सुप्रीम कोर्ट का खुलासा, केजरीवाल सरकार ने की चार गुनी ऑक्सीजन की मांग

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी के हालातों में किए गए ऑडिट के बाद पैनल की रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को लेकर हैरान करने वाला खुलासा किया है।
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राज एक्सप्रेस। पिछले दिनों भारत में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान कोरोना का आंकड़ा बहुत ही तेजी से बढ़ रहा था। साथ ही कोरोना के चलते होने वाली मौतों का आंकड़ा भी बहुत तेजी से बढ़ता जा रहा था और देश में ऐसे हालात ऑक्सीजन की कमी के चलते बा गए थे। ये हाल भारत के एक या दो राज्य का नहीं था बल्कि लगभग सभी राज्य ऑक्सीजन की किल्लत से जूझ रहे थे। उन हालातों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा किए गए ऑडिट के बाद पैनल की रिपोर्ट में अब दिल्ली को लेकर हैरान करने वाला खुलासा हुआ है।

सुप्रीम कोर्ट ने किया हैरान कर देने वाला खुलासा :

पिछले दिनों देश के अनेक राज्यों के साथ ही राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के अस्पतालों में भी ऑक्सीजन की किल्लत देखने को मिली थी। जिसके चलते कई लोगों की जान चली गई। इस बीच दिल्ली में हुई ऑक्सीजन की कमी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक ऑडिट पैनल की रिपोर्ट जारी की है, जो हैरान कर देने वाली है। इस रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी ने कहा है कि, 'कोरोना की दूसरी लहर के दौरान दिल्ली सरकार ने जरूरत से चार गुना अधिक ऑक्सीजन की मांग की थी।'

ऑडिट रिपोर्ट में हुआ हैरान कर दने वाला खुलासा :

जब पैनल की ऑडिट रिपोर्ट सामने आई तो इस रिपोर्ट ने हैरान कर दने वाला खुलासा किया। पैनल की ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, 'दिल्ली में जरूरत से चार गुनी ज्यादा ऑक्सीजन की मांग की थी यानी दिल्ली को उस वक्त लगभग 300 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत थी, लेकिन दिल्ली सरकार ने इसे बढ़ाकर 1200 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की मांग की थी। इसके अलावा ऑक्सीजन ऑडिट रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि, 'दिल्ली की अत्यधिक मांग के कारण 12 अन्य राज्यों को जीवन रक्षक ऑक्सीजन की भारी कमी का सामना करना पड़ा क्योंकि अन्य राज्यों की आपूर्ति दिल्ली की ओर मोड़ दी गई थी।'

टास्क फोर्स का गठन :

बताते चलें, कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मच रहे कोरोना के आतंक के बीच दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन की किल्लत को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह ने 12 सदस्यीय टास्क फोर्स का गठन किया था। साथ ही ऑक्सीजन वितरण प्रणाली पर पैनल से ऑडिट रिपोर्ट की मांग की थी। इस ऑडिट के दौरान ऑक्सीजन टास्क फोर्स ने पाया कि, '13 मई को दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों में ऑक्सीजन टैंकरों को नहीं उतारा जा सका, क्योंकि उनके टैंक पहले से ही 75% से अधिक क्षमता पर थे। यहां तक कि एलएनजेपी और एम्स जैसे सरकारी अस्पतालों में भी ऑक्सीजन टैंक भरे पड़े थे।'

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