राज एक्सप्रेस। देश में आज कोरोना से बने हालत काफी बुरे होते जा रहे हैं। देश के राज्यों में लागू लॉकडाउन के चलते कई सारी छोटी-मोटी कम्पनियां बंद हो गई हैं। जिसके चलते लोगों से उनकी नौकरियां तक छिन गई हैं। ऐसे हालातों के चलते अब एक बार फिर ऐसी स्थिति देखने को मिल रही है कि, कोरोना के बुरे प्रभाव के चलते अब बहुत से बच्चों को बाल श्रम करना पड़ रहा है। हालांकि, बच्चे यह अपनी मर्जी से नहीं बल्कि अपने परिवार की आजीविका में मदद करने के मकसद से कर रहे हैं। ऐसे हालातों को मद्देनजर रखते हुए जतन संस्थान ने एक राष्ट्रव्यापी जागरूकता अभियान शुरू किया है।
राष्ट्रव्यापी जागरूकता अभियान :
जी हां, देशभर में कोरोना के चलते फिरसे शुरू हुए बाल श्रम के खिलाफ उदयपुर की जतन संस्थान ने राष्ट्रव्यापी जागरूकता अभियान शुरू करने का विचार किया है। संस्था ने इस शोषणकारी प्रथा बाल श्रम के खिलाफ शुरू किए गए महाअभियान में कम से कम 5 लाख लोगों को शामिल करने का संकल्प लिया है। बताते चलें, 2011 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में लगभग 10.1 मिलियन बच्चे ऐसे है जो बाल श्रम करते हैं। इतना ही नहीं कई अध्ययनों से यह बात भी सामने आई है कि, 'संकट की लंबी अवधि के दौरान बाल श्रम में वृद्धि और स्कूलों में जाने वाले बच्चों में कमी की सामान्य प्रवृत्ति है।
कोरोना ने बनाए बुरे हालात :
वहीं, कोरोना महामारी ने स्थिति को काफी खराब कर दिया है, लेकिन इस संस्था का मनना है कि, संयुक्त और निर्णायक कार्रवाई इस प्रवृत्ति को रोक सकती है और बच्चों के बेहतर कल्याण के लिए अग्रसर हो सकती है। लॉकडाउन के बहुस्तरीय प्रभाव के संकट में बाल श्रम में उल्लेखनीय वृद्धि भी देखी गई है। बड़े बच्चे विशेष रूप से लड़कियां फसल और अन्य कृषि गतिविधियों में शामिल हो रही हैं। महामारी ने विशेष रूप से वंचित पृष्ठभूमि की युवा लड़कियों जिनकी शिक्षा अभी बाकी है उनको भी नौकरी करने के लिए दबाव या प्रेरित किया जा रहा है। इस स्थिति में, बाल श्रम, घरेलू श्रम, जबरन प्रवास/तस्करी, बाल विवाह और कई छिपी या भयावह स्थितियों में शामिल होने के मामले में लड़के-लड़कियां सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं। स्कूल बंद हैं और जो बच्चे स्कूल से बाहर हैं या वे बच्चे जो स्कूल छोड़ सकते हैं, उन बच्चों को परिवार में आर्थिक मदद करने करने के लिए श्रम कार्य में संलग्न होना पड़ेगा।
कब शुरू हुआ अभियान :
कोरोना से बने हालातों में बनी संभावनाओं को रोकने के लिए और जागरूकता फैलाने और बच्चों/किशोरों द्वारा हो रहे बाल श्रम को रोकने के लिए जतन संस्थान (उदयपुर स्थित (NGO) गैर सरकारी संगठन) ने एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया है। यह 24 दिवसीय अभियान 'जतन अगेंस्ट चाइल्ड लेबर' 20 मई, 2021 को शुरू किया गया है, जो की 12 जून को 'वर्ल्ड डे अगेंस्ट चाइल्ड लेबर' पर व्यापक रूप से सम्पूर्ण किया जायेगा। जतन संस्थान को बच्चों के साथ-साथ विभिन्न संरचनाओं, समुदाय आधारित संगठन, हितधारकों और समुदायों की क्षमता निर्माण का व्यापक अनुभव है।
कैसा है यह अभियान :
इस अभियान के तहत ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचने के लिए वर्चुअल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया जाएगा। जिसका उद्देश्य विभिन्न सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से कोविड-19 और पोस्ट-कोविड-19 युग के दौरान बाल श्रम के खिलाफ समुदायों में जागरूकता बढ़ाना है। 20 मई को जतन संस्थान इस अभियान का पोस्टर लॉन्च करते हुए जतन संस्थान के कार्यकारी निदेशक, डॉ कैलाश बृजवासी ने बताया,
“जतन बच्चों की सुरक्षा और उनके अधिकारों के लिए प्रतिबद्ध है। इस अभियान का उद्देश्य बाल श्रम पर रोक लगाना और नागरिकों को संवेदनशील बनाना है ताकि बच्चे कम उम्र से ही श्रम के शोषण से मुक्त हो सकें और गरिमापूर्ण जीवन का आनंद ले सके। हम सभी बच्चों को शिक्षा का मौलिक अधिकार सुनिश्चित करना चाहते हैं और इसके लिए हमें अधिक से अधिक नागरिकों को अपने साथ जोड़ने की जरूरत है, ताकि हम उनके लिए एक बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकें।”
डॉ कैलाश बृजवासी, जतन संस्थान के कार्यकारी निदेशक
अभियान का मुख्य उद्देश्य :
इस अभियान को शुरू करने का का मुख्य उद्देश्य कोरोना के चलते 'ड्रॉपआउट' हुए बच्चों का स्कूल में फिरसे एडमिशन दिलाना और उन्हें आगे बढ़ाना है। साथ ही बाल श्रम के मुद्दे पर सभी हितधारकों (माता-पिता, शिक्षकों, एसएमसी/एसडीएमसी/पीआरआई/कार्यकारी/काम करने वाले पेशेवर) के बीच जागरूकता पैदा करना और उनकी मानसिकता में सकारात्मक बदलाव लाना है। इस अभियान को पूरे भारत स्तर पर शुरू किया गया है और यह सभी राज्यों और जिलों को कवर करेगा। अभियान का लक्ष्य पूरे भारत में लगभग 3-5 लाख लोगों तक डिजिटल रूप से पहुंचना है।
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