जानिए रायसीना डायलॉग क्या है और भारत के लिए यह क्यों महत्वपूर्ण है?
राज एक्सप्रेस। बीते दिनों देश की राजधानी दिल्ली में विदेशी मेहमानों का जमावड़ा लगा था, जहां एक तरह G-20 समिट के विदेश मंत्रियों की बैठक में दुनिया के बड़े देशों के विदेश मंत्री भारत पहुंचे। वहीं दूसरी तरह रायसीना डायलॉग में हिस्सा लेने के लिए 100 से अधिक देशों के प्रनितिधि भारत पहुंचे। इस बार रायसीना डायलॉग की मुख्य अतिथि इटली की प्रधानमंत्री जियॉर्जिया मेलोनी रही। तीन दिनों तक चले रायसीना डायलॉग में तमाम बड़े मुद्दों पर मंथन किया गया। तो चलिए आज हम जानेंगे कि आखिर रायसीना डायलॉग क्या है? और यह क्यों इतना महत्वपूर्ण हो गया है?
रायसीना डायलॉग क्या है?
आपको बता दें कि रायसीना डायलॉग एक खास तरह का ऐसा कार्यक्रम है, जिसमें कई देशों के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री या अन्य डेलिगेट्स हिस्सा लेते हैं। इस दौरान वैश्विक हालात और चुनौतियों को लेकर संवाद किया जाता है। इस कार्यक्रम की शुरुआत साल 2016 में की गई थी। तभी से हर साल दिल्ली में यह खास कार्यक्रम होता है। इसका आयोजन भारत का विदेश मंत्रालय और रिसर्च फाउंडेशन मिलकर करते हैं। अब तक 7 बार यह कार्यक्रम आयोजित किया जा चुका है।
कैसे पड़ा रायसीना डायलॉग नाम?
दरअसल यह कार्यक्रम भारत के विदेश मंत्रालय का कार्यक्रम है। भारत के विदेश मंत्रालय का हेडक्वार्टर रायसीना पहाड़ी पर स्थित है। यही कारण है कि इसे रायसीना डायलॉग कहा जाता है। वर्तमान समय में रायसीना डायलॉग विश्व स्तर पर विदेशी मामलों का प्रमुख सम्मलेन बन गया है।
भारत के लिए क्यों है महत्वपूर्ण?
रायसीना डायलॉग का मुख्य उद्देश्य दुनिया के देशों के बीच समन्वय बनाए रखना और विकास के लिए संभावनाओं एवं अवसरों की तलाश करना रहता है। भारत सरकार इस कार्यक्रम के जरिए अंतर्राष्ट्रीय संबंधों और मुद्दों को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट करती है। इसके अलावा रायसीना डायलॉग में करीब 100 देशों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। ऐसे में इस कार्यक्रम के जरिए भारत सरकार अपनी कूटनीतिक क्षमता में वृद्धि कर रही है।
रायसीना डायलॉग में बढ़ती भागीदारी :
साल 2016 में जब पहली बार रायसीना डायलॉग की शुरुआत की गई थी, उस समय दुनियाभर से करीब 35 देश इसका हिस्सा बने थे। साल 2017 में 65 देशों ने जबकि साल 2018 में 86 देशों ने रायसीना डायलॉग में हिस्सा लिया। साल 2019 में यह संख्या 93 जबकि साल 2020 में 100 हो गई थी। साल 2021 और साल 2022 में कोरोना के चलते इसमें शामिल होने वाले देशों की संख्या कुछ कम जरूर हुई थी, लेकिन इस बार हुए रायसीना डायलॉग में 100 से भी अधिक देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए है।
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