एनजीटी सेंट्रल बेंच भोपाल
एनजीटी सेंट्रल बेंच भोपालRE-Bhopal

NGT: कलियासोत और केरवा डेम क्षेत्र में 129 अवैध निर्माण, 1.25 एमएलडी से ज्यादा सीवेज भी मिल रहा

अतिरिक्त मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारियों की ओर से प्रस्तुत रिपोर्ट में अगले साल मार्च तक अवैध निर्माण हटाने और सीवेज मिलने से रोकने का दावा किया गया है।
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हाइलाइट्स

  • अफसरों ने पांच लाख रुपए की कॉस्ट माफ करने एनजीटी से किया अनुरोध

  • दोनों जलाशयों के बफर जोन में 129 अवैध निर्माण, अतिक्रमण हैं

  • बेंच ने दोनों जलाशयों के बफर जोन में प्रतिबंधित और नियंत्रित गतिविधियां स्पष्ट करने के लिए कहा।

भोपाल। एनजीटी की सेंट्रल बेंच की फटकार के बाद राज्य के आला अफसरों ने कलियासोत व केरवा डेम के पास अवैध निर्माणों और सीवेज मिलने की 512 पेज की रिपोर्ट पेश की है। इसमें बताया है कि दोनों जलाशयों के बफर जोन में 129 अवैध निर्माण, अतिक्रमण हैं। इसमें मकान, रेस्टोरेंट, डेरी व अन्य स्ट्रक्चर शामिल हैं। कुछ रसूखदारों के हैं। यह भी बताया है कि दोनों डेम में रोजाना 1.25 मिलियन लीटर से ज्यादा सीवेज मिल रहा है। अतिरिक्त मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारियों की ओर से प्रस्तुत रिपोर्ट में अगले साल मार्च तक अवैध निर्माण हटाने और सीवेज मिलने से रोकने का दावा किया गया है।

एनजीटी में बुधवार को ऑनलाइन सुनवाई के जरिए जुड़ कर मुख्य सचिव और नगरीय विकास विभाग के प्रमुख सचिव एक्शन टेकन रिपोर्ट की जानकारी दी। इसी मामले में पिछली हियरिंग में बेंच ने इन अफसरों से काफी नाराजगी जताई थी और पांच लाख रुपए की कॉस्ट लगाई थी। आला अफसरों ने पांच लाख रुपए की कॉस्ट माफ करने का अनुरोध किया। ऐसा न करने पर एक दिन में राशि जमा करने की बात कही। बेंच ने दोनों जलाशयों के बफर जोन में प्रतिबंधित और नियंत्रित गतिविधियां स्पष्ट करने के लिए कहा। साथ ही निजी भूस्वामियों का पक्ष सुनने के लिए कहा। 58 मकान और सात मंदिर बना लिए मुख्य सचिव के निर्देश पर स्टेट लेवल जॉइंट कमेटी बनाई गई।

नगरीय विकास, राजस्व, जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पीसीसीएफ और भोपाल कलेक्टर को शामिल किया गया। इनके प्रतिनिधियों ने 22 अगस्त से 8 सितंबर के दौरान कलियासोत और केरवा का सर्वे किया। इसमें सामने आया कि कलियासोत बांध के पास 96 अवैध निर्माण व अतिक्रमण हो चुके हैं। इसमें 58 मकान और सात मंदिर शामिल हैं। सरकारी जमीन पर 84 और बाकी निजी भूमि पर हैं। शासन की ओर से सभी को 11 सितंबर को नोटिस जारी किए गए हैं। वहीं कलियासोत में चार पॉइंट से रोजाना 1.25 मिलियन लीटर सीवेज मिल रहा। रिपोर्ट में बताया गया कि इसे रोकने के लिए 0.60 एमएलडी को नाला स्ट्रक्चर के जरिए सीवेज पंप हाउस से जोड़ेंगे।

बाकी सीवेज के ट्रीटमेंट के लिए दो प्लांट बनाना होंगे। इन कार्यों पर तीन करोड़ रुपए खर्च होगा। इसके लिए ऑफर बुलाए हैं। घरों, कॉलोनी की गंदगी सीधे केरवा में मिल रही केरवा जलाशय के एफटीएल से लगकर 33 अवैध निर्माण-अतिक्रमण कर लिए गए। सरकारी भूमि पर 18 और बाकी निजी जमीन पर हैं। बफर जोन में सैटेलाइट स्कूल और पावर सब स्टेशन भी बना हुआ है। सभी को नोटिस जारी हो चुके हैं। केरवा में 160 घरों, शारदा विहार कॉलोनी व स्कूल, हॉस्टल व दो डेरियों का गंदा पानी सीधे मिल रहा है। यह रोजाना करीब 48 किलो लीटर है। इसके निपटारे के लिए 65 लाख रुपए के कार्यों की योजना बनाई है।

