मैं 2022 अब बीता हुआ वक्त हो रहा हूँ, सो बाय बाय! पर नए साल 2023 मुझे याद भी रखना
राज एक्सप्रेस। मैं 2022 अब बीता हुआ वक्त हो रहा हूँ, सो बाय बाय! पर नए साल 2023 मुझे याद भी रखना। मुझे भूल जाना इस मायने में कि मैं जा रहा हूं। खुशनुमां पल के लिए मुझे याद रखना और भूल जाना उन बातों के लिए, उन हादसों के लिए जिन्हें दोबारा कभी जीवन में तुम देखना नहीं चाहते हो।
यूं भी जाते-जाते तुम्हें यह बताते हुए मुझे खुशी भी हो रही है कि तुम्हारे लिए मैं कई तरह से बेहतर साबित हुआ था। यह और बात है कि कई हादसों की वजह से गमगीन भी हुआ। इन हादसों ने शहर के लोगों को व्यथित कर दिया था। तमाम आवाम को मुझ साल 2022 से अनेक उम्मीदें भी लगी थी। मेरे जनवरी माह से तुम्हें उम्मीद थी कि शहर को नया मास्टर प्लान मिल जाएगा, लेकिन मैं गुजर गया और इंतजार अभी भी बना हुआ है। शहरवासियों को मायूसी जरूर हुई लेकिन विकास का पहिया थमा नहीं है। शहर में अनेक विकास कार्यों के लिए भूमि पूजन ने उम्मीद को बरकरार रखा है। अप्रैल की गर्मी के साथ ही राहत भी शहर वासियों को मिली। वीर सावरकर रेल अंडर ब्रिज का 27 अप्रैल को लोकार्पण हुआ, जिससे सुगम यातायात से लोगों को राहत का एहसास भी हुआ। इसके साथ ही सुभाषनगर ओवरब्रिज की सौगात कैसे भुलाएँ। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा कोरोना काल में ही यह बतौर तोहफा आमजन को दिया गया, जिससे लोगों को प्रभात चौराहे से एमपी नगर, औरंगाबाद जाने के लिए आसानी हो गई। कोविड का बुरा अनुभव और पटरी से उतरा व्यापार मेरे दरमियान वैश्विक सुधार के साथ पटरी पर आ गया। अक्टूबर में बकानिया में हुई घटना ने तो जैसे सब को हिला कर ही रख दिया था बीपीसीएल के डिपो में रिफिलिंग के दौरान आग से 7 लोगों का झुलस जाना और तीन का पानी दुनिया से अलविदा हो जाना शायद बेहद व्यथित करने वाला था।
साथ ही कोरोना की वजह से रुका दुनिया के तीसरे बड़े आलमी तब्लीगी इज्तिमा का पुन: आगाज साल 2022 के नवंबर माह में ही हुआ। दस लाख अकीदतमंदों की मौजूदगी में खैरियत के साथ संपन्न हो गया। इन सब के लिए मुझे याद रखना और भूल जाना उन पलों को जो मायूस करें। सुस्वागतम् साल 2023.....!
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