राज एक्सप्रेस। कश्मीर में साल 2020 की शुरूआत से एसएमएस सेवा और सभी सरकारी अस्पतालों में ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवा शुरू हो गई है। करीब 5 महीने पहले केन्द्र सरकार द्वारा जम्मू और कश्मीर को मिला विशेष राज्य का दर्जा समाप्त करने के बाद से यहां मोबाइल सेवाएं बंद हैं। जम्मू-कश्मीर के प्रधान सचिव रोहित कंसल ने पत्रकार वार्ता कर बताया कि, 31 दिसंबर की मध्य रात्रि से कश्मीर में एसएमएस सेवा शुरू हो जाएगी। साथ ही उन्होंने अस्पतालों में ब्रॉडबैंड सेवा शुरू करने की भी घोषणा की।
जम्मू में अनुच्छेद-370 हटने के एक हफ्ते के भीतर ही इंटरनेट छोड़ कर सभी मोबाइल सेवाएं शुरू हो गई थीं। वहीं कश्मीर में कई बार में लैंडलाइन और पोस्टपेड सेवाएं शुरू की गईं। 14 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर के बाकी इलाकों में पोस्टपेड मोबाइल सेवाएं शुरू कर दी गई थीं।
केन्द्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 का प्रावधान खत्म कर दिया था। जिसके बाद राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित किया गया। 31 अक्टूबर 2019 से यह विभाजन लागू हुआ। इस घोषणा के बाद से ही घाटी में एसएमएस और इंटरनेट सेवाओं पर पाबंदी थी।
अनुच्छेद-370 हटने और जम्मू-कश्मीर व लद्दाख के केन्द्रशासित प्रदेश बनने के बाद पहली बार 27 दिसंबर को कारगिल में मोबाइल इंटरनेट सेवा शुरू की गई। कारगिल के अलावा लद्दाख के अन्य जिलों और कश्मीर घाटी में अभी भी प्री-पेड और इंटरनेट सेवाएं बहाल नहीं की गई हैं।
इसके एक दिन पहले ही जम्मू कश्मीर के 5 पूर्व विधायकों को रिहा किया गया। पिछले पांच महीनों से ये नेता हिरासत में थे। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला अब भी हिरासत में हैं। रिहा किए नेताओं में दो पीडीपी, दो नेशनल कॉन्फ्रेंस के और एक निर्दलीय नेता हैं।
मंगलवार, 31 दिसंबर 2019 को कश्मीर प्रेस क्लब ने घाटी में मीडिया के लिए तुरन्त इंटरनेट सेवाएं बहाल करने की मांग की। क्लब में आयोजित हुई एक बैठक में लगभग सभी संपादक और पत्रकार मौजूद रहे। इस बैठक में सर्वसम्मति से मीडिया के लिए बिना किसी देरी के इंटरनेट सेवाएं शुरू करने की मांग की गई।
internetshutdowns.in के अनुसार, भारत में इंटरनेट सेवाएं बंद करने का यह सबसे लंबा समय है। कश्मीर में पिछले 150 दिनों से इंटरनेट बंद है। मोबाइल, लैंडलाइन आदि सेवाएं शुरू हुई हैं लेकिन इंटरनेट अभी भी बंद है।
भारत में इससे पहले भी कश्मीर में ही सबसे अधिक समय के लिए इंटरनेट बंद किया गया था। साल 2016 में 8 जुलाई से लेकर 19 नवंबर तक 33 दिनों के लिए यहां इंटरनेट सेवाएं बंद थी। ऐसा बुरहान वानी की हत्या के बाद से हो रहे विरोध प्रदर्शनों के चलते हुआ था। पोस्ट-पैड यूज़र्स के लिए 19 नवंबर को इंटरनेट सेवाएं शुरू हो गई थीं, लेकिन प्री-पैड यूज़र्स के लिए यह सेवाएं जनवरी 2017 में शुरू हुईं। इन्हें लगभग 6 महीने के लिए इंटरनेट बंद झेलना पड़ा था।
भारत में सबसे अधिक 180 बार इंटरनेट बंद कश्मीर घाटी में हुआ है। राजस्थान को 68, उत्तर प्रदेश को 28, हरियाणा को 13, गुजरात और बिहार को 11 बार इंटरनेट बंद झेलना पड़ा है।
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