जम्मू कश्मीर, भारत। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की हाल ही में नज़रबंदी से रिहाई होने के बाद से घाटी में राजनीतिक हलचल तेज है। इसी बीच महबूबा मुफ्ती द्वारा दिए गए बयान से अब उन्हीं की पार्टी के नेता भी नाराज हो गए और उन्होंने ये बड़ा कदम उठा कर महबूबा मुफ्ती को झटका दिया हैै।
3 PDP नेताओं ने छोड़ी महबूबा मुफ्ती की पार्टी :
दरअसल, महबूबा मुफ्ती की अवांछनीय टिप्पणी को लेकर 3 पीडीपी नेताओं ने नाराजगी जताते हुए पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी को छोड़ा यानी इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफा देने वाले PDP नेताओं के नाम- टीएस बाजवा, वेद महाजन और हुसैन ए वफ्फा है। इन नेताओं ने इस्तीफा देने की वजह महबूबा मुफ्ती द्वारा कही गई बातों से पैदा हुई असहजता बताया है।
इस्तीफा देने वाले PDP नेताओं का कहना :
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी से इस्तीफा देने वाले 3 नेताओं ने इस बारे में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती को पत्र भी लिखा और ये बात कही कि, ''वह मुफ्ती के कुछ कार्यों और अवांछनीय कथनों से विशेष रूप से असहज महसूस करते हैं, जो देशभक्ति की भावनाओं को चोट पहुंचाते हैं।''
आखिर ऐसी क्या थी महबूबा की टिप्पणी :
बात ये है कि, महबूबा मुफ्ती द्वारा शुक्रवार को ये कहा था कि, ''जब तक जम्मू-कश्मीर को लेकर पिछले साल पांच अगस्त को संविधान में किए गए बदलावों को वापस नहीं ले लिया जाता, तब तक उन्हें चुनाव लड़ने अथवा तिरंगा थामने में कोई दिलचस्पी नहीं है।''
जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को पिछले वर्ष अगस्त में समाप्त किए जाने के बाद से महबूबा हिरासत में थीं। रिहा होने के बाद पहली बार मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि वह तभी तिरंगा उठाएंगी, जब पूर्व राज्य का झंडा और संविधान बहाल किया जाएगा।
पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती
पीडीपी प्रमुख ने कहा, ‘‘जहां तक मेरी बात है, तो मुझे चुनाव में कोई दिलचस्पी नहीं है, जब तक वह संविधान हमें वापस नहीं मिल जाता, जिसके तहत मैं चुनाव लड़ती थी, महबूबा मुफ्ती को चुनाव से कोई लेना देना नहीं है।’’
बता दें, पिछले साल यानी 2019 से 13 अक्बूर 2020 तक महबूबा मुफ्ती जन सुरक्षा कानून के तहत नजरबंद रही है और रिहाई होने के फौरन बाद ही उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर करीब 1 मिनट 23 सेकेंड का ऑडियो संदेश जारी कर अनुच्छेद-370 के प्रावधानों को हटाए जाने को काला फैसला करार देते हुए जम्मू-कश्मीर के लिए संघर्ष का ऐलान किया था।
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