जानिए किस मामले के तहत उत्तरप्रदेश लाया गया अतीक अहमद? उम्रकैद से लेकर फांसी की सजा का प्रावधान
राज एक्सप्रेस। इस समय पूरे देश की नजरें उत्तर प्रदेश पुलिस के उस काफिले पर है, जिसमें उत्तर प्रदेश के माफिया अतीक अहमद को गुजरात के साबरमती जेल से प्रयागराज लाया गया है। अतीक अहमद और उसके परिवार के सदस्य सहित कई लोगों ने यह आशंका जताई थी कि पुलिस रास्ते में ही अतीक अहमद का एनकाउंटर कर सकती है। वहीं पुलिस का कहना था कि वह कोर्ट के आदेश पर अतीक अहमद को साबरमती जेल से प्रयागराज ले जा रही है। तो चलिए जानते हैं कि आखिर उत्तर प्रदेश पुलिस अतीक अहमद को किन कारणों के चलते उत्तर प्रदेश लेकर पहुंची है। आखिर क्या है पूरा मामला?
क्यों लाया गया प्रयागराज?
दरअसल अतीक अहमद को उत्तर प्रदेश लाने का संबंध साल 2006 में हुए उमेश पाल अपहरण मामले से है। यह वही उमेश पाल है, जिसके बीते दिनों उत्तर प्रदेश में दिनदहाड़े हत्या कर दी गई थी। उमेश पाल ने साल 2007 में अतीक अहमद और उसके साथियों पर अपहरण का मुकदमा दर्ज कराया था। अब इस मामले की सुनवाई पूरी हो चुकी है। 28 मार्च को इस मामले में सजा के ऐलान होना है। यही कारण है कि कोर्ट ने पुलिस को आदेश दिया है कि वह अतीक अहमद सहित अन्य आरोपियों को कोर्ट में पेश करे।
उमेश पाल अपहरण मामला क्या है?
दरअसल साल 2005 में सुलेमसराय में तत्कालीन विधायक राजू पाल की हत्या कर दी गई। इस मामले में अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ समेत 9 लोगों आरोपी है। उमेश पाल इस हत्याकांड के मुख्य गवाहों में से एक था। यही कारण है कि उमेश पाल का अपहरण करके उसे गवाही नहीं देने के लिए धमकाया गया। इस दौरान उमेश पाल के साथ मारपीट भी की गई। इसके बाद उमेश पाल ने अगले दिन कोर्ट में गवाही दी कि वह घटनास्थल पर मौजूद नहीं था।
बसपा सरकार में दर्ज करवाया मामला :
दरअसल कहा जाता है कि उस समय की समाजवादी पार्टी सरकार में अतीक अहमद की तूती बोलती थी। ऐसे में उमेश पाल ने अपहरण की घटना के एक साल बाद साल 2007 में बसपा सरकार में अतीक अहमद, उसके भाई अशरफ समेत 11 लोगों के खिलाफ अपने अपरहण और जान से मारने की धमकी देने का मुकदमा दर्ज करवाया।
कितनी सजा का प्रावधान?
बता दें कि इस मामले के 11 आरोपियों में से एक आरोपी की मौत हो चुकी है। अन्य 10 आरोपी 28 मार्च को कोर्ट में पेश किए जाएंगे। कानून के जानकारों का मानना है कि इस मामले में कोर्ट अतीक अहमद को उम्र कैद की सजा सुना सकती है। हालांकि इस मामले में फांसी की सजा देने का भी प्रावधान है।
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