पानी केवल नहाने लायक

कलियासोत का पानी ए से बी कैटेगरी का है। यह केवल नहाने लायक है। ऑक्सीजन कंस्ट्रेशन पर्याप्त है। इधर, केरवा का पानी बी कैटेगरी का मिला है। यह भी केवल नहाने योग्य है। रिपोर्ट में बताया गया है कि कलियासोत का फुल टैंक लेवल 527.75 हेक्टेयर और केरवा का 462.150 हेक्टेयर है। दोनों जलाशयों के एफटीएल से 33 मीटर यानि बफर जोन भी रिकॉर्ड किया गया। कलियासोत का करीब 79 और केरवा का 82.55 हेक्टेयर पाया गया कलियासोत जलाशय के एफटीएल पर पहले 123 पिलर लगे थे। इसमें से 64 टूट गए। अब एफटीएल के सीमांकन के लिए 679 पिलर लगाए जा रहे हैं। इसमें से 227 लग चुके हैं।

बाकी अक्टूबर आखिर तक लग जाएंगे, जियो टैगिंग की जा रही है। वहीं केरवा जलाशय की सीमा पहले ही तय हो चुकी है। हालांकि एफटीएल पर लगे पिलर गायब हो गए हैं। इसके लिए 1080 कॉन्क्रीट ब्लॉक लगाएंगे। अब तक 330 लग गए। बाकी अक्टूबर आखिर तक लगाएंगे। इधर, दोनों जलाशय के 123 हेक्टेयर में 69038 पौधे लगाए जा चुके हैं। अब इनके बफर एरिया में स्थित सरकारी जमीन पर पौधरोपण की डीपीआर बनाई है। अगले साल सितंबर तक लगाएंगे। वहीं बाघ विचरण क्षेत्र 42 वर्गकिमी है। इसमें 12 फीट ऊंची फेंसिंग की है और 357 हेक्टेयर जमीन भूमि वन विभाग को ट्रांसफर की है।

जिम्मेदारों पर कर रहे कार्रवाई

पांच लाख की कॉस्ट के आदेश के बाद शासन ने जांच कराई । इसमें सामने आया कि राज्य शासन के वकील ने 27 जुलाई के बेंच के आदेश की जानकारी किसी अधिकारी को नहीं दी। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के ओआईसी ने भी किसी को सूचना नहीं दी। ऐसा ही नगर निगम के मुख्य नगर निवेशक ने किया। इसके बाद शासन के वकील ने इस्तीफा दे दिया। बाकी दोनों जिम्मेदार अधिकारियों को नोटिस दिया गया है।

पर्यावरण विभाग ने कलियासोत के पास अतिक्रमण को किया था खारिज

एनजीटी के निर्देश पर पर्यावरण विभाग ने एक्शन टेकन रिपोर्ट पिछले साल दी थी। इसमें कलियासोत का जलभराव क्षेत्र 529.5 हेक्टेयर और केरवा का 482 हेक्टेयर बताया गया। यह भी जानकारी दी थी कि दोनों जलाशयों की बाउंड्री पर लगे पिलर टूट गए हैं। फेंसिंग के लिए इंतजाम नहीं है। केरवा बांध के बफर जोन में 30 अस्थायी निर्माण और एक स्कूल होने की बात कही गई थी। कलियासोत बांध के पास कोई अतिक्रमण न होने की जानकारी रिपोर्ट में दी गई थी। कलियासोत में गंदा पानी मिलना भी नहीं पाया गया था।

कलियासोत बांध के बफर जोन में यह अवैध निर्माण

  • उस्ताद जियाउद्दीन डागर की पत्नी का 500 वर्गमीटर पर निर्माणाधीन भवन

  • शिखा सिंह चौहान का 1010 वर्गमीटर पर केडी लाउंज

  • श्री मधुरम का एसएन क्लासिक

  • सुषमा पाठक का हाइड आउट रेस्टोरेंट

  • अरविंद अग्रवाल का कोजी किचन रेस्टोरेंट

  • अवधेश अग्रवाल का कंट्रीसाइड रेस्टोरेंट

  • ममता यादव का स्ट्राइक गेम जोन

  • नीलम मिश्रा का गाय का शेड

  • सीमा मिश्रा का शेड व मंदिर

  • विनीत आजमानी का शेड

  • आरोशिखा एजुकेशन का मछली फार्म

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