करवाने से हिचकिचाना नहीं चाहिए।
देशी दवा से कैंसर का हो सकता है संपूर्ण इलाज
कैंसर का देशी इलाज करने वाले वैद्य मूरत सिंह का मानना है कि शुरूआती जांच में ही यदि कैंसर की जानकारी मिल जाती है तो देशी दवा के माध्यम से इसे ठीक किया जा सकता है अब तक करीब तीन सैकड़ा मरीजों को इलाज दे चुके श्री सिंहका कहना है कि ऑपरेशन से बीमारी के फैलने की संभावना बढ़ जाती है इसलिए यदि शरीर में कहीं भी कठोर गांठ हो तो उसकी जांच अवश्य करानी चाहिए। कल्लोबाई बिल्लुआ, रमाबाई बूदौर सहित कई महिलाओं को स्तन की गांठ से मुक्ति दिलाई गईहै।
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