आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से ISRO ने नए रॉकेट SSLV-D2 लॉन्च किया
आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से ISRO ने नए रॉकेट SSLV-D2 लॉन्च कियाSocial Media

आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से ISRO ने नए रॉकेट SSLV-D2 लॉन्च किया

आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से आज सुबह ISRO ने छोटे सैटेलाइट के जरिए नए रॉकेट SSLV-D2 की लॉन्चिंग की।
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आंध्र प्रदेश, भारत। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) दुनिया में अपनी ताकत बढ़ा रहा है और आज फिर एक नया मिशन तैयार कर इसकी लॉन्चिंग की है। दरअसल, आज 10 फरवरी को आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 9.18 बजे नए रॉकेट SSLV-D2 की लॉन्चिंग हुई।

3 उपग्रहों के साथ अंतरिक्ष में करेगा प्रवेश :

ISRO ने इस व्हिकल को छोटे सैटेलाइट को लॉन्च करने के लिए यह रॉकेट को तैयार किया है। इस रॉकेट के जरिए दुनियाभर के छोटे सैटेलाइट को आसानी से लॉन्च किया जा सकता है। इस बारे में इसरो ने बताया कि, 'उसका नया रॉकेट एसएसएलवी-डी 2 अपनी 15 मिनट की उड़ान के दौरान 3 उपग्रहों- इसरो के ईओएस-07, अमेरिका की कंपनी एंटारिस के जानूस-1 और चेन्नई स्थित अंतरिक्ष स्टार्टअप स्पेसकिड्ज के आजादीसैट-2 को 450 किलोमीटर की कक्षा में स्थापित करेगा। तीनों उपग्रहों को 450 किलोमीटर की ऊंचाई पर छोड़ा जाएगा।''

सैटेलाइट से जुड़ी कुछ जानकारी-

  • SSLV 'लॉन्च-ऑन-डिमांड' के आधार पर पृथ्वी की निचली कक्षाओं में 500 किलोग्राम तक के उपग्रहों के प्रक्षेपण को पूरा करता है।

  • SSLV-D2 का कुल वजन 175.2 किलोग्राम होगा, जिसमें 156.3 किलोग्राम EOS, 10.2 किग्रा Janus-1 और 8.7 किग्रा AzaadiSat-2 का होगा।

  • SSLV-D2 रॉकेट बहुत कम लागत, कम टर्न-अराउंड समय और कई उपग्रहों को एक साथ कक्षा में लॉन्च करने में सक्षम होने के कारण अंतरिक्ष तक पहुंच प्रदान करता है।

  • इसका यह रॉकेट मिनिमम लॉन्च इंफ्रास्ट्रक्चर की मांग करता है।

  • एसएसएलवी 34 मीटर लंबा, 2 मीटर व्यास वाला प्रक्षेपण यान है, जिसका उत्थापन द्रव्यमान 120 टन है।

  • रॉकेट को 3 ठोस प्रणोदन चरणों और 1 वेग टर्मिनल मॉड्यूल के साथ कॉन्फ़िगर किया गया है।

  • ISRO के मुताबिक, SSLV की एक इकाई को लॉन्च करने की लागत 30 करोड़ रुपये, जबकि पीएसएलवी की एक इकाई को लॉन्च करने की लागत 130 से 200 करोड़ रुपये है।

  • जितना 1 पीएसएलवी रॉकेट जाता था, उतनी ही कीमत पर 4 एसएसएलवी लॉन्च किए जाएंगे। हालांकि, अंतरिक्ष में केवल हल्के वजन के उपग्रह ही भेजे जा सकते हैं।

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