जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा फैसला, श्रीनगर में बढ़ाई गई सुरक्षा
हाइलाइट्स-
जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा फैसला।
श्रीनगर समेत जम्मू कश्मीर में बढ़ाई गई सुरक्षा।
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम और धारा 370 हटाने के केन्द्र सरकार के फैसले को चुनौती दी गई थी।
Article 370 Verdict: जम्मू-कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के केंद्र सरकार के 2019 के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज यानी 11 दिसबंर को फैसला सुनाएगा। बता दें, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ आज यह फैसला सुनाएगी। जिसको लेकर जम्मू कश्मीर के श्रीनगर समेत कई जगहों पर सुरक्षा बढ़ाई गई है।
बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट में कुल 22 याचिकाएं दायर की गई थीं, जिसपर लगातार 16 दिन तक मैराथन सुनवाई हुई थी। सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ ने सुनवाई करने के बाद फैसला बहुत पहले ही सुरक्षित रख लिया था। ऐसे में इस मामले को लेकर आज फैसला सुनाया जाएगा। वहीं, आज फैसले को लेकर जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है, सुरक्षाबलों को सख्त निर्देश दिए गए हैं।
मामले को लेकर इनका कहना:
सुप्रीम कोर्ट आज जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाएगा। इसको लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि, "हम देखेंगे और बात करेंगे। वहीं, याचिकाकर्ताओं में से एक के वकील मुजफ्फर इकबाल ने कहा कि, "हमें उम्मीद है कि, सुप्रीम कोर्ट हमारे पक्ष में फैसला करेगा।"
वहीं, जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के नेता आरएस चिब ने कहा कि, "यह एक ऐतिहासिक फैसला होने जा रहा है। वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद हसनैन मसूदी ने कहा, "हमें उम्मीद है कि फैसला जम्मू-कश्मीर के लोगों के पक्ष में होगा...हम शांति के पक्ष में हैं।"
जानकारी केलिए बता दें कि, केंद्र सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने का ऐलान किया था। इसके साथ ही राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया था। जिसके लिए सरकार की ओर से 'जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन कानून' 2019 लाया गया था, जिसको लेकर कोर्ट में चुनौती दी गई है।
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