मध्यप्रदेश में 30 फीसदी सिंचाई पानी की बचत
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जल संसाधन विभाग के एक कदम सेे मध्यप्रदेश में 30 फीसदी सिंचाई पानी की बचत

भोपाल, मध्यप्रदेश। मध्यप्रदेश सरकार की दूरदर्शिता के चलते अब प्रदेश में सिंचाई के पानी की 30 फीसदी तक बचत हो रही है।
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भोपाल, मध्यप्रदेश। मध्यप्रदेश सरकार की दूरदर्शिता के चलते अब प्रदेश में सिंचाई का पानी की 30 फीसदी तक बचत हो रही है। बचत पानी से सिंचाई का रकबा बढ़ा और कई किसानों को उनकी अवश्यकता के अनुसार पानी मिलने लगा है। मप्र सरकार ने जल संसाधन विभाग के माध्यम से खुली नहरों के निर्माण को बंद कर नई सिंचाई परियोजानाओ में अब सिर्फ पाइपलाइन का ही उपयोग किया जा रहा है।

खुली नहर प्रणाली के माध्यम से जहां 01 एमसीएम जल से 170 हेक्टेयर में सिंचाई होती है। जबकि पाईपलाइन पद्धति से लगभग 50 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की जा रही है। खुली नहर प्रणाली की अपेक्षा पाईप लाइन प्रणाली द्वारा लगभग दोगुना से भी अधिक क्षेत्र में सिंचाई उपलब्ध हो रही है। जल संसाधन एवं नर्मदा घाटी विकास विभाग द्वारा वर्ष 2003 - 04 में 07 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध थी और अब वर्तमान में 45 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता निर्मित की गई है। प्रदेश में 70 फीसदी क्षेत्र में सिंचाई शासकीय स्त्रोतों से सिंचाई होती है।

भूमिगत पाइप लाइन से सिंचाई के लाभ

इस पद्धति में सिंचाई के लिए जल को पाईप के माध्यम से किसान के खेत तक पहुंचाया जाता है, जिससे जल की बर्बादी नहीं होती तथा जल की प्रत्येक बूंद का सार्थक उपयोग होता है। पुरानी सिंचाई परियोजनाओं में खुली नहरों के माध्यम से सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। इस पद्धति में पानी की काफी मात्रा में बर्बादी होती है।

जल की दक्षता को दोगुना करने का संकल्प-

प्रदेश में सिंचाई के लिए मध्यम् एवं वृहद सिंचाई परियोजनाओं में खुली नहरें निर्माण बंद कर दिया गया है तथा भूमिगत् पाईप लाईन के द्वारा सिंचाई की योजनाएं बनाई जा रही हैं। मध्यप्रदेश द्वारा राष्ट्रीय जल नीति एवं राष्ट्रीय जल मिशन के सिद्धांतों के अनुरूप सभी नवीन मध्यम् एवं वृहद सिंचाई परियोजनाओं में खुली नहर वितरण प्रणाली के स्थान पर दबाव युक्त पाईप प्रणाली को अपनाकर सिंचाई के लिए जल की दक्षता को दोगुना करने का संकल्प है।

प्रदेश सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मोर क्रॉप पर ड्रॉप के आव्हान के मुताबिक जल उपयोग दक्षता उन्नयन की नीति बनाई है। इस नीति के तहत जल संसाधन विभाग का प्रयास है कि जल की प्रत्येक बूंद का सही उपयोग कर पानी की बर्बादी को रोका जा सकें। विभाग संचाई परियोजनाओं को बनाते वक्त जल बचाने और सही उपयोग के तरीको फर फोकस किया जाता है।

वर्ष-2025 तक 65 लाख हेक्टेयर में सिंचाई का लक्ष्य

वर्ष-2025 तक हमारा लक्ष्य 65 लाख हेक्टेयर में सिंचाई उपलब्ध कराने का है। साथ ही वर्ष - 20&0 तक प्रदेश के संपूर्ण कृषि योग्य क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने का लक्ष्य तय किया गया है। आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के तहत् प्रदेश में वर्तमान में लगभग 45 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है, 2025 तक 65 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने का अगले वर्ष 2 लक्ष्य रखा गया है।

मंत्री तुलसीराम सिलावट का कहना-

मंत्री तुलसीराम सिलावट का कहना- केंद्र और मप्र सरकार की मंशा के अनुरूप जल संसाधन विभाग प्रदेश के जल स्त्रोतों से उपलब्ध जल की प्रत्येक बूंद का सही उपयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है। विभाग खुली नहर वितरण प्रणाली के स्थान पर दबाव युक्त पाईप प्रणाली को अपनाकर सिंचाई के लिए जल की दक्षता को दोगुना करने पर जोर दे रहा है। वर्ष-2025 तक 65 लाख हेक्टेयर में सिंचाई का लक्ष्य है। सिंचाई का क्षेत्र बढ़ाने से उपज का उत्पादन भी बढ़ेगा।

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