सीएए पर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा केरल, अमर्त्य सेन ने की एकता की बात

सीएए के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय पहुंचा केरल। नोबल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने कहा, प्रदर्शन के लिए ज़रूरी विपक्षी एकजुटता।
सीएए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचने वाला पहला राज्य बना केरल
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राज एक्सप्रेस। नोबल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन जो नागरिकता संशोधन कानून को रद्द करने की मांग कर चुके हैं उन्होंने अब विपक्षियों को लेकर अपने विचार व्यक्त किए हैं।

सोमवार को मीडिया ने देशभर में कुछ दिनों से सीएए, एनआरसी और एनपीआर को लेकर लगातार हो रहे प्रदर्शन के संबंध में अमर्त्य सेन से सवाल किया गया। जिसके जवाब में उन्होंने कहा कि, ‘किसी भी तरह के प्रदर्शन के लिए विपक्ष की एकता आवश्यक है। ऐसे में प्रदर्शन आसान हो जाते हैं। अगर प्रदर्शन जरूरी बात के लिए हो तो एकता जरूरी है।'

उन्होंने कहा ‘लेकिन अगर एकता नहीं है तो इसका मतलब यह नहीं है कि हम प्रदर्शन बंद कर देंगे। जैसा कि मैंने कहा, एकता से प्रदर्शन आसान हो जाता है, लेकिन अगर एकता नहीं है तो भी हमें आगे बढ़ना होगा और जो जरूरी है, वह करना होगा।'

'सरकार द्वारा बनाए गए CAA कानून को मेरी नजर में सुप्रीम कोर्ट द्वारा असंवैधानिक होने के आधार पर रद्द कर दिया जाना चाहिए क्योंकि हमारे पास ऐसे मौलिक मानवाधिकार नहीं हैं जो नागरिकता को धार्मिक मतभेदों के आधार पर जोड़ते हैं। नागरिकता तय करने के लिए वास्तव में यह मायने रखता है कि एक व्यक्ति का जन्म कहां हुआ और एक व्यक्ति कहां रहता है।'

'(संशोधित) कानून के बारे में पढ़ने के बाद मेरा यह मानना है कि यह संविधान के प्रावधान का उल्लंघन करता है,"। धर्म के आधार पर नागरिकता, संविधान सभा में चर्चा का विषय बना हुआ था, जहां यह तय किया गया कि "इस तरह के भेदभाव के उद्देश्य के लिए धर्म का उपयोग करना स्वीकार्य नहीं होगा।"

हालांकि, अमर्त्य सेन इस बात से सहमत हैं कि भारत के बाहर किसी देश में सताए जाने वाले हिंदू सहानुभूति के हकदार हैं और उनके मामलों को संज्ञान में लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ''नागरिकता को धर्म से अलग रखना चाहिए लेकिन साथ ही पीड़ित या शोषित लोगों की परेशानियों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।"

सीएए के खिलाफ केरल पहुँचा सर्वोच्च न्यायालय-

नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में केरल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है। केरल राज्य ने सीएए के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की है। केरल सरकार ने याचिका में सीएए को भेदभावपूर्ण और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताया है और इसके लिए सर्वोच्च न्यायलय में संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत सूट दाखिल किया है।

केरल सरकार का कहना है कि, सीएए कानून अनुच्छेद 14, 21 और 25 का उल्लंघन है और इसलिए इस कानून को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। केरल देश का पहला ऐसा राज्य है, जिसने सीएए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है।

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